कोरिया। यदि इंसान किसी काम को पूरा करने के लिए ठान ले तो कोई भी काम मुश्किल नहीं। अपने जज्बे के बल पर वह ऐसा काम कर डालता है जिससे दूसरे लोग हैरत में पड़ जाते हैं। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के श्याम लाल ने अपने जज्बे के बल पर ही ऐसे काम को पूरा कर दिखाया जो दूसरों को असंभव लग सकता है। आज हम आपको बताने के जा रहे है। छत्तीसगढ़ के 'मांझी' के बारे में, जिसने 27 साल तक कड़ी मेहनत कर अकेले ही एक तालाब खोद डाला, जिससे गांव के लोगों की पानी समस्या खत्म कर दी है।
छत्तीसगढ़ के चिरमिरी के साजापहाड़ गांव के निवासी श्यामलाल राजवाड़े ने पानी की भारी कमी को देखते हुए 1990 में तालाब खोदने का निर्णय लिया। गांव में पानी का एकमात्र स्रोत एक हैंड पंप था, जो गर्मियों में सूख जाता था। इस वजह से गांव वालों को दूर-दराज के गंदे नालों से पानी लाना पड़ता था। श्यामलाल ने इसे अपनी जिम्मेदारी समझा और खुद तालाब खोदने का बीड़ा उठाया।
श्यामलाल ने मजदूरी से लौटने के बाद रोजाना दो से चार घंटे तालाब खोदने का काम किया। यह सिलसिला 27 साल तक चला। शुरुआती दिनों में गांव वालों ने उनका मजाक उड़ाया और उन्हें पागल तक कहा, लेकिन श्यामलाल ने इन बातों को नजरअंदाज कर अपने काम पर ध्यान दिया। उनकी मेहनत ने धीरे-धीरे लोगों को उनका समर्थन करने पर मजबूर कर दिया।
श्यामलाल की पत्नी फूल कुंवर ने उनके संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे परिवार को खाने-पीने की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फुल कुंवर ने बताया कि मैं उन्हें रोकने की कोशिश करती थी, लेकिन वे अपनी मेहनत में लगे रहते थे। श्यामलाल ने तपस्या जारी रखी। उसका परिणाम ये हुआ कि उनकी मेहनत की वजह से आज न केवल उनके परिवार वाले, बल्कि पूरे गांव को लाभ उठा रहे हैं।
अब ग्रामीणों को श्यामलाल के इस काम की मेहनत समझ में आने लगी है। पहले श्याम लाल की खिल्ली उड़ाने वाले ग्रामीण अब उसे अपना रोल मॉडल मानते हैं। 70 वर्षीय स्थानीय निवासी रामसरन बार्गर नें कहा कि श्याम लाल ने कठिन परिश्रम कर ग्रामीणों की जिंदगी में खुशियां बिखेर दी है।
आज इस तालाब की वजह से गांव की पानी की समस्या खत्म हो गई है। यह न केवल पीने के पानी का स्रोत बना, बल्कि इससे खेतों की सिंचाई और पशुओं की जरूरतें भी पूरी हो रही हैं।