सरकार की भ्रष्ट्राचार पर जीरो टारलेंस नीति चाकाबुड़ा पंचायत में फेल:गिनती भर स्ट्रीट लाइट की कीमत 3.21 लाख रुपए,बोगस बिल से भ्रष्ट्र सचिव व तत्कालीन सरपंच ने पंचायत को लगाया जमकर चूना पढ़े पूरी ख़बर
कोरबा/कटघोरा//जिले अथवा प्रदेश स्तर पर होने वाले बड़े घोटालों पर अक्सर चर्चा होती है, लेकिन गांवों में ग्राम पंचायत स्तर पर हो रहे भ्रष्ट्राचार पर किसी का ध्यान ज्यादातर नही जाता और ग्रामीण योजनाओं में बड़ी संख्या पर घोटाले होते है। जिनकी न तो सही तरीके से जांच होती है और न ही जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई। गाहे- बगाहे यदि जांच हो भी जाए तो इस प्रक्रिया में ढील रवैया और कार्रवाई की दिशा में महज खानापूर्ति निभाई जाती है। जिससे भ्रष्ट्राचारियों को बल और भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा मिलता है। जिले के चाकाबुड़ा पंचायत में भी सचिव, रोजगार सहायक, तत्कालीन सरपंच व उपसरपंच के मिलीभगत से किये गए अनेकों भ्रष्ट्राचार की शिकायत यहां की नवनिर्वाचित सरपंच, उपसरपंच, पंचों और ग्रामीणों द्वारा मिलकर किये जाने के मामले में जांच तो की गई है, लेकिन इसके उपरांत दोषियों पर कार्रवाई निष्पक्ष तरीके से होगी, इसे लेकर ग्रामीणों में शंसय है। दूसरी ओर इस पंचायत में तत्कालीन सरपंच के कार्यकाल में स्ट्रीट लाइट व्यवस्था के नाम पर किये गए गजब घोटाला भी सामने आया है।
कटघोरा जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत चाकाबुड़ा में भ्रष्ट्राचार का बोलबाला है। जहां सरकार की भ्रष्ट्राचार पर जीरो टारलेंस नीति फेल साबित हो गई है और विकास के नाम पर मूलभूत, 14वें, 15वें वित्त आयोग से लाखों की राशि का आहरण तो हुआ लेकिन धरातल पर अपेक्षाकृत काम यहां के ग्रामीणों को देखने को नही मिला। लंबे अर्से से इस पंचायत की कमान सम्हाल रही सचिव रजनी सूर्यवंशी की भ्रष्ट्र कार्यप्रणाली और सांठगांठ से ग्राम विकास की अधिकतर राशि का बंदरबांट कर लिया गया। चाकाबुड़ा पंचायत में हुए मनमाने भ्रष्ट्राचार का एक कारण जनपद अधिकारियों की उदासीनता व निष्क्रियता भी है, जिन्होंने विकास/निर्माण कार्यों के लिए राशि स्वीकृति दी और कार्यादेश जारी किया, पर कभी जांच पड़ताल के लिए गांव की ओर झांकने की जहमत नही की। जिसका परिणाम यह हुआ कि यहां न तो पक्की सड़कें ढंग से बनी, राशि निकालकर न नाली का निर्माण कराया गया, न अपेक्षित विकास हुआ और न ही ग्रामीणों को जरूरत की बुनियादी सुविधाएं समय पर मुहैया हुई। जिम्मेदारों ने ग्राम विकास के नाम पर फर्जी बिल के माध्यम से पंचायत को लाखों का चूना लगाते हुए अपना विकास किया। जिस भ्रष्ट्राचार के विरोध में ग्रामीणजनों ने एकजुट होकर आवाज उठाया और शिकायत कलेक्टर से की। जिस शिकायती मामले की जांच हुई और भ्रष्ट्राचार किया जाना पाया गया। अब ग्रामीणों की नजरें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी है। इस पंचायत के तत्कालीन सरपंच पवन सिंह कमरों और सचिव रजनी सूर्यवंशी के मिलीभगत से एक और भ्रष्ट्राचार का खुलासा जियोटैग के माध्यम से हुआ है, जिसमे ग्राम के गली मोहल्लों, चौक- चौराहों के खम्भों में रोशनी (स्ट्रीट लाइट) व्यवस्था के नाम पर 03 लाख 21 हजार रुपए की राशि 15वें वित्त आयोग मद से खर्च बताई गई है। जिसमे रिचार्ज बाउचर की तिथि 03, 12 व 17 फरवरी 2021 को 01 लाख 07 हजार के मान से तीन किश्तों में 3.21 लाख का आहरण है। जबकि इस पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि तत्कालीन सरपंच के प्रारंभिक कार्यकाल में गांव के 15- 20 खंभों में स्ट्रीट लाईट लगाई गई थी, वे भी घटिया किस्म के, जो एक डेढ़ माह रोशनी देने बाद बंद हो गए। ग्रामीणों के मुताबित तत्कालीन सरपंच द्वारा सचिव के साथ आपसी सांठगांठ से बुनियादी सुविधाएं और निर्माण कार्य के लिए आने वाली राशि का जमकर दुरुपयोग करते हुए झोली भरा गया है। जिसके चलते धरातल पर नाम मात्र का विकास हुआ है। बता दें कि यहां सचिव व तत्कालीन सरपंच, उपसरपंच के तिकड़ी खेल में शासकीय भवन व अन्य मरम्मत कार्य, मार्ग सुधारीकरण, साफ- सफाई व्यवस्था और निर्माण कार्यों के नाम पर भी मूलभूत सुविधा व विकास की राशि मे जमकर लूट- खसोट किया गया है, जिस गड़बड़ घोटाले को अगले खबर में प्रसारित किया जाएगा। बहरहाल ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच और सचिव ने मिलकर मनमाने भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया है और बेमानी संपत्ति अर्जित की है।