मध्यप्रदेश

गुरु महाराज का जीवों को समझाने का तरीका अलग-अलग रहा, लेकिन लक्ष्य यही रहा कि जीव इस दुख के संसार से निकल जाएं…

गुरु महाराज का जीवों को समझाने का तरीका अलग-अलग रहा, लेकिन लक्ष्य यही रहा कि जीव इस दुख के संसार से निकल जाएं

सन्तों की यह परंपरा रही है कि किसी ना किसी को अपना काम दे कर के जाते हैं – बाबा उमाकान्त महाराज

उज्जैन। बाबा उमाकान्त महाराज ने सतसंग में बताया कि इस परिवर्तनशील संसार में महापुरुष, समय-समय पर आते रहे हैं और उन्होंने जीवों को जगाने का काम किया है। समय-समय पर उन्होंने जीवों को नाम बताया है; भजन और साधना बताया है, सेवा कराई है और सतसंग सुनाया है। आने वाले समय का उन महापुरुषों ने भी इंतजार किया, गुरु महाराज ने भी इंतजार किया और हम और आपने भी किया। गुरु महाराज इस धरती पर बहुत बड़ी शक्ति ले कर के आए थे और समय-समय पर उन्होंने जीवों को जगाया।

सबसे पहले उन्होंने “जयगुरुदेव नाम परमात्मा का” और बाद में “जयगुरुदेव नाम प्रभु का” बताया और उसका प्रचार करवाया। उसके बाद उन्होंने जीवों को समझाने का, सन्तमत के बारे में बताने का आदेश दिया, क्योंकि सन्तमत पिछड़ा जा रहा था। प्रचार के द्वारा लोगों को समझा कर के नामदान दिलाया और भजन कराया। फिर साप्ताहिक सतसंग का आदेश दिया। उसके बाद यात्रा के द्वारा प्रचार किया गया और फिर शाकाहारी का प्रचार करवाया। उसके बाद में फिर उन्होंने जगह-जगह पर साधना शिविर लगवाने का आदेश दिया था, जो लगातार 9-9 दिन ,11-11 दिन तक चला था।
गुरु महाराज का जीवों को अपने पास बुलाने का, उनको समझाने का तरीका अलग-अलग रहा लेकिन लक्ष्य उनका यही रहा कि ये जीव पार हो जाएं, ये अपने घर पहुंच जाएं, इस दुख के संसार से निकल जाएं।

किसी भी तरह से जीव के समझ में आ जाए कि उसके लिए प्रयास किया गया

जो काम गुरु महाराज को उनके गुरु ने सौंपा था, शरीर साथ ना देने की वजह से, इस दुनिया-संसार से चले गए। सन्तों की यह परंपरा रही है कि किसी ना किसी को अपना काम दे कर के जाते हैं; तो उन्होंने मुझ नाचीज़ को चुना और मेरे लिए आदेश दे कर के गए। तो मैं तो उन्हीं के पदचिन्हों पर चला और हमने भी यह काम किया और आप प्रेमियों ने भी यह काम किया। कौनसा काम? जिस समय पर जिस प्रचार-प्रसार की जरूरत पड़ी उसको किया गया, लोगों को बुलाया, सतसंग सुनाया, कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, काफिला निकाला गया ताकि किसी भी तरह से जीव के समझ में आ जाए; उसका प्रयास किया गया और उसका परिणाम भी अच्छा गया।

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