विदेश की बात तो छोड़ो, विदेश में तो तबाही मचेगी – बाबा उमाकान्त महाराज

विदेश की बात तो छोड़ो, विदेश में तो तबाही मचेगी – बाबा उमाकान्त महाराज
समुद्र के किनारे जो भी बड़े शहर हैं, उनके निवासियों को यह समझना चाहिए कि हम पानी की नाव पर चल रहे हैं।
उज्जैन। वक्त गुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन आश्रम से 11.06.2025 को प्रातः काल के सतसंग में देश दुनिया के लोगों को आगाह करते हुए कहा कि, “आज की तारीख में तो मैं इस बात को बता देना चाहता हूं कि समुद्र के किनारे जो भी बड़े शहर हैं, उनके निवासियों को यह समझना चाहिए कि हम पानी की नाव पर चल रहे हैं। कभी भी पानी भर जाए; उसमें हम डूब जाएं और न अगर इन बातों पर विश्वास आये तो चले जाओ दरिया के किनारे, वहाँ लहरें ट्रेलर दिखा रही हैं। वह दिखा रही है कि हम तुमको ऐसे बुला लेंगे अपने पास और वही लहर अगर बढ़ गई तो खींच ले जाएगी इनको। जैसे ज्वार भाटा आता है तो लहरें बड़ी तेज आती है, बिल्कुल किनारे तक जाती हैं और बालू और जो भी अत्तल-पत्तल रहता है उसको खींच कर, ले जा कर अपने में मिला लेती है। ऐसे ही मिला लेगी।”
विदेश में तो तबाही मचेगी
विदेश की बात तो छोड़ो, विदेश में तो तबाही मचेगी लेकिन चूंकि यह सन्तों की भूमि है, सन्तों का यहां प्रादुर्भाव होता रहा है, सन्तों के संस्कार यहां लोगों में पड़े हुए हैं इसलिए जितने भी पूर्वज सन्त हैं, वे कोई नहीं चाहते कि भारत का नुकसान हो। लेकिन कर्म जब लोगों के खराब हो रहे हैं, तब फिर उसकी माफी कितनी होगी? तो शहरों में कर्म लोगों के ज्यादा खराब हो रहे हैं।
जब धरती माता नाराज हो जाएगी तब बड़े-बड़े शहरों की धरती फटेगी
जो पहाड़ों पर रहते हैं, कहेंगे यहां कहां समुद्र आएगा या नदी आएगी जो बहा ले जाएगी? तो उनको सजा कौन देगा? यह धरती देगी, यह धरती फटेगी। मान लो 10 किलोमीटर लंबा, 10 किमी चौड़ा कोई बड़ा शहर है और एक डेढ़ किलोमीटर तक बीच में धरती फट गयी तो घर से बाहर गया हुआ कोई व्यक्ति घर तक पहुंच पाएगा? और जो जहां फटेगा, वहां कुछ बचेगा? कुछ नहीं बचेगा। वह सब नीचे चला जाएगा और कितना नीचे जाएगा इसका कोई भरोसा, कोई ठिकाना नहीं है।
जब यह धरती माता नाराज हो जाएगी तब पता ही नहीं चलेगा कहां चले गए, क्या हुआ। धरती माता नाराज हो रही हैं और अगर नहीं संभले तो यह अवश्यंभावी है, होना ही होना है। जैसे कृष्ण भगवान ने बहुत समझाया लेकिन जब नहीं माने कौरव तब उन्होंने कहा महाभारत अवश्यंभावी यानी होना ही होना है। विनाश तो होना ही होना है। तो भाई विनाश की स्थिति क्यों आवे?
खराब समय से बचाव के लिए क्या करना चाहिए
देश के सभी कोनों में साधना शिविर लगवा दो जहाँ जैसी-जैसी परिस्थिति है और इंतजाम करा दो। बड़े शहरों में जगह की कमी रहती है इसलिए लोग अभाव में आ जाते हैं और ज्यादा खतरा भारत के बड़े ही शहरों में है। इसलिए वहां ज्यादा से ज्यादा साधना शिविर लगाओ।