राजनीती

”सत्ता के नशे में मदमस्त भाजपा जिलाध्यक्ष? वाहवाही की होड़ में मेवाड़ा ने लांघी मर्यादा?”

नेता की इमेज चमकाने की नौटंकी? कार्यकर्ता बने मोहरे?

भीलवाड़ा। भारतीय जनता पार्टी अपने अनुशासन और मर्यादा के लिए जानी जाती है, लेकिन हाल ही में भीलवाड़ा भाजपा जिलाध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा का रवैया पार्टी की रीति-नीति पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है।हुआ यूं कि भाजपा जिलाध्यक्ष मेवाड़ा ने 15 अगस्त को जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में मंच की गरिमा को दरकिनार करते हुए मंच पर संगठन के पदाधिकारियों को बैठाने की जिद पर अड गए। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन पर दबाव भी बनाया और जब बात सत्ताधारी पार्टी के जिलाध्यक्ष की हो तो प्रशासन को भी आखिरकार पदाधिकारियों को मंच पर बैठाना पड़ा।

कॉपी–पेस्ट तारीफ से जिलाध्यक्ष बने हास्य का पात्र?

जिलाध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा ने जहां एक ओर मर्यादा लांघते हुए 15 अगस्त को जिला स्तरीय कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को मंच पर बिठवाया और अब सत्ता की हनक में अपनी गलती मानने की बजाय स्वयं को सही साबित करने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया पर अपने ही पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से एक ही पोस्ट करवाकर खुद को सही साबित करने का दांव खुद पर ही उल्टा पद गया और अब यह दांव पूरे शहर भर में हास्य का कारण बना हुआ है जिसने जिलाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन व्यक्ति की गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए है।

नेता की इमेज चमकाने की नौटंकी?, कार्यकर्ता बने मोहरे

सोशल मीडिया पर तारीफ करवाने का जो तरीका अपनाया, उसने कार्यकर्ताओं को ही मज़ाक का पात्र बना दिया। सब पोस्ट एक जैसी और कॉपी–पेस्ट, मानो ऊपर से आदेशित हो। लोग कह रहे हैं – ”नेता जी को खुद पर भरोसा नहीं, तभी कॉपी–पेस्ट से तालियां बजवाई जा रही हैं।”

इस तरह की बनावटी नौटंकी से जिलाध्यक्ष की इमेज सुधरने के बजाय और ज्यादा बिगड़ती नज़र आ रही है?

पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष लादूलाल तेली ने कहा – “भाजपा संगठन अनुशासन और गरिमा को सर्वोपरि मानता है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों का अपमान करके वाहवाही लूटना भाजपा की परंपरा कभी नहीं रही। यह रवैया पार्टी की छवि खराब कर रहा है।”

संगठन में गहरा असंतोष –

मेवाड़ा के इस कदम से भाजपा कार्यकर्ताओं में असहजता फैल गई है। कई लोग इसे व्यक्तिगत ”चमक-दमक का खेल” मान रहे हैं, जो संगठन की साख को गहरी चोट पहुंचा सकता है।

“संगठन की साख पर दाग?”

बड़ा सवाल यह क्या भाजपा संगठन का मकसद अब अधिकारियों को नीचा दिखाकर वाहवाही लूटना रह गया है? या फिर यह मेवाड़ा की “निजी चमक-दमक” की कवायद है?

इनका कहना है

सार्वजनिक स्थान पर अधिकारियों को नीचा दिखाकर वाहवाही लूटना व अपना कद ऊंचा दिखाना ठीक नहीं है, इससे आमजन में पार्टी के प्रति अच्छा सन्देश नहीं जाता है। साथ ही कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों को मोहरा बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करना गलत है और कार्यकर्ताओं को भी ध्यान रखना चाहिए ” नेता तो आते जाते रहते है लेकिन कार्यकर्ता और पार्टी स्थाई है।

———- लादू लाल तेली (पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा)

 

 

भाजपा जिलाध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा

Pankaj Adwani

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