यदि नवरात्रि में केवल नींबू पानी वाला उपवास और उसके बाद बराबर परहेज किया जाए तो बहुत सी बीमारियों में आराम मिलेगा – बाबा उमाकान्त महाराज

यदि नवरात्रि में केवल नींबू पानी वाला उपवास और उसके बाद बराबर परहेज किया जाए तो बहुत सी बीमारियों में आराम मिलेगा – बाबा उमाकान्त महाराज
महात्माओं द्वारा बनाए गए नियम वैज्ञानिक लाभ वाले नियम हैं
उज्जैन (म. प्र.)। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने कहा कि साल में दो बार नवरात्रि आती है। एक तो जब बरसात (वर्षा ऋतु) खत्म होने को होती है और ठंडी आने का समय होता है, तब कुआर (अश्विन महीना) में आती है। दूसरी, ठंडी जब खत्म होती है और गर्मी आने का समय होता है, तब आती है। नवरात्र के समय मौसम की संधि होती है। संधि का मतलब होता है समझौता, कि अब तुम जाओ, हम आ रहे हैं। तो यह जो संधि का समय होता है, यह मनुष्य के जानने और समझने का होता है। इस समय पर तत्वों (जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु और आकाश) में बदलाव बहुत तेजी से होता है। जैसे ठंडी में रहते हो तो यह शरीर ठंडी का आदि हो जाता है, सर्दी बर्दाश्त करनी पड़ती है और जब गर्मी आती है तो गर्मी में उसी तरह से रहना पड़ता है, गर्मी बर्दाश्त करनी पड़ती है। तो यह जो बीच का समय होता है यह तकलीफ देह होता है। तत्व इसमें बदलते हैं, तो थोड़ी सी यदि असावधानी हो गई, तो तकलीफ आदमी की बढ़ जाती है।
पेट को साफ रखने के लिए महात्माओं ने व्रत रखने का नियम बना दिया
जैसे इंसान के द्वारा बनाई हुई मशीन में कोई कमी आ जाती है, तो वह रुक जाती है, ऐसे ही भगवान द्वारा बनाई गयी यह मनुष्य रूपी मशीन भी कोई कमी आ जाने पर रुक जाती है। तरह-तरह की दिक्कतें आती हैं, तो कहते हो चल नहीं पाते हैं, सिर में दर्द है, दस्त आ गया, कमजोरी आ गई, आंख से दिखाई नहीं पड़ता है, हाथ से कुछ उठाने की ताकत नहीं रह गई। ये सब क्यों होता है ? इसलिए होता है क्योंकि ये मशीन काम नहीं करती है। इस मशीन की बाहर से लेकर अंदर तक सन्तों को पूरी जानकारी होती है। सन्त अंदर और बाहर दोनों से देखते हैं कि इसका क्या सिस्टम है। यह शरीर के अंदर बहुत सी मशीनरी हैं। शरीर में बहुत से ऐसे कीड़े पैदा हो जाते हैं जो नुकसान करते हैं। कुछ कीड़े ऐसे होते हैं जो पेट में पड़े रहते हैं, अंगों में पड़े रहते हैं और उनको जब उनका अनुकूल वातावरण मिल जाता है तब वह बढ़ जाते हैं और तेजी से अपना काम करने लगते हैं, तो तकलीफें बढ़ जाती हैं। तो इस मौसम के बदलाव के समय अगर सावधानी ना बरती जाए तो पेट खराब हो जाता है और पेट जब खराब हो जाता है तो पेट की बीमारी की वजह से अन्य बीमारियां भी आ जाती हैं। इसीलिए पेट को साफ रखने के लिए महात्माओं ने व्रत रखने का नियम बना दिया।
नींबू पानी के व्रत से लोगों को घुटने का दर्द, गैस की समस्या, ब्लड प्रेशर एवं अन्य बीमारियों में भी बहुत फायदा हुआ
यह जो नियम बनाए गए, यह वैज्ञानिक लाभ वाले नियम हैं। जैसे व्रत में सबसे बढ़िया उपवास क्या होता है? नींबू निचोड़ो पानी में और पी गए, तो पेट साफ हो जाएगा। जो वृद्ध हैं, दवा खा रहे हैं, बीमारी है उनकी बात तो अलग है, लेकिन यदि कोई स्वस्थ आदमी नौ दिन नींबू पानी वाला उपवास करे और उसके बाद भी परहेज बराबर करता रहे कि भूख लगे तब खाओ, जितना हजम कर सके उतना ही खाओ, जो आपके स्वास्थ को सूट करे वही खाओ, जैसा मौसम है वैसा ही खाओ, तो छः महिना तक बीमारी आस-पास भी नहीं आएगी। आंतड़ियों में जब मल जमा हो जाता है, तो उसके लिए पेट को खाली होना चाहिए। नींबू पानी खारा होता है और कहीं दाग भी लगा हुआ हो, वहां लगाओ तो वह भी साफ हो जाता है। ऐसे ही शरीर की सफाई भी ठीक तरह से होती है। इसको करने से कितने लोगों ने बताया कि घुटने का दर्द ठीक हो गया, गैस ठीक हो गया, सिर दर्द पता ही नहीं कहाँ चला गया, तो फायदा तो बहुत हुआ। अब यह है कि किसी को नींबू नुकसान करता है, तो उसका भी उपाय है कि जो चीज आदमी को सूट करती है वही चीज खाई जाए लेकिन बहुत कम खाई जाए, खाली रखा जाए पेट को, एक समय ही खाया जाए, जैसे खिचड़ी है, उबला हुआ आलू है या अन्य कोई साग सब्जी उबालकर के, बगैर तेल मसाले की खाई जाए तो उससे भी बहुत फायदा दिखाई पड़ता है।