छत्तीसगढ़

CG – आयोग की समझाईश पर अनावेदक जमीन रजिस्ट्री का पैसा 5 लाख नगद व 5-5 लाख के दो चेक आवेदिका को दिया…

आयोग की समझाईश पर अनावेदक जमीन रजिस्ट्री का पैसा 5 लाख नगद व 5-5 लाख के दो चेक आवेदिका को दिया।

कार्यरत् महिलाओं को मातृत्व अवकाश एक अधिकार है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्यगण मान सदस्य लक्ष्मी वर्मा व सरला कोसरिया ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 316 वी एवं रायपुर जिले में 154 वी. जनसुनवाई की गई।

आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण नस्तीबध्द जिसमें से एक मामला आवेदिका के भूमि को अनावेदक द्वारा हडपने का था, जिसमें आयोग में सुनवाई के दौरान आवेदिका ने बताया कि अनावेदक से जमीन की राशि लेना था जबकि वह रजिस्ट्री कर चुकी है। अनावेदक द्वारा 5-5 लाख के दो चेक और नगद 5 लाख रूपये देने की बात आयोग में स्वीकार किया गया, जिसमें आयोग की समझाईश पर अनावेदक ने एक माह के अंदर पांच लाख रूपये नगद और 5-5 लाख रू. के दो चेक आवेदिका को दिया था। अतः आवेदिका को आयोग में किये गए शिकायत पर निराकरण होने के वजह से आयोग ने प्रकरण नस्तीबध्द किया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसने मातृत्व अवकाश का आवेदन दिया था और उसने 22/11/24 को एक पुत्र को जन्म दिया। नियमानुसार आवेदिका 180 दिन का मातृत्व अवकाश प्राप्त कर सकती थी, लेकिन महज 24 दिन का अवकाश ही स्वीकृत हुआ। अनावेदक ने बताया कि सविदा नियुक्ति 11 माह की अवधि के लिए किया जाता है दिनाक 03/01/25 को यह समाप्त हुआ. जिसके एक दिन बाद यह पुनः संविदा प्रारंभ कर दिया गया। लेकिन सर्विस ब्रेक के कारण नए करार में उसी संतान के लिए दुबारा मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता है। आयोग ने कहा कि दस्तावेज के आधार पर अपना विस्तृत जवाब प्रस्तुत करें तथा अन्य संविदाकर्मी को पूर्व में मातृत्व अवकाश दिये जाने का उल्लेख कर दस्तावेज प्रस्तुत करें। ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि दोनों पक्ष आपस में पड़ोसी है और फटाका फोड़ने को लेकर दोनो पक्षों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ। जिसमें अनावेदक की ओर से आवेदिका के परिजनों के खिलाफ एफ.आई.आर थाना राखी में दर्ज हुआ। आवेदिका ने और अनावेदक ने भी स्वीकारा कि अनावेदक के उपर एफ.आई.आर दर्ज कराया गया और मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

आवेदिका का कथन है कि उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। आयोग द्वारा दोनों पक्षों को समझाईश दी गई कि न्यायालय में अपराधिक परिवाद दायर करें जिससे प्रकरण का निराकरण उसी न्यायालय में हो जाए। इसी के साथ ही प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

इसी प्रकार दो पुराने प्रकरण में दो आवेदिकाओं ने सामाजिक बहिष्कार का मामला आयोग में प्रस्तुत किया था, जिसपर पूर्व में सुनवाई के दौरान आयोग की समझाईश पर अनावेदकगण आयोग की टीम की उपस्थिति में गांव में समाजिकगणों को बुलाकर सामाजिक बहिष्कार खत्म करना स्वीकारा था, जिसमें आयोग की टीम द्वारा दिनांक 24 मई 2025 को ग्राम नरी, थाना चंदनु जिला बेमेतरा में जाकर सामाजिक बहिष्कार खत्म कराया। आयोग की टीम के निर्णय को दोनो पक्षों ने स्वीकार किया। अत आयोग द्वारा प्रकरण के निराकरण पश्चात् प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों के मध्य मकान का पट्टा व बाउंडरी का विवाद था, आयोग ने सलाह दी, कि दोनों पक्ष नगर-निगम जोन 04 कमीशनर से विवाद का समाधान करा लेवे। जोन कमीशनर से रिर्पोट 2 माह के भीतर मंगाये जाने के बाद प्रकरण नस्तीबध्द किया जा सकेगा।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) का दूसरी महिला के साथ संबंध था, जिसके कारण आवेदिका ने शिकायत की थी। वर्तमान में दोनो पक्षों की आपस में सुलह हो गयी और वह एक साथ रहना चाहते है। आयोग की ओर से दोनो पक्षों की निगरानी एक वर्ष तक की जावेगी। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

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