कालिंदी इस्पात प्रदूषण वादा खिलाफ़ी 10 से 12 हजार ग्रामीणों की जिंदगी प्रभावित सुशासन तिहार में दो बार शिकायत शासन प्रशासन मौन पढ़े पूरी ख़बर
बिलासपुर जिले के मस्तूरी में कालिंदी इस्पात के प्रदूषण से ग्रामीण अब बहुत परेशान नजर आ रहे हैं क्योंकि कालिंदी इस्पात से निकलने वाली जहरीले धुएं से हजारों ग्रामीणों को वायु प्रदूषण जल प्रदूषण से होनें वाली गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ रहा है ग्रामीण इस बात को लेकर कई बार शिकायत दर्ज कर चुके हैं पर अब भी शासन प्रशासन इस पूरे मामले में चुप्पी साधे बैठी है पहले ओखर फिर भरारी में आयोजित सुशासन तिहार में ग्रामीणों ने शिकायत पत्र के साथ अधिकारियों को अवगत कराया था कि इस पूरे मामले में ग्रामीणों को 15 दिनों के अंदर न्याय नहीं मिलता है या किसी प्रकार का शासन प्रशासन द्वारा एक्शन नहीं लिया जाता है तब की स्थिति में वह आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे आपको बताते चलें कि बेलपान खपरी स्थित कालिंदी इस्पात लगातार विवादों में बने रहता है यहां कुछ हफ्ते पहले एक मजदूर की काम करते वक्त ऊपर से गिर जाने के बाद मौत हो गई थी जिसके बाद आसपास के हजारों ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया था जिसके बाद प्लांट प्रबंधन को मजदूर के परिवार को मुआवजा राशि देनी पड़ी थी इससे पहले भी प्लांट के प्रदूषण को लेकर कई बार आसपास के हजारों ग्रामीण आंदोलन कर चुके हैं एक बार तो प्लांट को 56 दिनों के लिए बंद भी करना पड़ा था और प्लांट के एमडी आनन्द सिंघानिया ने 100 रुपए के स्टांप पेपर पर शपथ लेते हुए कहा था कि ग्रामीणों की समस्या का निदान किया जाएगा और उनके द्वारा ग्रामीणों की मांग पर 19 बिंदुओं पर सहमति जताते हुए वादा किया गया था और वादा निभाने की बात कही गई थी पर सालों बीत जाने के बाद भी वह वादे नहीं निभाए गए अब लगता हैँ कालिंदी इस्पात के एमडी आनंद सिंघानिया वादे भूल चुके हैं जिसको लेकर अब ग्रामीण आक्रोशित है ग्रामीण भी बताते हैं कि जिस सुशासन तिहार 2025 का उद्देश्य जनता के द्वार तक पहुंचकर उनकी समस्याएं सुलझाने की बात बीजेपी की सरकार करती है उसी सुशासन तिहार 2025 में दो बार शिकायत करने के बाद भी कालिंदी इस्पात के प्रदूषण की शिकायत पर शासन प्रशासन क्यों मौन हो जा रहा है क्यों हजारों ग्रामीणों की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है और अगर सुशासन तिहार में ग्रामीणों की सुनना ही नहीं था तो सुशासन तिहर 2025 की शुरुआत ही क्यों की गई ग्रामीण आगे बताते हैं कि उनको सुशासन तिहार से बड़ी उम्मीद थी उनको लगता था कि यहां शिकायत करने के बाद कालिंदी इस्पात के प्रदूषण से लोगों को मुक्ति मिल जाएगी कालिंदी इस्पात द्वारा भूजल का जमकर दोहन भी किया जा रहा है जिसके कारण आसपास के गांव में खास कर गर्मी के दिनों में वाटर लेवल बहुत ही नीचे चले जाता है जिससे पीने की पानी के लिए ग्रामीणों को जूझना पड़ता है इन समस्याओं से शासन प्रशासन को अवगत भी कराया जा चुका है बावजूद इसके कालिंदी इस्पात पर किसी प्रकार का कोई जांच या एक्शन नहीं लिया जा रहा है पिछले बार ग्रामीणों ने जब प्रदूषण को लेकर आंदोलन किया था तब प्लांट प्रबंधन और एमडी आनन्द सिंघानिया के द्वारा यह कहा गया था कि शिवनाथ नदी से पानी लाकर प्लांट को चलाया जाएगा पर अभी तक इसमें सुधार नहीं किया गया है ना ही शिवनाथ नदी से पानी लाया जा रहा है ना ही जीएम अरविंद सिंह को हटाया जा रहा है जो ग्रामीणों की मुख्य मांग थी अब इन्हीं वादा खिलाफ़ी कों लेकर ग्रामीण आक्रोषित हैँ और बार-बार कालिंदी इस्पात के प्रदूषण को लेकर शिकायत दर्ज कर रहे हैं लेकिन शासन प्रशासन इस पूरे मामले में कुछ भी कार्रवाई करने से बचते नजर आ रहा हैं जिससे भाजपा सरकार पर लोगों का विश्वास कम होते जा रहा है यहां मामला कुछ लोगों का नहीं है यहां मामला 10 से 12000 ग्रामीणों की जिंदगी से जुड़ा हुआ है लेकिन बावजूद इसके अधिकारी इस पर किसी प्रकार की जांच नहीं चाह रहे हैं ना ही कोई एक्शन लिया जा रहा है देखना होगा ग्रामीणों को प्रदूषण से कब मुक्ति मिलती है और शासन प्रशासन कालिंदी इस्पात के खिलाफ कब एक्शन मोड़ में आता हैँ।