मध्यप्रदेश

बदलाव लाने में अगर हम लग जाएं, तो गुरु महाराज की पूरी दया मिलेगी और इस धरा पर ही सतयुग उतर आएगा – बाबा उमाकान्त महाराज

बदलाव लाने में अगर हम लग जाएं, तो गुरु महाराज की पूरी दया मिलेगी और इस धरा पर ही सतयुग उतर आएगा – बाबा उमाकान्त महाराज

सतयुग का नजारा जब आ जाएगा, तब लोग सुखी और शांति से रहने लगेंगे

उज्जैन। बाबा उमाकान्त महाराज ने 8 जून, 2025 को सतसंग में कहा कि गुरु महाराज परिवर्तन चाहते हैं। अब जो बुद्धिजीवी लोग हैं, वे दिमाग लगाएंगे, कहेंगे कि परिवर्तन तो यहां रोज होता रहता है। होता भी है, क्योंकि यह दुनिया-संसार परिवर्तनशील है ही। लेकिन कभी-कभी भारी परिवर्तन होता है, बड़ा परिवर्तन होता है और तुरंत वह सबको दिखाई पड़ने लगता है। जैसे 1977, अयोध्या में, गुरु महाराज के यज्ञ के समय की बात है; मैंने देखा; एक दिन में भीषण गर्मी का अनुभव किया, फिर भीषण बरसात का अनुभव किया और उसके बाद जहां लोग गर्मी से तप रहे थे, वहां पर पुआल जला-जला करके सेंकने लगे; इतनी ठंडी हो गई। तो एक दिन में देखो कई बार परिवर्तन हुआ, ऐसा परिवर्तन लोगों को दिखाई पड़ने लगता है।

भारी बदलाव होगा और उसे साधक लाएंगे।

परिवर्तन होगा, बदलाव होगा और भारी बदलाव होगा। और उस बदलाव को गुरु महाराज चाहते हैं कि जल्दी हो जाए। अब हम और आप अगर उसमें लग जाएंगे तो गुरु महाराज की पूरी दया मिलेगी और इस धरा पर ही सतयुग उतर आएगा। इस धरती पर ही सतयुग का नजारा दिखाई पड़ने लगेगा और सतयुग का नजारा जब आ जाएगा तब लोग सुखी हो जाएंगे, तब लोग योगी-विज्ञानी हो जाएंगे, तब लोग बहुत आनंद में, शांति में रहने लग जाएंगे। लेकिन उसको करेगा कौन? लाएगा कौन? और देखेगा कौन? साधक लाएंगे, साधक देखेंगे। इसलिए साधक समाज तैयार करना है।

जो नामदानी हैं, उनमें पहले बदलाव लाना है।

जो नामदानी हैं, उनमें पहले बदलाव लाना है। उनमें भाव भरना है; क्योंकि वे गुरु के जीव हैं और अपना फर्ज बनता है, उनको सबसे पहले साधना में लगाया जाए। सतसंग और नामदान अभी बंद कर दिया गया है; हमेशा के लिए नहीं किया है, गुरु महाराज की जब मौज होगी तो फिर शुरू किया जाएगा लेकिन कम से कम यह जो लुटा दिया गया है (नाम) और यह लूट लिए हैं, जिसको समझ नहीं पा रहे हैं, बीज तो पड़ ही गया है, तो उनके अंदर अंकुरित तो हो जाए। इसलिए इस काम में लगने की जरूरत है। तो बदलाव लाने की, अच्छा व साधक समाज बनाने की इस समय पर जरूरत है।

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