छत्तीसगढ़

CG – सरायपाली में गरबा उत्सव 2025 का भव्य समापन सांस्कृतिक चेतना और मातृशक्ति का अद्भुत संगम पढ़े पूरी ख़बर

सरायपाली//दुर्गावाहिनी मातृशक्ति और विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘गरबा उत्सव 2025’ सरायपाली के सिमरन पैलेस में बड़े ही हर्षोल्लास और भक्तिमय वातावरण के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान न होकर, सांस्कृतिक चेतना, सामूहिक एकता और नारी शक्ति के जागरण का एक प्रेरक पर्व बन गया, जिसकी सफलता में जिला संयोजिका अनिता चौधरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस उत्सव को ‘सांस्कृतिक चेतना और मातृशक्ति का अद्भुत संगम’ बताया।

भक्ति और शक्ति का दिव्य आरंभ

कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ माँ दुर्गा की विधिवत पूजा और शस्त्र पूजन से हुआ। मंत्रोच्चार, दीप प्रज्वलन और पारंपरिक विधियों के साथ शुरू हुए इस आयोजन ने पूरे वातावरण में भक्ति, श्रद्धा और उत्साह की पवित्र धारा प्रवाहित कर दी। उपस्थित जनसमूह ने माता की आराधना और शक्ति की उपासना के बीच एक अलौकिक अनुभव प्राप्त किया।

मातृशक्ति का नेतृत्व और समर्पण

इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में मातृशक्ति का उल्लेखनीय योगदान रहा। विशेष रूप से अनिता चौधरी (जिला संयोजिका), नमिता साहू (प्रखंड संयोजिका),गौरी बग्गा (नगर संयोजिका),सुरेन्द्री पटेल (सह संयोजिका प्रखंड), डिम्पल पटेल (उपाध्यक्ष), ललिता सिदार (दुर्गा वाहिनी जिला संयोजिका) समेत मुस्कान गुप्ता, अमीषी गुप्ता, खुशी गुप्ता, डॉली मिश्रा, विमला दास और नेहा यादव का सक्रिय सहयोग रहा। इनके समर्पित प्रयासों और मार्गदर्शन से ही यह उत्सव अपनी भव्यता और सफलता के शिखर तक पहुँचा। इनके साथ ही सरिता साहू, शांति मिश्रा, सारिका सेन, सीमा चौधरी, पुष्पा पटेल और बजरंग दल के पदाधिकारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
गरबा नृत्य: श्रद्धा और उल्लास की जीवंत प्रार्थना उत्सव का मुख्य आकर्षण माँ की भक्ति में डूबा हुआ पारंपरिक गरबा नृत्य रहा। युवतियों और मातृशक्ति ने जब रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सज्ज होकर गरबा प्रस्तुत किया, तो पूरा परिसर उल्लास और भक्ति से गूंज उठा। ढोल, मंजीरा और भजन-कीर्तन की धुनों पर थिरकते कदम मानो माता रानी के दरबार में अर्पित एक जीवंत प्रार्थना थे। इस गरबा ने यह संदेश दिया कि यह केवल नृत्य नहीं है,बल्कि माता के प्रति अटूट श्रद्धा और सामूहिक जागरण का प्रतीक है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने इस नृत्य में उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे यह आयोजन पीढ़ियों के बंधन को भी मजबूत करने वाला साबित हुआ।

पहचान और परंपरा को सशक्त बनाने का संकल्प

भव्य पंडाल में सजी सजावट, रोशनी और देवी की अलौकिक प्रतिमा ने वातावरण को और भी दिव्य बना दिया था। उत्सव में शामिल लोगों ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल भारतीय परंपरा और संस्कृति को सहेजते हैं, बल्कि समाज को एक सूत्र में बाँधकर नारी शक्ति के महत्व को भी उजागर करते हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि आज जब पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बढ़ रहा है, तब इस प्रकार के पारंपरिक आयोजन हमारी जड़ों और हमारी पहचान को और भी सशक्त करते हैं। समापन अवसर पर, आयोजकों ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और सहयोगियों का तहेदिल से आभार व्यक्त किया। उन्होंने दोहराया कि यह उत्सव तभी सार्थक है जब इससे समाज में मातृशक्ति के प्रति सम्मान और सांस्कृतिक चेतना जागृत हो। उपस्थित जनों ने सरायपाली की गौरवशाली परंपरा को बनाए रखने के लिए भविष्य में भी ऐसे आयोजनों को निरंतर आगे बढ़ाने का सर्वसम्मत संकल्प लिया।

गरबा उत्सव 2025 वास्तव में सरायपाली की सांस्कृतिक धरोहर और मातृशक्ति की असीम शक्ति का अद्भुत संगम बनकर हमेशा के लिए स्मृतियों में दर्ज हो गया।

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