छत्तीसगढ़

दो वर्ष बीतने के बाद भी विधवा मालती का नहीं बना अंत्योदय राशन कार्ड…नही मिला परिवार सहायता राशि …आखिर क्यों, जिम्मेदार कौन…?

संदीप दुबे

Nayabharat
संदीप दुबे✍️✍️✍️

हादसे में बेटे की मौत के आठ माह बाद भी परिवार सहायता राशि की फाइल तहसील में अटकी, ग्रामीण बैंक से बीमा राशि का भी नहीं चला पता

भैयाथान – विकासखंड भैयाथान अंतर्गत ग्राम पंचायत बड़सरा निवासी विधवा मालती देवांगन बीते ढाई वर्षों से अंत्योदय राशन कार्ड के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रही हैं, लेकिन अब तक शासन की इस सबसे अहम योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल पाया है।

मालती का परिवार पहले ही गमों का पहाड़ झेल चुका है। उनके पति की मौत 14 नवंबर 2022 को हुई और फिर उनका कमाऊ इक्कीस वर्षीय पुत्र सतानंद जिसकी 14 अक्टूबर 2024 को सूरजपुर में थिनर में आग लगने से दर्दनाक मौत हो गई जिसके बाद मालती पूरी तरह बेसहारा हो चुकी हैं। मालती ने पुत्र की मृत्यु के बाद परिवार सहायता योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक मदद के लिए सूरजपुर तहसील कार्यालय में समस्त दस्तावेजों व प्रक्रिया को पूर्ण कर ऑनलाइन और डाक द्वारा आवेदन भैयाथान तहसील कार्यालय भेजा। लेकिन जब उन्होंने तहसील कार्यालय भैयाथान में पदस्थ बाबू सुनीता पैकरा से प्रकरण की स्थिति पूछी तो बताया गया सूरजपुर से फाइल अब तक यहां नहीं आई है
ऑनलाइन दिख रहा है। यह सुनते-सुनते आठ माह गुजर गए। अब सवाल यह उठता है कि आखिर फाइल गई कहां? आठ माह से यह विधवा महिला इस राशि की आस लगाए बैठी है ताकि उसका जीवन यापन कुछ आसान हो सके, लेकिन सरकारी फाइलों की लेटलतीफी और खानापूर्ति ने उसकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। मालती ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसे शीघ्र परिवार सहायता राशि, बीमा राशि और अंत्योदय राशन कार्ड का लाभ दिलाया जाए ताकि उसे जीवन यापन में थोड़ी राहत मिल सके।

ग्रामीण बैंक में दो बीमा, फिर भी क्लेम राशि का अता-पता नहीं…
मालती के पुत्र स्तानंद का खाता दर्रीपारा स्थित छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में है, जहां उसने प्रधानमंत्री बीमा योजना अंतर्गत ₹20 और बजाज बीमा में ₹200 का नामांकन कराया था। हादसे के बाद जब परिवार ने बीमा क्लेम के लिए संपर्क किया तो ₹20 वाले बीमा में मृत पिता का नाम नॉमिनी होने की वजह से क्लेम निरस्त हो गया। हालांकि एक अन्य बीमा का क्लेम किया गया था, मगर आज तक उसकी राशि विधवा महिला तक नहीं पहुंच पाई है। बैंक प्रबंधन की ओर से भी कोई ठोस जानकारी नहीं दी जा रही, जिससे मालती को बार-बार बैंक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

ढाई वर्ष में भी नहीं बना अंत्योदय राशन कार्ड…
मालती बताती हैं कि विधवा हुए उन्हें करीब ढाई साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका, लेकिन अब तक उनका अंत्योदय राशन कार्ड नहीं बन सका है। उन्होंने सरपंच के माध्यम से चार बार 35 किलो चावल मिलने हेतु आवेदन दिया, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। आज भी वह सरकारी उचित मूल्य की दुकान से सस्ते चावल के लिए तरस रही हैं।

एसडीएम ने दिया भरोसा
इस मामले की जानकारी एसडीएम सागर सिंह को दी गई, जिस पर उन्होंने कहा तत्काल इनके प्रकरण को दिखवाता हूं। विधवा महिला का अहित नहीं होगा और उसे सभी सरकारी योजनाओं का लाभ शीघ्र दिलवाया जाएगा।”

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