गुरु महाराज ने तीन यज्ञ किए थे और चौथा महायज्ञ कहा था आगे होगा, तो वो होगा और उसमें करोड़ों की भीड़ होगी – बाबा उमाकान्त महाराज

गुरु महाराज ने तीन यज्ञ किए थे और चौथा महायज्ञ कहा था आगे होगा, तो वो होगा और उसमें करोड़ों की भीड़ होगी – बाबा उमाकान्त महाराज
जीवों को पकड़ने के लिए संत बहुत से उपाय निकालते रहते हैं, जिससे संस्कारी जीव वहां खींच कर के पहुंच जाते हैं।
अंबाला, हरियाणा। परम् सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने 16 अगस्त 2025 के सतसंग में कहा कि सन्तमत में यज्ञ नहीं होता है लेकिन जीवों को पकड़ने के लिए गुरु महाराज ने बहुत से उपाय निकाले थे। समय-समय पर निकालते रहते थे जिससे संस्कारी जीव वहां खींच कर के पहुंच जाते थे। जो धार्मिक विचारधारा के लोग हैं और कहीं न कहीं फंसे हुए हैं, वे यह देखते हैं कि हमारे काम की चीज है वहां चलना चाहिए; तब वे चले जाते हैं।
जैसे कहीं भंडारा हो, सतसंग हो, शाकाहारी भोजन मिलने को हो तो शाकाहारी लोग चले जाएंगे; वे मांसाहारियों के यहां कहीं भोजन खाने को होगा तो नहीं जाएंगे। ऐसे ही धार्मिक लोग खींच कर के चले आते हैं, महात्मा खींच लेते हैं; जीवों की डोर उनके हाथ में रहती है।
चौथा यज्ञ होगा लेकिन देर में होगा
बहुत पहले की बात है; गुरु महाराज ने यज्ञ किया था। 1977 से शुरू हुआ था; पहला यज्ञ अयोध्या में हुआ, दूसरा अहमदाबाद में हुआ, तीसरा काशी में हुआ। उस समय ये तीन यज्ञ गुरु महाराज ने किए थे और कहा था कि चौथा यज्ञ होगा लेकिन देर में होगा। चौथा यज्ञ होगा तो; लेकिन वह कब होगा, कहां होगा यह आपको नहीं मालूम है; वह भी होगा।
महात्माओं की बात गलत नहीं होती है, कहा गया,
“वृथा न जाइ देव ऋषि वाणी”
देवताओं और महात्माओं की बातें बेकार नहीं जाती हैं, वे हो कर ही रहती हैं; सन्तों की बातें अमिट हो जाती हैं, तो यज्ञ तो होगा।
अब गुरु महाराज के बहुत से शिष्य जो मनमुखी थे वे तो चौथा महायज्ञ कर डाले अभी से, लेकिन हुआ नहीं है अभी; होगा। उस यज्ञ में करोड़ों की भीड़ होगी, वह बहुत बड़ा यज्ञ होगा।
समरथ गुरु में सारे देवी-देवता समाए हुए रहते हैं
समरथ गुरु जो होते हैं वे गुरुओं के भी गुरु होते हैं, उनमें सारे देवी-देवता समाए हुए रहते हैं। पूरी ताकत उनमें होती है। उनके रोम-रोम में ताकत होती है। अहमदाबाद में जब गुरु महाराज ने यज्ञ किया, तब वहां 105 वर्ष की आयु के पंडित जी थे; विद्वान थे। वही पंडित जी उन सैकड़ों विद्वान लोग जो वहां यज्ञ के लिए बुलाए गए थे, जो वेद मंत्रों के द्वारा देवताओं को बुलाए थे और आहुति दिए थे, उनको खिलाए थे; उनके आचार्य थे।
गुरु महाराज जब वहां कभी-कभी जाते थे तब उन पंडित जी ने जो देखा वह बताया; बोले कि बाबाजी जब आते हैं तब उनके पैर के अंगूठे में, मैं देवताओं का दर्शन करता हूं, मैं देखता हूं कि उनके पैर के अंगूठे में देवता चिपके हुए हैं। तो अब आप यह सोचो कि सन्त की कितनी बड़ी महिमा होती है। इसीलिए कहा गया,
“सन्तों की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत दिखावनहार।।”