बिश्रामपुर में निकली जगन्नाथ रथयात्रा,हजारों श्रद्धालु हुए शामिल
Jagannath Rath Yatra took place in Bishrampur, thousands of devotees participated
*नयाभारत सूरजपुर सितेश सिरदार*
बिश्रामपुर में स्थित जगन्नाथ मन्दिर से आज रथ यात्रा निकाली गई। भगवान जगन्नाथ जी के साथ बलदाऊ और माता शुभद्रा का रथ को ढोल तासों के बीच भजन कीर्तन के साथ विश्रामपुर जगरनाथ मंदिर से यात्रा शुरू कर के बस स्टेशन होते हुए अंबेडकर चौक से वापसी कर बस स्टेशन होते हुए चोपड़ा कालोनी सरस्वती मंदिर तक नगर में घुमाया गया।
ऐसी मान्यता है कि इस रथ यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ 7 दिनों के लिए अपनी मौसी के यहाँ बिश्राम करते है,फिर पुनःअपने मंदिर लौट आते है। भगवान की इस रथयात्रा में सासंद चिंतामणि महाराज,प्रेमनगर विधायक भुलन सिंह मरावी,मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े,सोनहत भरतपुर विधायक रेणुका सिंह ,मंडल अध्यक्ष विश्रामपुर कैलाश सिरदार,शिवनंदनपुर मंडल अध्यक्ष हरीश राजवाड़े,नगर पंचायत अध्यक्ष निर्मला यादव,नगर पंचायत उपाध्यक्ष दीपेंद्र सिंह चौहान,महामंत्री देवशरण सिंह सिरदार एवम् सैकड़ों कार्यकर्ता एवं आसपास के हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे,
वही सरगुजा सांसद चिंतामणि महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को जगन्नाथ रथ यात्रा की बधाई देते हुए कहा कि वह भी भगवान के दरबार में हाजरी लगाने पहुँचे है, जहाँ रथ यात्रा में उड़िया संस्कृति की झलक भी देखने को मिली। उड़ीसा राज्य से आये कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से सब का मन मोह लिया।
***ओडिशा की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में होती है,रथ यात्रा।***
रथ यात्रा के लिए भारत में ओडिशा राज्य प्रसिद्ध है। ओडिशा का पड़ोसी राज्य होने के कारण छत्तीसगढ़ में भी इस उत्सव का व्यापक प्रभाव है। आज निकाली गई रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ,उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा की विशेष विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। उत्कल संस्कृति और दक्षिण कोसल की संस्कृति के बीच यह एक अटूट साझेदारी का प्रतीक है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण तीर्थ है, जहां से वे जगन्नाथ पुरी में स्थापित हुए। शिवरीनारायण में ही त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के प्रेमपूर्वक अर्पित मीठे बेर ग्रहण किए थे।