बुराई, निंदा करने वाले से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए – परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज
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बुराई, निंदा करने वाले से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए – परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज
आपका कोई दुश्मन नहीं रहेगा तो आप स्वछन्धारी बन जाओगे
उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने सतसंग में समझाया कि अगर कोई आपकी बुराई कर दे तो समझ लेना चाहिए ये हमारे कर्मों को काट रहा है और इसके साथ हमारा लेना-देना अदा हो रहा है। कहते हैं।
“निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय।
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय।।”
तो निंदक को अपने आस-पास रखना चाहिए, उसको अपने साथ रखना चाहिए की निंदा कर-कर के जो भी जान-अनजान में बुरे कर्म बन गए उन कर्मों को काट ले, उनको बाँट ले। निंदा बुराई करने वाले से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए।
स्वच्छन्धारी कौन हो जाते हैं ?
स्वछन्धारी वह होता है जो दो बात बर्दाश्त कर लेता है। स्वच्छन्ध मतलब जो आजादी से कहीं भी घूमे। जब कोई गाली भी दे और उसका कोई जवाब ना दे बल्कि उसका पैर छू ले, तब वह आपका दुश्मन बनेगा? नहीं बनेगा। दुश्मन जिनके बन जाते हैं वे आजादी से घूम नहीं सकते हैं, हमेशा डरते रहते हैं कि पता नहीं कौन हमला कर दे और जब आपका कोई दुश्मन नहीं रहेगा तो स्वछन्धारी बन जाओगे, फिर कहीं भी घूमो; कहीं भी आओ-जाओ, कोई शंका नहीं कि कोई पीछे से मार देगा, आगे से मार देगा या दूर से मार देगा, तो वही स्वछन्धारी हो जाते हैं।
दस नली की बंदूक कौन सी होती है ?
कुछ लड़के एक बुजुर्ग आदमी के पास गए और बोले, “बाबा, कुछ बताइए, कुछ ज्ञान दीजिए।” बाबा ने कहा, “नहीं।” लड़के बोले, “आज बाबा नहीं बोल रहे हैं, लगता है ये डर गए हैं।” बाबा ने कहा, “हम किसी से नहीं डरते, हम केवल पाप से और भगवान से डरते हैं।” लड़के बोले, “डरते कैसे नहीं हो? देखो, सरपंच साहब के पास बंदूक है। वो तुम्हें गोली मार देंगे।” बाबा ने कहा, “उनके पास दो नली की बंदूक है, लेकिन मेरे पास दस नली की बंदूक है।” लड़के हैरान होकर बोले, “बाबा, हमने कभी दस नली की बंदूक न ही सुनी और न ही देखी। वह कैसी होती है?” बाबा बोले, “होती है, और मैं हमेशा उसे अपने साथ रखता हूं।” लड़कों ने कहा, “हमें तो नहीं दिख रही बाबा, तुम उसे रखते कहां हो? दिखा दो।” बाबा ने कहा, “मैं उसे ऐसे नहीं दिखाता, जब मौका आता है तब दिखाता हूं।” अब लड़कों की उत्सुकता बढ़ गई और वे बाबा के पैर दबाने लगे, प्रार्थना करने लगे कि “बाबा, अब बता दो।” बाबा ने अपने हाथ की अंगुलियों को दिखाते हुए कहा, “देखो, एक हाथ में पांच अंगुलियां हैं, मतलब पांच नली और दोनों हाथ मिलाकर कुल दस नली हैं। ये दस नली जब मैं किसी के सामने (हाथ जोड़कर और सिर झुका कर) दिखाता हूं, तो वह भी सिर झुका देता है।”
तो कहने का मतलब यह है कि अगर तुम छोटे बन जाओगे, तो सब तुमसे प्यार करने लगेंगे।
बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम “जयगुरुदेव”
किसी भी बीमारी, दुःख, तकलीफ, मानसिक टेंशन में शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त रहते हुए जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव की ध्वनि रोज सुबह-शाम बोलिए व परिवार वालों को बोलवाइए और फायदा देखिए।