गीतकार राही को विद्यावाचस्पति 2024 का सर्वोच्च सम्मान
दिल्ली : पण्डित दीनदयाल उपाध्याय हिन्दी विद्यापीठ" भारत सरकार द्वारा, पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर, "हिंदी राष्ट्रीय दिवस" के साहित्यिक पखवाड़े में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी व सम्मान समारोह का भव्य आयोजन दिल्ली स्थित "पांच सितारा रेडीसन ब्लू" में किया गया, जिसमें अलीगढ़ के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षाविद् वरिष्ठ गीतकार अवनीश राही को उनकी शिक्षा, योग्यता एवं कला, साहित्य, संस्कृति, शिक्षण, व गीत-सृजन के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल करने पर उनके अतुलनीय योगदान हेतु गोल्ड मेडल, प्रतीकचिह्न,अंग-वस्त्र, विद्यावाचस्पति प्रमाणपत्र, तथा दीक्षांत समारोह गाउन पहनाकर "विद्यावाचस्पति डॉक्ट्रेट की मानद् उपाधि 2024" के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया।
यह सम्मान कार्यक्रम के दौरान पं. दीनदयाल उपाध्याय हिन्दी विद्यापीठ के "कुलपति डॉ. इंदू भूषण मिश्र देवेंदु" व रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय झाँसी के "पू. कुलपति पद्मश्री माननीय डॉ. अरविंद कुमार" के कर-कमलों द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। साथ ही गीतकार अवनीश राही के काव्य संग्रह "उन दिनों 1992" का विमोचन भी किया गया। जिसमें डॉ.राही की वो दुर्लभ रचनाएँ हैं जो उन्होंने दस से सत्रह वर्ष की बाल्वस्था में कलमबद्ध की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कर रहे पू. कुलपति पद्मश्री डॉ अरविन्द कुमार ने कहा कि साहित्य को समाज का आईना इस लिए कहा जाता है कि साहित्य समाज की उन्नति और विकास की आधारशिला रखता है। साहित्यकार डॉ.अवनीश राही भी एक ऐसा ही नाम है जो शब्द और भावों की ईटों से नित नई साहित्य की सुंदर इमारतें गढ़ रहे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पं दीनदयाल उपाध्याय हिन्दी विद्यापीठ के कुलपति डॉ॰ देवेंदु ने कहा कि गीतकार अवनीश राही कलम के सच्चे सजग प्रहरी हैं,उनके लेखन में जन-मानस की पीड़ा मुखरित होती है। उनका साहित्य जात-पात, ऊँच-नीच,धर्म- मज़हब से ऊपर उठकर मानवीय संवेदनाओं को स्पर्श करते हुए आदमी को आदमी बनाने पर बल देता है। आज हम गीतकार राही को "विद्यावाचस्पति डॉक्ट्रेट की मानद् उपाधि 2024" के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित कर, स्वयं भी गौरवान्वित हैं।
"डॉक्ट्रेट की मानद् उपाधि" मिलने पर डॉ.राही ने कहा कि निस्संदेह मैं इस सम्मान से अभिभूत हूँ क्यूंकि यह सम्मान मेरा ही नहीं बल्कि पूरे साहित्य-समाज का है इसलिए मैं इसे सच्चे कलमकारों, तमाम चाहने वालों सहित अपने साहित्यिक गुरु "पद्मभूषण डॉ.गोपालदास नीरज" व अपनी प्रथम-कलम साहित्यकार एवं कवि "पिता श्रद्धेय अमरसिंह राही" को समर्पित करता हूँ। वाकई इस सम्मान में बहुत वजन हैं इसे पाकर मेरी साहित्यिक और सामाजिक जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है।
इस बार यह सम्मान अलीगढ़ को मिलने पर जहाँ अलीगढ़ वासियों में खुशी की लहर है वहीं माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के शिक्षा निदेशक महेन्द्र देव, इटावा के जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार, बुलंदशहर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी लक्ष्मीकांत पाण्डेय,आई.ए.एस. धीरेंद्र सचान विशेष सचिव उ.प्र.सरकार,पूर्व एमएलसी विवेक बंसल, पार्श्वगायक उदित नारायण सहित मुंबई फिल्म नगरी के चाहने वालों ने भी बधाई दी है। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ महाराष्ट्र सहित पूरे भारत से साहित्यिक मनीषियों,विद्वानों और शिक्षाविदों ने शिरकत की।
ज्ञातव्य हो कि गीतकार डॉ॰ अवनीश राही अलीगढ महानगर के हीरालाल बारहसैनी इंटर कालेज में व्याख्याता पद पर आसीन हैं।