सत्य, अहिंसा, सेवा, परोपकार का पालन करने से गृहस्थ आश्रम में सुखी रहा जा सकता है…
सत्य, अहिंसा, सेवा, परोपकार का पालन करने से गृहस्थ आश्रम में सुखी रहा जा सकता है
माया तो छाया है, इसको पाने की इच्छा में फंसना नहीं चाहिए…
सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। विश्व विख्यात निजधाम वासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, वक्त गुरु परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने सीतापुर जिले के खैराबाद आश्रम पर दिए सतसंग में बताया कि पहले के समय में लोग महात्माओं के पास जाकर पाप-पुण्य की जानकारी करते थे। आत्मा जब दु:खी रहती है तो शरीर को सुख नहीं मिलता है। अमावस्या-पूर्णिमा पर दान-पुण्य करने से सुगम फल मिलता है। धार्मिक रूप से पवित्र मानी जानी वाले नदियों में स्नान करने से शारीरिक लाभ मिलता है तथा देवी-देवताओं को भेंट चढ़ाने से लोगों में धर्म के प्रति आस्था जगती और बढ़ती है।
धन को अच्छे काम में लगाने से बरकत मिलती है
धन से किया गया पाप जैसे जुआ खेलने, चोरी करने, दूसरे के हिस्सा खाने पर मन वही करता है। अगर उन पाप कर्मों को काटा ना जाए तो बरकत नहीं मिल पाती है। बाबाजी ने कहा कि गृहस्थ में बचे हुए धन को यदि अच्छे कामों में जैसे नंगे, भूखे, प्यासे, दुखियों की मदद करने में लगाते हैं तो बरकत मिलती रहती है। कुछ लोग स्वार्थपरता में जानवरों की बलि दे देते हैं, उसे अच्छा काम मानते हैं। जबकि जीव हत्या के पाप के फल स्वरूप ऐसे लोगों का दु:ख दूर नहीं होता, साथ ही अनजान में किए गए पाप का भी फल भुगतना पड़ता है। इसीलिए सभी जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों के जीवन की रक्षा करनी चाहिए। लोगों को सोचना चाहिए कि यदि सब लोग शाकाहारी हो जाएं तो जानवरों को काटना बंद हो जाएगा।
ज्यादा लोभ और लालच में नहीं फंसना चाहिए
जैसे मदारी चने को बिखेर कर डाल देता है तो बंदर चने को खाता है और ज्यादा चने खाने की इच्छा वश, लालची होकर पास रखे हुए पतले मुँह के मटके में अपना हाथ फंसा लेता है, बंदर फंस जाता है और मदारी उसे पकड़ कर गली-गली में नचाता है। उसी तरह मनुष्य मरकट सम अनाड़ी बन गया है। कहा गया –
“मरकट सम तुम बने अनाड़ी, मुट्ठी दीन्हा घड़े पसारी”
यानी इंसान लोभ-लालच के चक्कर में पड़कर मरकट (बंदर) के समान अनाड़ी बन गया है, माया के पीछे भाग रहा है पर माया तो छाया है, इसको पाने की इच्छा में फंसना नहीं चाहिए। सब काम को कर लो लेकिन इसमें फंसो नहीं।
बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम – ‘जयगुरुदेव’
किसी भी बीमारी, दुःख, तकलीफ, मानसिक टेंशन में शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त रहते हुए “जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव” की ध्वनि रोज सुबह-शाम बोलिए व परिवार वालों को बोलवाइए और फायदा देखिए।