मध्यप्रदेश

स्वस्थ शरीर के लिए नियम व संयम जरुरी – बाबा उमाकान्त महाराज

स्वस्थ शरीर के लिए नियम व संयम जरुरी – बाबा उमाकान्त महाराज

तुलसी की पत्ती में हजार तरह के गुण होते हैं

उज्जैन। बाबा उमाकान्त महाराज ने सतसंग में स्वस्थ शरीर के लिए कुछ नियम बताए। पूज्य महाराज जी ने बताया कि यह नियमावली में डाल दिया गया है कि “दिनांतरे पिवेत दुग्धम्, निशांतरे पिवेत वारि।” रात को दूध पीकर सोने से पेट साफ हो जाता है। सुबह उठो पानी पियो तो पेट साफ होगा। इसके अलावा “भोजनानंतरे पिवेत तक्रम्” तक्र, छाछ (मट्ठा) को कहते हैं। तक्र के लिए कहा है “शक्रस्य तक्रम दुर्लभम्” तो यह जो छाछ होती है इन्द्र (शक्र) को भी दुर्लभ है, नहीं मिलती है। बहुत फायदेमंद होती है ये। पहले के समय में लोग सूरज निकलने से पहले लोग उठते थे। आज की तरह से 9:00 बजे नहीं, सुबह जल्दी उठते थे और 11-12 के बीच में भोजन खा लेते थे।

तुलसी पत्ती का काढ़ा बुखार में लाभदायक

बुखार आ गया हो, तो तुलसी की पत्ती 8-10 ले लो, थोड़ा सा कूट लो और कूट करके, उबाल करके उसको पीओ। उसके बाद बिना ए.सी. या पंखा चलाए रजाई ओढ़ करके लेट जाओ और खूब पसीना निकलने दो। सुबह, दोपहर और शाम में भी इसी तरह से 3 दिन पी लो नौ खुराक, तो बुखार कम हो जाएगा, उतर जाएगा। और अगर कुछ कमी रह जाए तो इसी तरह से दो दिन और पी लो।

भोजन का पचाव कैसे शुरू किया जाए ?

कहते हैं कि-
“खाय के मूते पड़े उतान, स्वांसा आठ पेट परमान।
बत्तीस बांए सोलह दाएं, तब रस बने अन्न के खाए।।”
खाने के बाद चित लेट जाओ, जब 8 बार सांस चल जाए तो बांए करवट लेट करके 32 सांस चलने के बाद, दाहिने करवट लेट करके और 16 सांस लेकर के फिर उठ जाओ। अब इसमें अगर 5-10 मिनट लगता है आपके पास टाइम बिल्कुल नहीं है तो पीठ के बल लेट जाओ किसी से कह दो थोड़ा सा 2 मिनट दबा दे तो भी भोजन का पचाव शुरू हो जाता है।

संयम और नियम भी बहुत जरूरी है।

कहा गया कि किसी-किसी मामले में जानवर और पक्षी संयम नियम का पालन ज्यादा करते हैं। कैसे करते हैं? उदाहरण के लिए मानलों कोई पेट भर करके खा कर आया और उसके सामने रसगुल्ला रख कर के कहो कि खा लीजिए। तो कहेगा “नहीं नहीं अभी तो पेट भरा हुआ है; अभी भोजन करके आएं हैं”। फिर कहो “ले लीजिए थोड़ा सा”, तो थोड़ी देर तो उसको देखता रहेगा, फिर एक उठाएगा और खा लेगा, जब खत्म हो जाएगा तो दूसरा भी खा लेगा। अब अगर उसकी तरफ ना देखो तो पूरी प्लेट में जितने भी रसगुल्ले हैं, सब खा जाएगा। इसके विपरीत अगर कोई कुत्ता खा कर आया है और उसके सामने बढ़िया से बढ़िया चीज खाने के लिए रख दो, तो सूंघ करके छोड़ देता है या कहीं दबा करके रख देता है और जब भूख लगती है तब खाता है। तो इस तरह से जानवर संयम और नियम का ज्यादा पालन करते हैं।

बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम “जयगुरुदेव”

किसी भी बीमारी, दुःख, तकलीफ, मानसिक टेंशन में शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त रहते हुए जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव की ध्वनि रोज सुबह-शाम बोलिए व परिवार वालों को बोलवाइए और फायदा देखिए।

Related Articles

Back to top button