CG – महिलाओ को ज्योतिबा फुले की विचार को पढ़ने की आवश्यकता है…

महिलाओ को ज्योतिबा फुले की विचार को पढ़ने की आवश्यकता है
कोंडागांव। सर्व आदिवासी समाज ब्लॉक अध्यक्ष श्रवण मरकाम ज्योतिबा फुले एक दूरदर्शी समाज सुधारक, विचारक और कार्यकर्ता थे, जिन्होंने 19वीं सदी के भारत में जातिगत भेदभाव को चुनौती देने और महिलाओं की शिक्षा की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 11 अप्रैल, 1827 को महाराष्ट्र में जन्मे, उन्होंने अपना जीवन हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया।
फुले ने जाति-आधारित उत्पीड़न से लड़ने के लिए 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की और दलितों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अथक प्रयास किए । उनके योगदान ने भारत में प्रगतिशील सामाजिक सुधार आंदोलनों की नींव रखी।
कैलाश मरकाम सर्व आदिवासी समाज ब्लॉक प्रभारी
महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती हर साल 11 अप्रैल को सामाजिक सुधार और समानता के लिए उनके अपार योगदान के सम्मान में मनाई जाती है। 1827 में इसी दिन जन्मे फुले ने जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी और महिलाओं की शिक्षा का समर्थन किया। 11 अप्रैल, 2025 को भारत उनकी 197वीं जयंती मनाएगा , जिसमें हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय, शिक्षा और सशक्तिकरण की उनकी विरासत को याद किया जाएगा।