अगर आप साधना करोगे नहीं और करवाओगे नहीं तो समझ लो कि ‘विनाश अवश्यंभावी – बाबा उमाकान्त महाराज

अगर आप साधना करोगे नहीं और करवाओगे नहीं तो समझ लो कि ‘विनाश अवश्यंभावी – बाबा उमाकान्त महाराज
साधना का यह क्रम बन्द नहीं होगा बल्कि और बढ़ेगा क्योंकि इसी से सब काम होगा, इसी से परेशानियां जाएंगी।
जयपुर। चौबीस घंटे की घाट की साधना के पांचवे चरण के समापन पर पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने सतसंग की मौज फरमाई। बाबाजी ने कहा कि साधना करने का जो यह क्रम चल रहा है, यह बन्द नहीं होगा बल्कि बढ़ेगा और इसको बढ़ाना है क्योंकि काम इसी से होगा।
जो इसको नहीं कर पाए, उनके कदम-कदम पर तकलीफें आ रही हैं। बहुत से लोग तो यहां तक परेशान हैं कि परेशानियों से ऊबकर के इस समय पर मर जाना ही पसंद कर रहे हैं और परेशानी में जो कदम नहीं उठाना चाहिए; कभी भी आत्महत्या नहीं करनी चाहिए, उसको भी कर डालते हैं। परेशानियां किसी की भी हों, साधना से ही जाएंगी।
नाश और विनाश में अंतर होता है
अगर आप साधना करोगे नहीं और नामदानियों को करवाओगे नहीं तो समझ लो कि ‘विनाश अवश्यंभावी’।
नाश और विनाश में अंतर होता है; जैसे घर की एक दीवार गिर गई तो उसको लोग बोलते हैं कि नाश हो गया, इतना नुकसान हो गया, और विनाश उसको कहते हैं कि जैसे बाढ़ आई और पूरा घर ही बह गया। तो विनाश होगा, नामोनिशान नहीं रहेगा।
देखते-देखते बड़े-बड़े, ऊंचे मकान, जमीन में समा जाएंगे, धरती फटी हुई दिखाई पड़ेगी, दिखाई भी नहीं पड़ेगा कि कितना गहरा गड्ढा है, इतनी तेज हवा चलेगी कि जानवर भी उड़ते हुए दिखाई पड़ेंगे; कुछ ही समय के बाद यह दिखाई पड़ेगा। गुरु महाराज, भक्तों की रक्षा, सेवक की रक्षा भले करें लेकिन यह सब जहां भी होगा, सुनाई पड़ेगा, यह समाचार छाया रहेगा हर जगह। जान बचाना बहुत बड़ा पुण्य का काम होता है, इसीलिए इसको अगर रोकना चाहते हो तो साधना करो और लोगों को कराओ।
बच्चें एवं बच्चियों को भी साधना करवाओ नहीं तो यह आपके नहीं रहेंगे
परिवार वालों को साधना करवाओ। बच्चें एवं बच्चियों को भी साधना करवाओ नहीं तो यह आपके नहीं रहेंगे, ऐसा समय आयेगा कि ये पागल हो जाएंगे इस काल और माया के देश में। काल उसको कहते हैं जिसने इस शरीर को और दुनिया की इस व्यवस्था को बनाया और जहां तक मन जाता है वहां तक माया का ही पसारा है।
तो काल और माया जब जोर करेगी तब जिनसे आप उम्मीद करते हो वही बच्चें एवं बच्चियां दीवानगी में पागल हो जायेंगे। कौन सी दीवानगी में? जो प्रेम गुरु से होना चाहिए, उसको छोड़ कर के ये लड़के एवं लड़कियों से प्रेम करेंगे और भग जाएंगे, धोखा खाएंगे।