छत्तीसगढ़

CG – इंद्रावती है तो हल है – सनत कुमार जैन

इंद्रावती है तो हल है – सनत कुमार जैन

जगदलपुर। बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी के जलसंकट पर चिंतन एवं जागरूकता हेतु नारा, कविता और लेख की प्रतियोगिता का आयोजन विगत दिनों साहित्य एवं कला समाज जगदलपुर द्वारा किया गया था। इस प्रतियोगिता के परिणाम घोषित कर विजेताओं और प्रतिभागियों को नगद राशि, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रिटायर्ड विंग कमांडर श्री जितेन्द्र प्रसाद पात्रो, रिटायर्ड ले. के एल कोस्टा, स्वामी शिवदासानंद , बी एल विश्वकर्मा एवं अनिता राज थे। प्रायोजक साहित्य एवं कला समाज के अध्यक्ष सनत जैन द्वारा मंच संचालन करते हुये बताया कि लगभग साठ से ज्यादा प्रतिभागियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया जो कार्यक्रम की भव्य सफलता को इंगित करता है। प्रतियोगिता की विशेष बात यह थी कि सेंन्ट्रल जेल के दो कैदियों ने नारा लेखन व आलेख में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

नारा लेखन पर प्रथम पुरस्कार सुरेन्द्र नाग (जगदलपुर) को दिया गया जिन्होंने नारा दिया-चलो प्रतिदिन कुछ श्रमदान करें / इंद्रावती को बचाने का पुनीत काम करें।

द्वितीय पुरस्कार कु. अनामिका नेताम (फुपगांव, फरसगांव) को प्राप्त हुआ। जिनका नारा था-जल है तो कल है, इंद्रावती है तो हल है।

तृतीय पुरस्कार श्री सौमित बसाक (जगदलपुर) को प्राप्त हुआ जिनका नारा था -इंद्रावती लुप्त, बस्तर सुसुप्त!

सांत्वना पुरस्कार कु. शिवांगी यदु (जगदलपुर) को ’इंद्रावती को बचाने अब आंदोलन करना होगा, जोरानाला एनीकट को तत्काल खोलना होगा।’ नारे पर दिया गया।

सांत्वना पुरस्कार मनोज पानीग्राही (जगदलपुर) को ’जोरा नाला का जल विवाद, इंद्रावती हो रही बरबाद।’ पर दिया गया।
कविता लेखन में प्रथम पुरस्कार कामना पाण्डे (बिलासपुर) को इस कविता पर दिया गया-

कल-कल बहती जल धारा पर, किसने संकट डाला है। / विस्तारित जल का प्रवाह थी,दिखती अब वह नाला है।

द्वितीय पुरस्कार करमजीत कौर (जगदलपुर) को कविता की इन पंकितयों पर दिया गया-

दो राज्यों के झूठे समझौतो में पिसती इंद्रावती नदी। / उदास होती प्राण दायनी इंद्रावती / जरूरत है इंद्रावती को, प्यार की /राजनीतिक छल प्रपंचों से दूर, ख्याल की। /खिल उठेगी, फिर बहेगी, उत्साह से ,उमंग से /इठलाती बलखाती, फिर बढ़ेगी बढ़ चलेगी /नदी फिर हंसेगी जरूर हंसेगी।

तृतीय पुरस्कार विनय श्रीवास्तव (जगदलपुर) को इन पंक्तियों पर प्रदान किया गया-

जोरा सा इक मुख, मार्ग पर, / सुरसा सा जो खुला भयंकर। / पलटा प्रवाह, विचलित धारा, /लील गया जल सब मन-भर।
सांत्वना पुरस्कार श्री अनिल शुक्ला (जगदलपुर), कु. नियति साहू (कुरूद, धमतरी) एवं मोहिब हुसैन अम्बिकापुर को प्रदान किया गया।

आलेख का प्रथम सम्मान मुकेश कुमार साहू (जगदलपुर) द्वितीय सम्मान कु. प्रियंका मरकाम (कुंदाडीही, बड़ेराजपुर) तृतीय सम्मान श्री जितेश कुमार (रायपुर) को दिया गया।

जिनके सहयोग से सम्मान राशि मोमेन्टो एवं सम्मान पत्र दिया गया वे हैं जगदलपुर से सुश्री अनिता राज, गणेश लुंकड, मनोज पानीग्राही, महेश तेन्नेटी, डॉ सुषमा झा, विपिन बिहारी दाश, डॉ रूपेन्द्र कवि एवं सोनिका कवि, सुरेश दलाई, सतरूपा मिश्र, डॉ प्रमोद शुक्ला, किशोर टाटिया, सुरेन्द्र कुमार, के आर तिवारी एवं शांति तिवारी, अंश जैन महावीर बुक डिपो, सनत जैन सन्मति इलेक्ट्रीकल्स तथा कोण्डागांव से इंजी एस पी विश्वकर्मा, उमेश मण्डावी एवं दिनेश विश्वकर्मा। कार्यक्रम के मंच पर सहयोगी प्रायोजकगणों में से कुछ उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में गरीब व मेधावी छात्राओं को विगत इक्कीस वर्षों की भांति के आर तिवारी एवं श्रीमती शांती तिवारी परिवार की ओर से रामु स्मृति छात्रवृत्ति प्रदान की गयी। तत्पश्चात श्रीमती शांती तिवारी द्वारा लिखित ’कचहरी की आत्मकथा’ पुस्तक का विमोचन किया गया। जिसकी समीक्षा डॉ कौशलेन्द्र मिश्र जी द्वारा की गयी। इस पुस्तक में वर्तमान न्यायव्यवस्था पर साहसपूर्ण ढंग सच्चाई को उद्घाटित किया गया है।

आपरेश सिंदूर की सफलता पर पूर्व ंिवग कमांडर पात्रो जी ने कहा कि समाज के प्रत्येक सदस्य अपने अपने क्षेत्रों में अपना असीम योगदान प्रदान कर रहे हैं तब देश उन्नति कर रहा है। इसलिये सभी योद्धा हैं। पूर्व ले. कोस्टा जी ने कहा कि दुश्मन देश यह न समझे कि भारत के सैनिक कुछ न करेगे, बल्कि जब भी कोई भारत पर हमला करने की कोशिश करेगा तब तब उसे मुंह की खानी पड़ेगी। भारत के सैनिक अपनी मां भारती के हमेशा अपने प्राण न्यौछावर करने को तत्पर रहते हैं।

हमेशा की तरह बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स के सहयोग से वहां के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सहयोग नरेन्द्र पाढ़ी एवं ममता जैन द्वारा किया गया।

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