राजतंत्र की तरह प्रजातंत्र में भी ट्रैनिंग होनी चाहिए – बाबा उमाकान्त महाराज

राजतंत्र की तरह प्रजातंत्र में भी ट्रैनिंग होनी चाहिए – बाबा उमाकान्त महाराज
यदि अच्छे लोग हों तो राजतंत्र और प्रजातंत्र दोनों ही अच्छे हैं
उज्जैन। मुक्ति दिवस के पावन पर्व पर वक्त गुरु परम पूज्य परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने सतसंग कार्यक्रम में बताया कि पहले के समय में राजतंत्र था, राजा हुआ करते थे। प्रजातंत्र तो लोग इसलिए लाए कि प्रजा सुखी हो जाएगी, लेकिन प्रजातंत्र में भी दुखी हैं। पहले राजाओं के लड़के होते थे या खानदान में जो लोग होते थे, उनको ट्रेनिंग मिलती थी, सिखाया जाता था। वह कहां जाते थे? विद्या आश्रमों पर जाते थे, जहां महात्मा उनको शिक्षा देते थे, उनको राज करने के लायक बनाते थे। रामचरितमानस में लिखा हुआ है “गुरु गृह पढ़न गए रघुराई, अल्पकाल विद्या सब पाई” कि राम जैसे भगवान, जिनकी लोग पूजा करते हैं, जिनको लोग कुशल प्रशासक मानते हैं; वीर योद्धा मानते हैं, ऐसे राजा राम, जब पढ़ने गए थे, राजकुमार राम थे, राजा दशरथ के पुत्र थे तो गुरु के आश्रम से सीख करके आए थे कि किस तरह से राज किया जाता है, किस तरह से त्याग किया जाता है, किस तरह से समस्याओं से निपटा जाता है, सारी बातों को सीख करके आए थे, तब देखो आज उनकी पूजा होती है। तो ट्रेनिंग होती थी और वह लोग जब राज करते थे तब प्रजा बड़ी सुखी रहती थी, बहुत संपन्न रहती थी।
ऐसा भी उदाहरण मिलता है कि राजा टोपियां सील कर, उनको बेचकर के गृहस्थी चलाते रहे, लेकिन प्रजा का धन नहीं खाया
एक कहावत है “बाढ़ै पुत्र पिता के धर्मा, खेती बाढ़ै अपने कर्मा” जैसा राजा वैसी प्रजा, जैसा पिता वैसे उसके बच्चे। वह जो राजा होते थे, जिस तरह वह रहते थे, आचरण करते थे, त्याग करते थे, उसी तरह से उनकी प्रजा भी रहती थी। ऐसे-ऐसे उदाहरण मिल रहे हैं कि राज करने वाले कोठियों में, महलों में रहे ही नहीं, वे तो लंगोटी लगा कर रहे। ऐसा भी उदाहरण मिलता है कि टोपियां सील-सील कर, बेचकर के और कुरान लिख-लिख कर, बेचकर के गृहस्थी चलाते रहे, लेकिन प्रजा का धन नहीं खाया। आज उन्हीं की सफलता का इतिहास बना हुआ है। अब आज की स्थिति कैसे, क्या हो गई ? इस चीज को तो हम यहां आज कहना नहीं चाहते हैं, लेकिन यह कारण जरूर बताना चाहते हैं कि ट्रेनिंग नहीं है, कोई जानकारी नहीं है, प्रतिशोध की भावना है, सहयोग (कोऑपरेशन) नहीं है; रिएक्शन है कि यह जो बोले उसका उल्टा, वह जो करें उसका उल्टा और हम कैसे कामयाब हो जाएं, हम कैसे क्या हो जाएं, यह लगा हुआ है। देश एवं पूरे विश्व की स्थिति खराब होती जा रही है।
प्रजातंत्र में भी ऐसे लोग होने चाहिए कि जो समय-समय पर सलाह देते रहें
ऐसा भी जनता मांग करने लग गई कि हमारे लिए राजतंत्र ही अच्छा था। कुछ दिन पहले पड़ोसी देश नेपाल में जनता ने आंदोलन शुरू कर दिया कि रोज उथल-पुथल, रोज उठा-पटकी, रोज सरकार बदलना, रोज हड़ताल होना, रोज तोड़फोड़ होना, रोज ये सब होना; इससे अच्छा तो राजतंत्र था। राजतंत्र अच्छा है, लेकिन राजा भी जो रहे वह ट्रेनिंगशुदा (ट्रेनिंग प्राप्त किया हुआ) रहे। प्रजातंत्र भी अच्छा है, लेकिन प्रजातंत्र में भी ट्रेनिंग होनी चाहिए। प्रजातंत्र में भी ऐसे लोग होने चाहिए कि जो समय-समय पर सलाह देते रहें, तब प्रजातंत्र भी अच्छा है। अच्छे दोनों हैं, लेकिन जब कराने और करने वाले अच्छे लोग हों; तभी यह संभव होता है।