छत्तीसगढ़

CG – बड़ेराजपुर क्षेत्रों में धुमधाम के साथ मनाया गया हरेली…

बड़ेराजपुर क्षेत्रों में धुमधाम के साथ मनाया गया हरेली

फरसगांव/विश्रामपुरी। कोंडागांव जिले के विकासखण्ड बड़ेराजपुर अंतर्गत सभी क्षेत्रों में हरेली त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया, जिसमें हरेली छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार माना जाता है, जो कृषि और हरियाली से जुड़ा है। यह त्यौहार किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन वे अपने खेती के उपकरणों की पूजा करते हैं।

परंपराएं :

हरेली के दिन, किसान अपने हल, बैलगाड़ी, और अन्य कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं। वे देवी-देवताओं को भी चढ़ावा चढ़ाते हैं, और घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जैसे कि गुलगुल भजिया और गुड़ का चीला।

गेड़ी :

हरेली त्यौहार में बच्चे और युवा गेड़ी का भरपूर आनंद लेते हैं। गेड़ी बांस से बनी एक पारंपरिक सवारी है, जिसे बच्चे और युवा एक-दूसरे के साथ दौड़ने और खेलने के लिए इस्तेमाल करते हैं.

सांस्कृतिक महत्व :

हरेली त्यौहार छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्यौहार न केवल कृषि से जुड़ा है, बल्कि यह लोगों के बीच एकजुटता और भाईचारे की भावना को भी बढ़ावा देता है. इसी तरह हरवेल क्षेत्रों में भी हरेली त्यौहार मनाया गया ग्राम हरवेल के सरपंच प्रतिनिधि महेश नेताम द्वारा सभी को छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली की शुभकामनाएं दी गई सुबह से ही रिमझिम बारिश भी शुरू हो गई थी

परंपरा के अनुसार वर्षों से छत्तीसगढ़ के गांव में अक्सर हरेली तिहार के पहले बढ़ई के घर में गेड़ी का ऑर्डर रहता था और बच्चों की जिद पर अभिभावक जैसे-तैसे गेड़ी भी बनाया करते थे। हरेली तिहार के दिन सुबह से तालाब के पनघट में किसान परिवार, बड़े बजुर्ग बच्चे सभी अपने गाय, बैल, बछड़े को नहलाते हैं और खेती-किसानी, औजार, हल (नांगर), कुदाली, फावड़ा, गैंती को साफ कर घर के आंगन में मुरूम बिछाकर पूजा के लिए सजाते हैं। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं। कृषि औजारों को धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ के चीला का भोग लगाया जाता है। अपने-अपने घरों में अराध्य देवी-देवताओं के साथ पूजा करते हैं।
इसी तरह ग्राम हरवेल, बालेंगा, पिटीसपाल, तितरवंड, किबड़ा, डिहीपारा, तर‌ईबेड़ा, पीढ़ापाल, पातरीपारा, कुल्दाडिही और अन्य क्षेत्रों में धुमधाम के साथ मनाया गया।

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