देश के सर्वधर्म लोकतंत्र को भड़काना राजनीतिक नेताओं का मौलिक अधिकार बन गया है, लेकिन क्या धार्मिक गुरुओं द्वारा भड़काना अपने ही धर्म की बुराइयों को सामने लाना है?

NBL, 18/11/2024,It has become the fundamental right of political leaders to incite the country's inter-religious democracy, but is incitement by religious gurus to bring out the evils of their own religion? पढ़े विस्तार से....  जिस दिन भारत के सभी धर्मों और समुदायों के लोग अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो जाएं, समझ लीजिए कि भारत में आपसी भाईचारा स्थापित हो गया। सभी धर्म गुरुओं से विनम्र निवेदन है कि आप भारत के हर धर्म का सम्मान करें और अपने अनुयायियों को भी उसका सम्मान करना सिखाएं, क्योंकि भारत में धर्म के नाम पर उलझना इसकी सुंदरता को खराब कर रहा है। समझिए, क्या उत्पात मचाना जरूरी है? अगर सरकार जनहित में काम नहीं करती है तो आप सरकार बदल सकते हैं, लेकिन अपने धर्म के लोगों को धर्म में रोष लाकर भड़काना या उनके अच्छे चरित्र को बदलकर उन्हें मार्ग से भटकाना भारत के गौरव के लिए ठीक नहीं है। अब हम सभी धर्मों के लोग मिलकर अपने विकास और देश के विकास के बारे में सोचें तो बेहतर होगा। हमारी एकता ही हमारी पहचान है। राजनीति करने वाले राजनेताओं को भी सभी धर्मों की एकता पर जोर देना चाहिए और सभी धर्मों की एकता लाकर भारत में शांति स्थापित करनी चाहिए और सख्त कानून बनाकर गलत कामों पर रोक लगानी चाहिए। यही एक अच्छे राजनेता की पहचान है। सर्वे भवंतु सुखिनः का पाठ सभी के लिए कल्याणकारी है। यदि भारत में सभी धर्मों के लोगों के लिए रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर जोर दिया जाए तो भारत विकसित होगा।

मुस्लिम मौलाना सत्ताधारी पार्टी भाजपा को खुली चुनौती दे रहे हैं, और कह रहे हैं कि उन्होंने हमारी मस्जिदों पर बुलडोजर चलाकर शहीद कर दिया और हम मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाले अनेक कानून लाए और अब उनकी नजर वक्फ बोर्ड पर है और अगर भाजपा इसी तरह सत्ता में रही, तो भाजपा हम मुसलमानों को नुकसान पहुंचाती रहेगी, इसलिए इस भाजपा को जड़ से उखाड़ फेंकना बहुत जरूरी है मेरे मुसलमानों, भाजपा को एक भी वोट मत देना, और न ही उनके गठबंधन दलों के नेताओं को वोट देना। जबकि बीजेपी सबका साथ सबका विकास के एजेंडे के साथ भारत के जरूरतमंद मुसलमानों को उन सभी योजनाओं का लाभ दे रही है, मुसलमानों के ठेकेदार बने मौलानाओं को भी कहना चाहिए कि बीजेपी द्वारा दी जा रही सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मत लो, मेरे भारत के मुसलमानों उनको बताओ कि तुम बीजेपी के कट्टर विरोधी हो, केवल बीजेपी को वोट मत दो, मुसलमान ऐसा क्यों कह रहे हैं। 

मुस्लिम गुरु मौलाना जी, बीजेपी ने भारत के मुसलमानों के हित में जो भी काम किए हैं, उन्हें बताओ, उसका भी बहिष्कार करो, मेरे भारत के मुसलमानों ये कहो तो जान जायेंगे पूरे देश भारत के सभी मुसलमान बीजेपी विरोधी है करके, मुस्लिम गुरु मौलाना क्या बेतुकी बातें आप कर रहे हैं, ये आजाद भारत है मौलाना जी और आजाद भारत में कौन किसको वोट देगा, ये आजादी उनकी अपनी है जो देश के संविधान ने उन्हें दी है, आप कौन होते हैं उनका हुक्का पानी बंद करने वाले, जो इस तरह से धार्मिक उन्माद फैला रहे हैं उनके लिए कौन सही है और कौन गलत ये उनका अपना फैसला है जबकि आप मुसलमानों के इतने बड़े धर्म गुरु होने के बावजूद आप शर्मनाक बात कर रहे हैं कि अगर बीजेपी को वोट दिया तो हुक्का पानी बंद कर देंगे तो आप मुसलमान नहीं, ये आप देश के मुसलमानों को डरा क्यों रहे हैं जैसे कि उनकी सारी जरूरतें आप पूरी कर देंगे, ये देश की राजनीति करने वाले नेताओं का काम है, आरोप लगाना या अपने वोटरों को लुभाना, ये उनका क्षेत्र है और आपका क्षेत्र है, धर्म का विस्तार करना, अच्छा ज्ञान देना और अपने धर्म समाज के लोगों को सही दिशा में ले जाना ये सब आपका काम है और राजनीति करना राजनीतिक नेताओं का काम है लेकिन आप भारत के बहुत से मौलाना विपक्षी पार्टियों के ठेकेदार बन गए हैं और मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं जो देश हित में ठीक नहीं है।

 

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यही सब अब भारत के हिंदू गुरु या हिंदू आबादी करेंगे तो हो गया विपक्षी दलों की हार और बीजेपी की जीत ये आपकी रणनीति है जो देश के लोकतन्त्र के लिए सही नही है नही संविधान के दायरे मे है मौलाना जी अब देश के मुसलमान भी जागरूक हो गया है वह अपने हित अहित दोनों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं ये हुक्का पानी बन्द करने का धमकी मुसलमानो को देना ठीक नही है मौलाना जी, ये उल्टा आप अपने कौम के बर्बादी के लिए आप रास्ता बना रहे हैं, ये जानकारी दे कर बीजेपी को वोट मत दो, जबकि बहुत से मुसलमान बीजेपी को अपना वोट देते उनके लिए भी आप शक पैदा कर रहे हैं।

सनातनी हिन्दू धर्म शास्त्रों में लिखित प्रमाण है कि जैसा भोजन आप खाते हैं, वैसा ही मन बनता है। और जो धर्म के लोग सात्विक भोजन नहीं करते, चाहे वे हिन्दू हों या मुसलमान, लेकिन भोजन का प्रभाव उनके गुणों में दिखाई देता है और यही गुण भारत के कई मुस्लिम धार्मिक मौलानाओं में देखा जा सकता है, जो अपने आसात्विक भोजन की गर्मी के कारण अपने धर्म के लोगों में अपनी वाणी के माध्यम से गर्मी पैदा कर रहे हैं। जबकि राजनीति में शामिल नेता सत्ता हासिल करने के लिए लोकतंत्र में गर्मी पैदा करते हैं ताकि वे अपने शब्दों की गर्मी से लाभ उठाने का अवसर पैदा करें। लेकिन सभी धर्मों के लोगों को इन राजनीतिक नेताओं की सत्ता के बीच अपना जीवन व्यतीत करना पड़ता है, इसलिए धार्मिक नेताओं का राजनीतिक दलों के नेताओं के बचाव में आना या उनके चुनावी मैदान में आना उचित नहीं है, क्योंकि देश के सभी लोकतंत्रों में उनका एक धर्म होता है, जबकि राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष होता है। 

धर्मगुरु और धार्मिक नेता खुलकर राजनीतिक दलों के समर्थन में आते हैं और उनके पक्ष में वोट करने की अपील करते हैं, वे अपने धर्म के लोगों से भी कहते हैं कि हम आपके धार्मिक गुरु का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए आपको भी उन्हें वोट देना चाहिए, यह कट्टरता लोकतंत्र के आपसी भाईचारे में दरार पैदा करती है, यदि उनके पक्ष के राजनीतिक दल हार जाते हैं और दूसरी पार्टी सत्ता में आ जाती है, तो उनके अपने धर्म के लोगों को सीधा नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है और यह काम मुस्लिम मौलाना कर रहे हैं, जिसके लिए धार्मिक गुरु मौलाना स्वयं जिम्मेदार हैं। क्योंकि भारत संविधान और लोकतंत्र द्वारा चुने गए नेताओं के राजनीतिक दलों के सत्ता बल पर चलता है। इसलिए भारत के सभी सज्जन मुसलमानों को इस गंभीर मुद्दे पर कटाक्ष करना चाहिए और ऐसे भड़काऊ भाषण देने वाले धार्मिक गुरुओं पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। क्योंकि देश मौलानाओं से नहीं चलता, देश में राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों के नेता अपने सत्ता से चलाते हैं और वे ही आपके अच्छे विकास और आपके फायदे के लिए नीतियां बनाते हैं। आप उनके नीतियों के विरुद्ध आवाज उठा सकते हैं अगर उनके नीति आपके पक्ष में सही नही है तो ये आपको भारत के संविधान ने आपको स्वतन्त्र अधिकार दिया है। लेकिन आप अपना धार्मिक कट्टरता उन्माद फैला कर अपने धर्म समाज के लोगों को नुकसान पहुँचाने का अधिकार नही है।

आज भारत देश के मौलाना, मौलवी, इतना आक्रोशता पैदा कर रहे है अपने धर्म समाज के लोगों के अंदर की भारत के हर मुसलमानो का खून खौल रहा है, और इसका कोई ठोस वजह नही है आखिर खौल क्यों रहा है, जबकि भारत के हर तबको के मुसलमानो के उन्नति के लिए वर्तमान भारत सरकार पीएम नरेंद्र मोदी मजबूत कानून लाते हैं, एनआरसी, यूसीसी, तीन तलाक़ कानून अब वक्फ बोर्ड संसोधन कानून जबकि इन चारों कानूनों का अच्छे से अध्ययन करे भारत के जागरूक मुसलमान तो इन चारों की पारदर्शीता पता चल जायेगा कि ये कानून मुसलमानो के हित में कितना कारगर है, लेकिन भेड़ चाल पसंद है एक इनके धर्म गुरु या इनके धर्म के राजनीतिक नेता ये सब कानून मुसलमानो के हित में नही है तो सबके सब मुसलमान मान जाते हैं कि सही मे गलत होगा तभी हमारे धर्म गुरु या हमारे धर्म के राजनीतिक नेता इस कानून को गलत बता रहे हैं। ये इक्किस्वी सदी का भारत है यहाँ के संविधान आपके हित को जानता है, पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के पास कोई अलग से संविधान कानून नही है जो आपके अपने कानून को आपके उपर थोप दे, यह भारत डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जी के बनाये संविधान कानून से चलते हैं, बस इनके माध्यम से नये संसोधन कर बिगड़ी हुई व्यवस्था को सही किया जा सकता हैं। वही पीएम नरेंद्र मोदी कर रहे है सबका साथ सबका विकास के नीति से।

बस एक मुश्किल आएगी, इन धर्मगुरुओं और इस धर्म के राजनेताओं का धंधा बंद हो जाएगा, क्योंकि एक बार जब भारत के हर जरूरतमंद मुसलमान का जीवन सुचारू रूप से विकसित होने लगेगा और इन कानूनों का लाभ मिलने लगेगा और भारत के मुसलमान जाग जाएंगे, वास्तव में पीएम नरेंद्र मोदी सरकार भारत के हर जरूरतमंद मुसलमान के लिए एक फरिश्ता है, उस दिन ठेकेदार बनकर पैसा कमाने वाले इन मुसलमानों का काम बंद हो जाएगा, उनके पास बोलने की कोई जगह नहीं बचेगी, क्योंकि उनके पास कोई ठोस वजह नहीं है जो भारत के जरूरतमंद लोगों की जिंदगी को बेहतर बना सके, इसीलिए वे धार्मिक उन्माद पैदा करके इन भोले-भाले मुसलमानों को भड़काते रहते हैं। जबकि उनके भड़काने से भारत के किसी भी जरूरतमंद मुसलमान को फायदा नहीं होने वाला है, जबकि भड़काने वाले धर्मगुरु और इस धर्म के राजनीतिक नेता इन जरूरतमंद मुसलमानों का हक का हिस्सा हड़प कर ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं।

आप देख सकते हैं कि मुस्लिम धर्मगुरुओं या इस धर्म के राजनीतिक नेताओं के चेहरे लाल चमकते रहते हैं और आप मुसलमान जो उनकी मीठी-मीठी बातें सुनते हैं, अपना चेहरा काला-पीला करके कल की चिंता करते रहते हैं या अल्लाह मुझे मेरे परिवार की भलाई के लिए रोजगार दे दो। वे बिना मेहनत के आप पर राज करते हैं, क्योंकि आप उनका खेत हैं और जब तक आप उनकी बातों में आते रहेंगे, उनका धंधा चलता रहेगा। क्योंकि उन्हें राजनीतिक पार्टियों से भी फंड मिलता है, तभी तो वे आपके हितैषी बनकर शेरों की तरह दहाड़ते रहते हैं और आप लोग वही दयनीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं। आप मुसलमानों को इसे बदलने की जरूरत है। आपको अपनी जाति को सुधारने की जरूरत है। यह भारत कोई कट्टर इस्लामिक देश नहीं है जो धर्म गुरुओं के बनाए शरिया कानून से चलेगा। यह भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यह भारत भीम राव अंबेडकर जी के संविधान और कानून से चलता है जो सभी पर लागू होता है।

आज जिस तरह से भारत के मुस्लिम मौलानाओं का राजनीतिक खेल चल रहा है, देश के संविधान को खतरा होने की बात करने वाले नेताओं को यह समझना चाहिए कि भारत के मुसलमान भाजपा विरोधी होकर क्या साबित करना चाहते हैं, मुस्लिम गुरुओं के इस तरह की बातें करने से विपक्षी पार्टियों को फायदा होगा या नुकसान, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन विपक्षी पार्टियों के नेता मुस्लिम गुरुओं के उनके पक्ष में बात करने से अंदर और बाहर दोनों जगह बहुत खुश हैं, लेकिन इस भारत देश में हिंदुओं की एक बड़ी आबादी है और विपक्षी पार्टियों के नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए। चलिए हम यह मान लेते हैं कि भारत के मुसलमानों ने विपक्षी दलों के पक्ष में एकतरफा मतदान किया और भारत के सभी हिंदुओं ने मिलकर भाजपा के पक्ष में एकतरफा मतदान किया और लगभग कोई भी हिंदू आबादी ने विपक्षी दलों के पक्ष में मतदान नहीं किया, तो इसका नुकसान किसको होगा, विपक्षी दलों के नेताओं को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। 

और जिस तरह से मुस्लिम मौलाना खुलेआम विपक्षी दलों के समर्थन में बात कर रहे हैं, यह देश के लोकतंत्र के हित में नहीं है और न ही इस तरह का प्रतिबंध स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिकों के लिए ठीक नहीं है और मौलानाओं का यह बड़ा बयान आने वाले समय में विवादों को जन्म देगा और इससे आपसी भाईचारे में खटास आने की प्रबल संभावना है। अब यदि भारतीय हिंदू अपनी एकता दिखाते हुए भाजपा को वोट देते हैं या भारतीय मुसलमान विपक्षी दलों के नेताओं को वोट देते हैं और दोनों में से कोई एक पार्टी चुनाव जीतकर सत्ता में आती है, तब भी विवाद की स्थिति उत्पन्न होगी। भारतीय मुस्लिम मौलानाओं की तीखी आलोचना के कारण यह हिंदू और मुसलमानों का चुनाव बन गया है और दोनों तरफ से यह धार्मिक आग सुलग रही है, लेकिन मौलानाओं द्वारा इस तरह खुली चुनौती देना देशहित में ठीक नहीं है।

आज राजनीतिक दलों के नेताओं के माध्यम से देश के सभी नागरिकों के धर्मों के बीच दरार पैदा की जा रही है और इससे आपसी भाईचारा खतरे में पड़ रहा है। यह बात राजनीति में लिप्त नेता कह रहे हैं और हकीकत में आपसी भाईचारा खतरे में है। जब सभी देशवासी आपस में लड़ेंगे और मामला कोर्ट में जाएगा तो संविधान रक्षक अदालतें इसे रोकेंगी, जैसे आज सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार के न्याय के बुलडोजर को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रोक दिया गया है। और उनके विपक्षी नेता अब इस पर राजनीति कर रहे हैं, सीएम योगी सरकार का बुलडोजर गैराज में खड़ा कर दिया गया है। इसी तरह भारत के मुसलमान खतरे में हैं और कोई नेता कह रहा है कि भारत के सनातनी हिंदू धर्म के लोग एकजुट हो जाएं और सुरक्षित रहें।

मुस्लिम धर्मगुरु कह रहे हैं कि किसी पार्टी विशेष को वोट मत दो और जो भी मुसलमान वोट दोगे उसका हुक्का-पानी, बन्द कर दी जाएगी वह वोट देने वाले मुसलमान नही हो सकता क्या अपने फेवर के राजनीतिक दलों को सत्ता में लाने की ये सारी खुली बातें आपसी भाईचारा पैदा करेंगी या फिर आपसी भाईचारे में मतभेद पैदा करेंगी, क्या ये सब कहना देश के संविधान के कानून के दायरे में है। देश में सबसे बड़ा खतरा राजनीतिक नेताओं द्वारा पैदा किया जा रहा है, चाहे वो सत्ता में बैठे नेता हों या विपक्ष में, दोनों ही सत्ता के लिए देश को बांटने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। और देश के सभी धर्मों के धार्मिक गुरु और धर्मनेता इन राजनीतिक नेताओं की भाषा बोल रहे हैं। दो पक्षीय भारत बन रहा है, जबकि भारत सर्व धर्म लोगों का देश है, इसको तोड़ो मत इसको जोड़ों तब भारत विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ेगा और इसक लिए सर्व धर्म समाज के लोगों का सहयोग जरूरी है। 

 


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