बाॅंकीमोंगरा के कई वार्डो में निर्दलीय बिगाड़ेंगे समीकरण,पूर्व प्रत्याशी भी दहशत में,कही डूब न जाए पूर्व पार्षदों की नैया,पार्षद को अपनी छोड़ अध्यक्ष की चिंता…..
नयाभारत आगामी दिनों में राज्य में निकाय चुनाव कई चरणों में होना है,चुनाव की तिथि सामने आने के बाद राजनीति में हलचल आ गई है।
पुराने जनप्रतिनिधियों सहित नए को किस्मत आजमाने का समय पुनः 05 वर्ष बाद आ गया है और इच्छुक लोग सक्रिय भी हो चुके है।
पूरे राज्य में बाॅंकीमोंगरा बना विशेष निगरानी परिषद
निकाय चुनाव का अलग नजारा होता आम लोग इसे बड़े नजदीक से देखते है और महसूस करते है।
इस सत्र का निकाय चुनाव बाॅंकीमोंगरा के लिए विशेष रूप से खास है पूरे राज्य की भी नजर है कारण कई है जैसे कि नवगठित परिषद के बाद पहला चुनाव है,पूरे राज्य में बाॅंकीमोंगरा सबसे ज्यादा वार्डो वाला सबसे बड़ा परिषद है,टिकट वितरण विवाद को लेकर भी कई दिनों तक सुर्खियों में था ऐसे अनेक करना है जो बाॅंकीमोंगरा को चर्चित बनाता है।
अब समझते है निर्दलीय प्रत्याशियों का स्थान
30 वार्डो में विभाजित बाॅंकीमोंगरा के कुल वार्डो से 115 लोग पार्षद पद के चुनाव में अपना किस्मत आजमा रहे है,जिसमें नए लोगों ने भी रुचि दिखाई है और निर्दलीय प्रत्याशियों के रूप में पार्षद चुनाव के लिए मैदान में है।
वैसे तो लगभग सभी वार्ड से पूर्व पार्षद भी मैदान में और वर्तमान में कांग्रेस और बीजेपी पार्टी ने जिन पर भरोसा किया है वो भी किस्मत आजमा रहे है,लेकिन ऐसा देखा जा रहा है कि कई वार्डो में निर्दलीय प्रत्याशियों को जनता का समर्थन भरपूर मिल रहा है जिसका सीधा सीधा असर पार्टी द्वारा उतरे गए प्रत्याशियों में नजर आ सकता है,जो पूरा समीकरण बिगाड़ सकता है।
जनता यह भी कह रही है कि सालों से पूर्व पार्षदों का कार्यकाल देखा है,उनके कथनी और करनी में अंतर है,अभी किसी नए को मौका देते है।
कई पार्षद प्रत्याशियों को अपनी छोड़ अध्यक्ष की चिंता
चुनाव प्रचार के दौरान ये देखा जा रहा है कि वार्ड के पार्षद प्रत्याशी अपने वार्ड की जनता को साधने में कम पार्टी के अध्यक्ष प्रत्याशी के जनसंपर्क में ज्यादा रुचि दिखा रहे है,कारण जो भी लेकिन इसका खामियाजा आने वाले समय में प्रत्याशियों को भुगतना पड़ सकता है।
कई पूर्व पार्षद जनसंपर्क से ज्यादा कार्यालय में नज़र आ रहे है
बाॅंकीमोंगरा के कुछ पूर्व पार्षद को वार्डो से ज्यादा पार्टी कार्यालय भा रहा है,अपने वार्ड से ज्यादा पार्टी के चुनावी कार्यालय में देखे जा रहे है।
उन्हें जितने का विश्वास है या पहले ही हार मान चुके है ये देखने वाली बात होगी।