NBL, 20/11/2024, Lokeshwar verma Raipur CG: Motivational News: Only one trick of yours works, drive away the fear inside you and move forward by taking risks with transparent thinking, this is God's blessing.पढ़े विस्तार से.....
जिस दिन हम अपनी गलतियों को पकड़ना सीख जायेंगे उस दिन हम सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए आगे बढ़ जायेंगे। और हम इंसान अपनी गलतियों को नजरअंदाज भी करते हैं भले ही वो गलतियां आपको भीतर से रोकती हों फिर भी हम समझौता नहीं करते। इसे आप मूर्खता कह सकते हैं। आप अपने ही जाल में फंस जाते हैं, क्योंकि आप खुद को होशियार समझते हैं जबकि आपके अंदर एक डर छिपा है जो आपको आगे बढ़ने से रोकता है और वो डर है आपका ज्यादा होशियार होना, आप अपनी ही बनाई कहानी में सस्पेंस बन जाते हैं, क्योंकि आप अपने लिए जो सुरक्षा कवच बना रहे हैं वो मजबूत नहीं है और ना ही आप किसी और को ठोस सुरक्षा दे पाएंगे क्योंकि आप भीतर से कायर हैं। आपमें जोखिम उठाकर आगे बढ़ने और अपना मनोबल बढ़ाने का साहस नहीं है इसलिए आपके पीछे वाले लोग भी कमजोर हो जाते हैं।
क्योंकि आपका डर आपके अंदर और आपसे जुड़े लोगों में शक पैदा करता है, और उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है। जबकि आपके मन के बनाए सुरक्षा कवच बहुत कमजोर हैं, जबकि दूसरों के बनाए सुरक्षा कवच आपके दिल और दिमाग में विश्वास पैदा करने में असमर्थ हैं, क्योंकि आप खुद को बहुत बड़ा ज्ञानी और दूसरों को मूर्ख समझते हैं, जबकि आप खुद एक कायर और मूर्ख अज्ञानी व्यक्ति हैं, क्योंकि आप होशियार हैं जो जोखिम लेने से डरते हैं, आप अपने ही धर्म शास्त्रों में कई महापुरुषों द्वारा उठाए गए जोखिमों के बारे में जानते हैं, जिन्होंने कई जोखिम उठाकर सफलता हासिल की है और कहते हैं कि हम इंसान हे भगवान मेरी रक्षा करो और हम उनसे मुफ्त में मदद मांगते हैं जैसे कि भगवान आपके गुलाम हैं, जबकि आपने खुद को गुलाम बना लिया है, डर को मारो और जोखिम उठाओ और असफलता वाला भयानक सा दिखने वाले शक्तिशाली रावण का वध करो,जैसे भगवान श्री राम ने रावण का वध किया और लक्ष्य प्राप्त किया, वैसे ही आप भी जोखिम उठाओ और अपने लक्ष्य को प्राप्त करो। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किसी टोटके की जरूरत नहीं है जैसा कि हम सदियों से करते आ रहे हैं, बस आपका एक टोटका काम करता है, अपने अंदर के डर को भगाओ और पारदर्शी सोच के साथ जोखिम उठाकर आगे बढ़ो, यही भगवान का आशीर्वाद है।जैसे हमारे सनातनी हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामायण में सबसे आदर्श चरित्र श्री राम हैं, जिन्हें हम सभी सनातनी हिंदू भगवान मानते हैं और उनके अच्छे आदर्शों पर चलने की कोशिश करते हैं और हमारे थोड़े से प्रयासों से हमारे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है, लेकिन हम सनातनी हिंदू धर्म के लोग अपने भगवान श्री राम की जोखिम उठाने की क्षमता से अपनी क्षमता बढ़ा सकते हैं, लेकिन हम बहुत कम लोग हैं जो हमारे आदर्श राजा भगवान श्री राम की जोखिम उठाने की नीतियों का पालन कर सकते हैं, भगवान श्री राम ने कई जोखिमों का सामना किया और सफलता मिलने के बाद उन्होंने अपने आसपास के लोगों का मनोबल बढ़ाया और श्री राम उनके लिए आदर्श बन गए और उनकी नजरों में भगवान बन गए और आज हम सभी सनातनी हिंदू अपने आदर्श राजा श्री राम को भगवान के रूप में पूजते हैं, जबकि श्री राम सभी के हैं।ऐसे कई महापुरुषों ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों के बाद सफलता प्राप्त की है, हम उनसे सीख सकते हैं और सफलता की सीढ़ी चढ़ सकते हैं। यह बहुत जरूरी है कि जोखिम के साथ आपका लक्ष्य पारदर्शी हो, तभी आप सफल हो सकते हैं।
आज जो लोग अपने पुराने अवसरों को छोड़कर नए अवसरों की तलाश करते हैं, वे उन ऊंचाइयों को छूने में असमर्थ होते हैं, क्योंकि वे लक्ष्यहीन लोग होते हैं, वे नए अवसरों से भी वंचित रह जाते हैं और उनका जीवन आसमान से गिरकर खजूर पर लटकने जैसा हो जाता है। 'एक साधे सब साधे सब साधे सब साधे सब जाए' के मार्ग पर चलने वाले लोग कभी भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते, क्योंकि वे अपने लक्ष्य के सत्य मार्ग से भटक कर असत्य का सहारा ले रहे होते हैं। लेकिन जो व्यक्ति एक लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है, वह अपनी सोच से परे ईश्वर द्वारा दी गई हर चीज को प्राप्त कर लेता है, क्योंकि वह एकनिष्ठ साधक होता है। उनके जीवन में अनेक कठिनाइयां आती हैं, लेकिन वे भ्रमित नहीं होते, बल्कि अपने लक्ष्य के शिखर पर ध्यान केंद्रित करते हैं जहां उन्हें पहुंचना है।
और उन लोगों के साथ होते हैं जो शिखर पर चढ़कर सफल हुए हैं या सफलता का मार्ग जानते हैं। लक्ष्यहीन लोग आपको गुमराह कर सकते हैं, इसलिए अपने मन को स्थिर करें और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें कि हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कितने पीछे रह गए, लेकिन हमसे कहां गलती हुई जो हम अपने लक्ष्य से दूर हो गए, और नए अवसर और नए लोग बनाने के बजाय फिर से प्रयास करें, जबकि पहले आप अपनी मंजिल के बहुत करीब थे, उस जगह रुकें और सोचें कि हमसे क्या गलती हुई, उस गलती को सुधारें और उसी पुराने रास्ते से अपनी मंजिल को पार करके लक्ष्य तक पहुँचें, आप लोग, रास्ता न बदलें, अपनी गलतियों को पकड़ें, हम कहां गलत थे, उन गलतियों से सीखें।हम इंसान अक्सर अपनी पहुंच से बाहर नजर आने वाली चीजों या लोगों के साथ जोखिम लेने से दूर रहते हैं और सुरक्षित रहना पसंद करते हैं। फिर आपके वो छोटे-छोटे डर आपको आगे नहीं बढ़ने देते क्योंकि आपमें उन ऊंचाइयों को छूने का साहस नहीं होता जिन्हें केवल कुछ ही लोग छू पाते हैं। ये डर दुनिया के कई लोगों को ऊपर उठने से रोकता है। इसीलिए वहां के लोगों में शारीरिक, मानसिक और आर्थिक संकट ज्यादा है।पुनर्निर्माण करने की क्षमता के अभाव के कारण ही दुनिया के देशों में आतंकवाद, नक्सलवाद जैसे कई अनैतिक संगठन मुफ्तखोरों की पैदावारी ज्यादा होते है जो थोड़े बहुत निर्मित निर्माणों को लूटने के लिए बनाए जाते हैं। जबकि इनमें जान-माल का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए दुनिया के लोगों को ज्यादा से ज्यादा नए निर्माण की ओर बढ़ने की जरूरत है ताकि लूटपाट की संभावनाएं कम हो जाएं। यही जोखिम वहाँ की जनता या वहाँ की सरकार उठाए तो सारे संकटो का निवारण हो सकता हैं।
जो लोग जोखिम लेने से डरते हैं, घबराते हैं, उनमें या तो आत्मविश्वास की कमी होती है या फिर उनमें आत्मविश्वास होता ही नहीं है। खुद पर विश्वास रखना बहुत जरूरी है। अगर आपको खुद पर विश्वास होगा तभी आप मजबूती के साथ कोई फैसला ले पाएंगे। समझने की कोशिश करें कि आखिर आपको किस बात का डर है। अगर आप सनातनी हिंदू धर्म से ताल्लुक रखते हैं तो आपको अपने धार्मिक ग्रंथ रामायण या गीता को जरूर पढ़ना चाहिए और अपने डर को दूर भगाना चाहिए और अपने आत्मविश्वास को मजबूत करना चाहिए क्योंकि इन पवित्र ग्रंथों में आपको असंभव को संभव करने का चरित्र दर्शन मिलेगा, कैसे एक छोटे से दिखने वाले व्यक्ति ने एक बहुत ही डरावने दिखने वाले शक्तिशाली शैतान को मार डाला, ऐसे कई चरित्र हैं जो आपके डर को पूरी तरह से खत्म कर देंगे और आप हारी हुई बाजी जीत सकते हैं और इससे आपका मनोबल बढ़ेगा।