छत्तीसगढ़

CG – आंगनबाड़ी स्कूलों में रनिंग वाटर पर कोरबी सरपंच सचिव ने बताया 6.70 लाख खर्च धरातल पर हेण्डपंप चलाकर उगलते फ्लोराइड पानी पीने को मजबूर स्कूली बच्चे पढ़े पूरी ख़बर

0 पेयजल व्यवस्था के नाम पर बेहिसाब राशि निकाल किया वारा- न्यारा.

कोरबा//पोड़ी उपरोड़ा सरकार एक तरफ जहां ग्रामीणों को स्वस्थ रहने के लिए शुद्ध पेयजल के सेवन की सलाह देती है,ग्रामीण में संचालित आंगनबाड़ी,स्कूलों में भी रनिंग वाटर सिस्टम के माध्यम से पढ़ने वाले बच्चों और शिक्षकों के पीने,हाथ धोने और शौचालय आदि के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पानी मुहैया कराने ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि शासकीय शिक्षण संस्थान में बेहतर स्वच्छता और स्वास्थ्य बनाए रखने की दिशा में कार्य हो सके। किंतु कुछ पंचायतों में अवसरपरस्त सरपंच सचिव ने शासन के इस योजना को अपनी कमाई का जरिया बना रनिंग वाटर स्थापना के नाम पर खूब वारा- न्यारा किया है। कुछ इसी तरह का हाल जिले के ग्राम पंचायत कोरबी में देखने को मिला है, जहां तत्कालीन सरपंच के गत पंचवर्षीय कार्यकाल में आंगनबाड़ी, स्कूलों में रनिंग वाटर स्थापना के नाम पर लाखों खर्च कागजों में बताया गया है जबकि धरातल पर सच्चाई यह है कि नौनिहाल व स्कूली बच्चे हेंडपम्प का दूषित पानी पीने को मजबूर है। जिम्मेदारों ने भी इस ओर ध्यान देने की अबतक जहमत नही उठाई।

पोड़ी उपरोड़ा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत कोरबी (सी) में तत्कालीन सरपंच श्रीमती पुनिता कंवर के गत पंचवर्षीय कार्यकाल में आंगनबाड़ी और स्कूलों में केवल रनिंग वाटर सिस्टम स्थापना कार्य के नाम पर 6 लाख 70 हजार 237 रुपए की राशि निकाली गई है। लेकिन जब इस ग्राम में संचालित आंगनबाड़ी व स्कूलों में जाकर देखा गया तो नजारे विपरीत नजर आए। बीते पांच साल में सरपंच पुनिता कंवर व सचिव मेहरून निशा ने मिलकर रनिंग वाटर स्थापना के नाम पर सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग किया और निज स्वार्थ सिद्धि की पूर्ति की गई। जिसका खामियाजा नौनिहाल एवं स्कूली बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। ग्राम में एक ही स्थान पर अगल- बगल संचालित प्राथमिक शाला में 48 तो माध्यमिक शाला में 36 बच्चे अध्यनरत है। जिन्हें शिक्षण संस्थान में प्यास बुझाने के लिए शुद्ध पानी नसीब नही हो रहा है। स्कूल में पदस्थ शिक्षकों ने बताया कि पढ़ने वाले बच्चे स्कूल परिसर में लगे हेंडपम्प चलाकर उसमें से उगलने वाले फ्लोराइड पानी पीने को लाचार रहते है। जबकि आधे बच्चे घर से बोतल में पानी लाते है। मध्यान्ह भोजन के लिए समूह की महिलाएं घरों से पानी लाकर भोजन पकाती है। दिक्कतें तब बढ़ जाती है जब दोपहर में बच्चे भोजन बाद पीने के साफ पानी के लिए जद्दोजहद करते नजर आते है। यह स्थिति वर्षों से निर्मित है। आंगनबाड़ी, स्कूलों में शुद्ध पेयजल के नाम पर तत्कालीन सरपंच व सचिव ने पंचायत मद के 15वें वित्त आयोग की राशि का मनमाने वारा- न्यारा किया तो वहीं वर्तमान सरपंच कीर्ति कुमार उइके ने भी इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान देना अबतक उचित नही समझा है तथा जिम्मेदार पीएचई विभाग द्वारा भी प्रभावी मॉनिटरिंग नही होने के कारण बच्चों को साफ पानी नसीब नही हो पा रहा है। जबकि विभाग के अधिकारी- कर्मचारी कार्यालय बैठे- बैठे ही अपने दायित्वों की इश्रीति कर रहे है और फ्लोराइड फिल्टर यूनिट स्थापना पर प्रतिवर्ष हजारों- लाखों खर्च शासन- प्रशासन को बता रहे है।

तत्कालीन सरपंच- सचिव ने मिलकर रनिंग वाटर के नाम पर निकाली इतनी- इतनी राशि*
ग्राम की तत्कालीन सरपंच पुनिता कंवर और सचिव मेहरून निशा की मिलीभगत से रनिंग वाटर सिस्टम के नाम पर 15वें वित्त से लाखों की जो राशि निकाली गई है, उनमें रिचार्ज बाउचर 18/12/2021 की तिथि में 1,06,700 लाख, रिचार्ज बाउचर 06/01/2022 में 1,98,915 लाख, रिचार्ज बाउचर 15/02/2022 को 2,00,243 लाख व रिचार्ज बाउचर 13/07/2022 की तिथि में 1,64,379 लाख की राशि निकाली गई है और कागजो में उक्त कार्यों को पूर्ण कराया गया, जिसका खुलासा जियोटैग से हुआ है। जबकि धरातल पर रनिंग वाटर सिस्टम का आस्तित्व नजर नही आ रहा है। जिसे स्कूली छात्रों के शुद्ध पेयजल की लाचारी भी बयां कर रही है।

स्कूल शौचालय की स्थिति भी जर्जर,खुले में शौच जाने को मजबूर छात्र- छात्राएं

प्राथमिक, माध्यमिक शाला में वर्षों पूर्व निर्मित शौचालय की स्थिति आज अत्यंत दयनीय है। टूटी- फूटी क्षतिग्रस्त शौचालय होने के कारण इन स्कूल में अध्यनरत छात्र- छात्राएं खुले में शौच के लिए मजबूर है। गत समय केंद्र सरकार के स्वच्छता जागरूकता अभियान के तहत इस प्राथमिक, माध्यमिक सरकारी स्कूल के शिक्षकों, बच्चो के माध्यम से पोस्टर व रैली निकालकर लोगो को खुले में शौच नही जाने के लिए जागरूक किया गया। शौचालय निर्माण कर नियमित उपयोग करने की नसीहत देने वाले शिक्षक व स्कूली बच्चे ही आज खुले में शौच जाने को मजबूर है। जिन्हें कई तकलीफें व परेशानियों का सामना करने के साथ हीन भावना महसूस होती है। जर्जर शौचालय की स्थिति सुधारने और उनकी सफाई सुनिश्चित करने की दिशा में सरपंच- सचिव ने आज तलक ध्यान नही दिया, और न ही शिक्षा विभाग ने मरम्मत या पुनर्निर्माण को लेकर संज्ञान लिया। ऐसे में जीर्ण- शीर्ण शौचालय के कारण शिक्षकों और छात्रों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

पेयजल व्यवस्था सुदृढ करने के नाम पर भी बेहिसाब राशि निकाला

सरपंच-सचिव ने सरकारी फंड का किया वारा-न्यारा

सरपंच-सचिव के सांठगांठ से ग्राम में पेयजल व्यवस्था सुदृढ करने के नाम पर भी पंचायत मद के बेहिसाब राशि निकाली गई है। जिसमे बोर फिटिंग कार्य, हेंडपम्प व पाइप क्रय, बोर खनन कार्य, सबमर्सिबल पंप एवं सिन्टेक्स स्थापना कार्य सम्मिलित है। किन्तु धरातल पर हेंडपम्पो में सबमर्सिबल पंप व सिन्टेक्स स्थापना कार्य कम देखने को मिले। ज्यादातर हेंडपम्पो को महिलाओं द्वारा हाथ से चलाकर पानी भरते देखा गया। सरपंच सचिव ने जितनी राशि पेयजल व्यवस्था के नाम पर निकाली है, उतनी राशि खर्च से तो शायद इस पंचायत के घर- घर नल से जल पहुँच जाता और यहां की महिलाओं को पेयजल के लिए घरों से बाहर दौड़ लगानी नही पड़ती। बहरहाल कोरबी (सी) पंचायत में तत्कालीन सरपंच के बीते पंचवर्षीय कार्यकाल में ग्राम के बुनियादी ढांचा को मजबूत करने के नाम से अनाप- शनाप राशि निकाली गई है और खुद के आर्थिक ढांचे को मजबूत किया गया है, जिसे अगले खबर में प्रसारित किया जाएगा।

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