धमतरी

दुगली की आराध्य देवी माता अंगारमोती और सैकड़ों साल पूर्व का इतिहास…31 अक्टूबर को मनाया गया धूमधाम से फूल मेला माता से मन्नत मांगने पहुंचे श्रद्धालु….


धमतरी….
जिले के नगरी विकासखण्ड के वनांचल से घिरा ग्राम दुगली में विराजित माता अंगारमोती की फूल मंड़ाई 31 अक्टूबर को क्षेत्र वासियों ने बड़े ही धूमधाम से मनाया।इस साल मेला का आकार बढ़ते क्रम में दिखाई दिया।साथ ही आस्था और विश्वास का यह पर्व बड़े स्तर पर लोग मनाने पहुंचे थे। देव परंपरा अनुसार 30 अक्टूबर को देव जात्रा हुई।31 अक्टूबर को देव मिलन परब दौरान विधि-विधान तहत दोपहर तीन बजे क्षेत्र की देवी देवताओं का अंगार मोती प्रांगण में आगमन हुई। ग्रामीणों के साथ क्षेत्र वासियों ने देवी देवताओं की सम्मान के लिए सुबह से ही अंगार मोती प्रांगण में समय का इंतजार करते हुए दिखाई दिए बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी।इस साल मेला की भीड़ पूरी दिन से लेकर देर रात्रि तक रही।मन्नत मांगने के लिए भी कतार लगी हुई थी।अंगार मोती सेवा समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र राज ध्रुव ने बताया मेला का आयोजन दस सालों से पूरे ग्राम वासियों की सहयोग से मनाया जा रहा है।समय दर समय मेला का आकार बढ़ते जा रहा है। वहीं दस साल पूर्व संक्षिप्त रुप से माता में फूल चढ़ाकर प्रति बरस मनाया जा रहा था। वहीं यह भी बताया कि दुगली की अंगारमोती माता की स्थापना सैंकड़ों बरस पूर्व की स्थापना है। जब माता की मूल स्थापना गंगरेल बांध की डुब क्षेत्र धाप चांवर में थी उसी दौरान दुगली के नेताम परिवार के गायता,पुजारी दम्पति ने वंश चलाने के लिए विवाह के कई बरस बीत जाने के बाद भी संतान नहीं होने पर धाप चांवर जाकर संतान की कामना की थी।और माता की आर्शिवाद से साल भर के अंदर आर्शिवाद नेताम परिवार को मिला था।उसी दौरान से माता के आदेश अनुसार दुगली के पुजारी परिवार ने अंगार मोती माता की स्थापना करायी थी।दरअसल जिस समय दुगली में माता की स्थापना हुई उस दौरान अंगार मोती माता का मूल स्थापना गंगरेल बांध की डूब क्षेत्र धाप चांवर में थी जो आज चारों ओर पानी से घिरा हुआ है। पुजारी सीताराम नेताम ने बताया पुराने सियान लोग बताते हैं दुगली की साप्ताहिक बाजार अंगार मोती माता की है इसीलिए दुगली बाजार माता की बार का दिन शुक्रवार को ही मनाया जाता है।जो आज बदलते समय और पंचायत विभाजन के चलते कौव्हाबाहरा की हो चुकी है।जब दुगली में बाजार की शुरुआत हुई तो अंगारमोती माता के सामने महुए झाड़ के सामने से शुरुआत हुई ऐसा पुराने सियान लोग बताते हैं। बाजार का आकार बढ़ने पर सुविधा के लिए ग्रामीणों ने हटाया गया। फिर हाल दुगली सहित क्षेत्र वासियों ने प्रतिबरस अंगार मोती माता का फूल मेला परंपरा अनुसार देवारी के बाद देव उठनी के पूर्व मनाते आ रहे हैं। वहीं यह मेला धीरे धीरे आस्था और विश्वास का केंद्र बन चुका है।

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