मध्यप्रदेश

रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण, ये तीनों गुण भौतिक एवं आध्यात्मिक तरक्की में बाधक होते हैं – बाबा उमाकान्त महाराज

रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण, ये तीनों गुण भौतिक एवं आध्यात्मिक तरक्की में बाधक होते हैं – बाबा उमाकान्त महाराज

विप्र, ब्राह्मण और पंडित किसे कहते हैं ?

उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने सतसंग में बताया कि पहले के समय में तो लोगों में योग्यता ज्यादा थी, उनको ज्यादा जानकारी थी, लेकिन धीरे-धीरे वह जानकारियां कम होती गई। लोगों ने जब कर्म करना कम (या बंद) किया, तो तरह-तरह के इनके नाम पड़ गए। शुरू में तो जब लड़का पैदा होता था, तो “विप्र” को बुलाते थे। “विप्र” किसको कहते हैं? कहा है “पूजहिं विप्र सकल गुण हीना। शुद्र न पूजहूँ वेद प्रवीणा।।” तो जो सभी गुणों (रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण) से परे हो जाता है, “विप्र” कहलाता है। उसके बाद फिर जब समय बीता तब, बोले ब्राह्मण को बुलाओ। और फिर बोलने लग गए कि पंडित जी को बुला लो।

ब्रह्म जाने सो ब्राह्मणा

“वेद पाठी विवेक विप्रा” जब कोई वेद का अध्यन करने लगता है, वेद पढ़ने लगता है, तब उसके अंदर विप्र के गुण आ जाते हैं। ब्राह्मणों को ही विप्र कहते हैं। जाति के ब्राह्मण तो मतलब ब्राह्मण होते हैं, जिन्होंने उस कुल खानदान में जन्म लिया जो ब्राह्मण रहे, लेकिन सच्चे ब्राह्मण तो वे तब माने जाएंगे जब सकल (सभी) गुणों से हीन हो जाएंगे। क्योंकि रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण, यही परेशान करते हैं, यही आगे तरक्की नहीं होने देते हैं, भौतिक तरक्की में तो बाधा डालते ही हैं, लेकिन आध्यात्मिक तरक्की में तो ये पूरे ही बाधक होते हैं। यह भी कहा है “ब्रह्म जाने सो ब्रह्मणा” जो अंदर में ब्रह्म का दर्शन करता है, ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है, वह ब्राह्मण कहलाता है।

पहले विद्वान पूरी जानकारी रखते थे

पंडित किसको कहते हैं? जो पढ़ते हैं और पढ़ाते हैं, उनको पंडित जी कहते हैं। जो कथा करते हैं, पाठ करते हैं, भागवत करते हैं, लोग उनको पंडित जी कहते हैं। अब भी बहुत से लोग इन संस्कारों में पंडित जी को बुलाते हैं, इनको विद्वान कहते हैं। पहले यह लोग पूरी जानकारी रखते थे और वही सब लोग यह काम करते थे। लेकिन अब तो यह हो गया कि लड़का काबिल हो या ना हो जजमानी नहीं छोड़नी है, शादी ब्याह का मंत्र जानता हो या ना जानता हो, कैसे भी वह शादी करा देता है। लेकिन पहले ऐसा नहीं था, पहले लोग जानकार हुआ करते थे। किस चीज के जानकार? हस्त रेखा के, ज्योतिष विद्या के, ग्रह नक्षत्रों के जानकार हुआ करते थे। कुछ लोग अभी हैं जिन्हें जानकारी है, लेकिन संख्या में बहुत कम हैं, पहले ज्यादा हुआ करते थे और जिन्हें जानकारी होती थी, वही यह सब काम करते थे। तो कुछ चीज ऐसी हैं कुछ गणित होती है जैसे किस नक्षत्र में पैदा होगा या इस समय जो सामान गायब हुआ होगा, या दाहिनी नाक का स्वास चल रहा होगा, उस समय प्रश्न किया गया होगा तो सामान मिल जाएगा या यह सामान इस दिशा में गया होगा अगर इस समय गायब हुआ होगा। कुछ चीजें ऐसी होती हैं कि अगर थोड़ी सी भी जानकारी हो जाए, तो वह सत्य ही निकलती है, तो उसका एक सिस्टम होता है। कुछ चीजें जो बिल्कुल एकदम सही होती हैं, तो वे सही होंगी ही। और मान लो अगर घंटा और पल में कुछ अंतर होता है, तो उसको पहचानते हैं उसी को पत्रा, पंचांग कहते हैं। और बताते हैं कि लड़का इस तरह का होगा, इस चीज को पसंद करेगा, और ऐसी चीजों को खाने से इसको कभी तकलीफ हो सकती है, इससे बचत करने का आपको उपाय करना होगा, यह ऐसा विद्वान होगा, इसको ऐसी जगह पर भेजना पढ़ने लिखने, तो सब बताते हैं। और फिर मुंडन संस्कार भी इस तरह करते हैं। और नामकरण भी उसी आधार पर रखते हैं। नाम भी वैसा रखते हैं जिस नक्षत्र में वह पैदा होता है। सारी चीज उस हिसाब से रखी जाती हैं। कहने का मतलब यह है कि आखिरी वक्त तक इन लोगों की जरूरत पड़ती है।

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