खनन माफियाओं पर धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई: अब खनन माफियाओं के वाहनों की अफसरों को कुचलने की नहीं होती हिम्मत…

देहरादून: उत्तराखंड में खनन कारोबार हमेशा सवालों के घेरे में रहा है। ढाई दशक के उत्तराखंड के इतिहास में ये पहला मौका है, जब राज्य में खनन कारोबारी नियंत्रण में हैं। अब खनन में रिकॉर्ड राजस्व वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही अब खनन माफियाओं के वाहनों की पुलिस वालों से लेकर एसडीएम, तहसीलदारों को कुचलने की हिम्मत नहीं होती।अब न अवैध खनन के कारण पुल ध्वस्त होते हैं।
अब खनन माफिया सीएम आवास में बैडमिंटन खेलते, मुख्यमंत्रियों के ओएसडी के साथ सार्वजनिक मंचों में घूमते, कारोबार करते नजर नहीं आते। उत्तराखंड में अवैध खनन का एक दौर ऐसा रहा, जब खनन माफियाओं का खौफ पुलिस और प्रशासनिक अफसरों पर हावी रहता था। 17 नवंबर 2019 को विकासनगर में खनन माफियाओं के वाहन ने पुलिस कर्मियों को कुचल दिया था।
कोविड के दौरान भी खनन के वाहन सड़कों को रौंदते हुए आगे बढ़ते थे। पूर्व के सालों में खनन माफियाओं का शासन, सत्ता में दखल का आलम ये रहा कि खनन से जुड़े लोग हर सुबह सीएम आवस में बैडमिंटन खेलते नजर आते थे। मुख्यमंत्री के ओएसडी, मीडिया सलाहकारों के साथ खनन माफिया, प्रापर्टी डीलर बैडमिंटन खेलते नजर आते थे।
ये खनन माफिया सूर्यधार झील के आस पास की जमीनों में साझीदार तक रहे। ये वही सूर्यधार झील थी, जहां सिंचाई विभाग ने 70 करोड़ कृत्रिम झील बनाने के नाम पर बर्बाद किए थे। धामी सरकार में खनन कारोबार की पारदर्शिता को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद श्री महेंद्र भट्ट ने कहा कि आंकड़े इस बात को साबित करते हैं कि चालू वित्तीय वर्ष तक खनन राजस्व में 3 गुना से अधिक वृद्धि हुई है।
वहीं पारदर्शी नीति के कारण माफियाओं से 8 गुना वसूली होने से कांग्रेस दुखी है। हमारी पारदर्शी और ईमानदार खनन नीति में राज्य की आर्थिक सेहत बेहतर होने के साथ ही जनता की जेब पर बोझ कम हुआ है। उन्होंने खनन को लेकर विपक्ष के आरोपों को अनर्गल, बेबुनियाद और उनके सहयोगी माफियाओं को होने वाले नुकसान की खीज बताया है। क्योंकि खनन क्षेत्र में धामी सरकार के शानदार प्रबंधन से प्राप्त राजस्व में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है।
जब 2017 में भाजपा सरकार बनी तो उस समय पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार खनन राजस्व के नाम कर मात्र 335.27 करोड़ रुपए छोड़ गए थे । उसके बाद से हमारी सरकारों ने इसे गंभीरता से लिया और तब से खनन से राजस्व की प्राप्ति में गुणात्मक इजाफा हो रहा है। जब मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व वाली सरकार और विशेषकर 2022 के बाद से तो वर्तमान वित्तीय वर्ष तक खनन राजस्व और माफियाओं से हुई वसूली में नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं।
यह सब सरकार की पारदर्शी खनन नीति के चलते हुई है। इसके अतिरिक्त अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण पर प्रभावी नियंत्रण एवं गतिमान कार्यवाही, ई-निविदा सह ई-नीलामी के माध्यम से खनन पट्टों का आवंटन सुनिश्चित किया गया है। जिसका नतीजा है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 मे अब तक लगभग 1025 करोड़ का राजस्व अर्जित कर चुका है, जिसके 1100 करोड़ के पार जाने की पूरी उम्मीद है।
उन्होंने विपक्ष द्वारा अवैध खनन, अवैध परिवहन, अवैध भण्डारण, बिना रॉयल्टी प्रपत्रों के उपखनिज की निकासी आदि के तमाम आरोप को पूर्णतयः निराधार और सत्य से परे बताया। राज्य गठन के बाद पहली बार राजस्व की रिकॉर्ड वृद्धि इस बात की पुष्टि करती है कि खनन विभाग पारदर्शिता व प्रभावी नियंत्रण से काम कर रही है।
भट्ट ने कहा कि खनन से राजस्व में हुई 3 गुना से अधिक बढ़ोत्तरी के चलते जनता संतुष्ट है, लेकिन कांग्रेस के माथे पर बल पड़े हुए हैं।दअरसल कांग्रेस नेताओं की चिंता खनन माफियाओं पर लगे जुर्माने की भी है। जुर्माना वसूली का यह आंकड़ा विगत 5 वर्षों में 8 गुना वृद्धि के साथ 18.05 करोड़ से बढ़कर 74.22 करोड़ हो गया है। यह अधिकांश रकम कांग्रेस नेताओं के चहेते माफियाओं की जेब से गई है, ऐसे में उनको पीड़ा और बौखलाना स्वाभाविक है।
भट्ट ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों में खनन माफियाओं के दबाव में राज्य को राजस्व की चपत लगाई जाती थी। सरकार में बैठे लोग, खनन माफियाओं एवं अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश की खनन नीति बनाते थे। स्वयं इनके पूर्व सीएम तो कैमरे पर राज्य के संसाधनों को लूटने का लाइसेंस देते दिखाई दिए।
यही लोग हैं जो अपने माफिया दोस्तों के लिए गंगा को नहर बताने का पाप करते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। खनन से प्रदेश को लाभ मिले, सस्ती खनन सामग्री जनता को मिले इसकी चिंता मुख्यमंत्री धामी ने नीति निर्माण में की है। आज तीन गुना से अधिक राजस्व और 8 गुना अधिक जुर्माने के साथ जनता को कई गुना लाभ मिल रहा है , मिला है ।
ऐसे में काँग्रेस बौखलाहट में हैं की उनके चहेतों को खनन के धंधे में नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए राज्य की डेमोग्राफी और स्वरूप मायने नहीं रखता हो लेकिन भाजपा के लिए विकास और विरासत दोनों अहम हैं। राज्य की आर्थिकी और समृद्धि बढ़ाने पर भी काम होगा और राज्य के सांस्कृतिक स्वरूप के सरंक्षण की दिशा मे भी कार्य किया जायेगा।