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विकास में सचिव व तत्कालीन सरपंच ने लगाया ग्रहण….! स्ट्रीट लाइट विद्युत व्यवस्था मरम्मत कार्य साफ- सफाई के नाम पर 22.37 लाख की राशि मे किया जमकर फर्जीवाड़ा आखिर कौन करेगा जनता के पैसे की वसूली? अधिकारी भी है शामिल?

0 तत्कालीन सरपंच, उपसरपंच, रोजगार सहायिका व सचिव के विरुद्ध भ्रष्ट्राचार के शिकायती जांच में सामने आया 24- 25 लाख का गड़बड़- घोटाला.

0 तत्कालीन उपसरपंच सह भाजपा नेता जितेंद्र जोशी व उसके रिश्तेदारों के नाम बिना काम 3- 4 लाख का भुगतान और फर्जी तरीके से वनभूमि पट्टा प्राप्त.

कोरबा/कटघोरा//ग्राम पंचायतों में सरकारी पैसे के गबन को रोकने के लिए जितने प्रयास हुए, उससे कहीं ज्यादा पंचायत के जिम्मेदारों ने आर्थिक गड़बड़ी की। चाकाबुड़ा पंचायत में भी फर्जीवाड़ा इस कदर हुआ कि फर्जी फर्म और फर्जी बिल के सहारे शातिर सचिव और तत्कालीन सरपंच ने खूब मलाई छानी। यहां स्ट्रीट लाइट, विद्युत व्यवस्था, मरम्मत कार्य, साफ- सफाई इत्यादि काम कागजो में बताया गया है और मूलभूत, 14वां, 15वां वित्त मद से लगभग 22.37 लाख आहरण किया गया है। जिनमे से ज्यादातर काम मौके पर नही कराया गया है और जो काम हुए भी है वे भी नाम मात्र के। ऐसे में सरकार को टैक्स के रूप में दिए जाने वाले आम जनता के खून पसीने की कमाई, जिसे शासन द्वारा ग्राम विकास के लिए जारी किया गया था, सचिव रजनी सूर्यवंशी व तत्कालीन सरपंच पवन सिंह कमरो के सांठगांठ से डकार ली गई। सचिव व तत्कालीन सरपंच ने गांव के खम्भों में गिनती भर के स्ट्रीट लाइट लगवाया, वह भी घटिया किस्म के जो महीने भर जलने बाद बंद हो गए। जिसके नाम पर 3.21 लाख निकाली गई। प्राथमिक शाला, आंगनबाड़ी शौचालय, स्वास्थ्य केंद्र, नाली, यात्री प्रतीक्षालय, नाला, बोर मरम्मत पर 9.80 लाख का आहरण किया गया। गली साफ- सफाई व समतलीकरण, सोख्ता गड्ढा एवं शौचालय निर्माण के लिए 8.90 लाख खर्च दिखाया गया और सामुदायिक भवन में विद्युत व्यवस्था के लिए 98 हजार आहरित की गई। कुल मिलाकर 22.37 लाख का आहरण पंचायत के विभिन्न मद से किया गया, जबकि गांव में उक्त राशि आहरण से संबंधित 25 प्रतिशत काम भी नही हुआ है। सरकार द्वारा आबंटित मूलभूत, 14वें, 15वें वित्त की राशि सीधे पंचायत खाते में दिया जाता है। जिसका उपयोग मूलभूत आवश्यकता जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, बिजली, सड़क, नाली, व अन्य कार्यों के लिए होता है। मूलभूत राशि खर्च के लिए पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बैठक कर प्रस्ताव पारित किया जाता है, जबकि 14वें, 15वें वित्त के लिए बकायदा कार्ययोजना तैयार की जाती है और 50 हजार से अधिक की राशि व्यय करने के लिए स्टीमेट और मूल्यांकन आवश्यक होता है। जहां सरपंच सचिव द्वारा पंचायत में कराए गए कार्य की भुगतान राशि पहले से पंजीकृत सप्लायर के खाते में ट्रांसफर की जाती है। लेकिन चाकाबुड़ा पंचायत में इस नियम का पालन नही हुआ। सचिव सरपंच के मिलीभगत से आधे से भी अधिक काम कागजो में ही दिखाकर छोटे- छोटे हिस्सों में लाखों की राशि खुद से तैयार किये गए फर्मो के खाते में पीएमएमएस के माध्यम से डाल दी गई और जिसके व्यय से संबंधित ब्यौरा में केवल बिल ही प्रस्तुत कर लाखो रुपए हजम कर लिया गया। जिन कार्यों में मूल्यांकन की जरूरत नही पड़ी। तत्कालीन सरपंच के कार्यकाल में हुए इन भ्रष्ट्राचार को लेकर शायद विभाग के अधिकारियों ने भी लूट की खुली छूट दे दी ताकि वे अपनी जेबें भरने के साथ उनका हिस्सा भी उन तक पहुँचाए। यही वजह है कि 2300 की आबादी वाले ग्राम पंचायत चाकाबुड़ा का विकास बीते पांच साल में केवल कागजों तक सिमट कर रह गया। ग्रामीणों का भी मानना है कि सचिव और तत्कालीन सरपंच ने मिलकर पंचायत को लूट लिया। सचिव रजनी सूर्यवंशी ने जहां भ्रष्ट्राचार से बेहिसाब संपत्ति हासिल की तो वहीं सरपंच पवन सिंह कमरो भी अपने पंचवर्षीय सरपंची कार्यकाल में फर्श से अर्श तक जा पहुँचा। ग्राम के जागरूक लोगो के अनुसार चाकाबुड़ा में विगत 10- 11 वर्ष पूर्व से एसीबी पावर प्लांट संचालित है, जिसने प्रभावित ग्राम कसईपाली व चाकाबुड़ा को गोद लिया है और ग्राम विकास कार्यों के लिए समय- समय पर लाखों की राशि दी जाती है, जिसे भी तत्कालीन सरपंच, उपसरपंच व सचिव ने मिलकर हजम कर लिया और गांव के विकास में फूटी कौड़ी तक नही लगाई। ग्रामीणों ने शिकायत मामले को लेकर भी बताया कि डेढ़ माह पूर्व तत्कालीन सरपंच पवन सिंह कमरो, उपसरपंच जितेंद्र जोशी, सचिव रजनी सूर्यवंशी व रोजगार सहायिका अंजू सिदार के भ्रष्ट्राचार को लेकर लिखित शिकायत कलेक्टर से की गई थी, जिसकी जांच भी हुई और लाखों का गबन भी उजागर हुआ लेकिन कार्रवाई का अबतक अता पता नही है। ग्रामीणों ने शिकायती मामले में आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। यह भी बता दें कि तत्कालीन सरपंच, उपसरपंच, रोजगार सहायिका, सचिव द्वारा किये गए अनियमितता को लेकर वर्तमान सरपंच, पंचों व ग्रामीणों द्वारा कलेक्टर से की गई शिकायत के जांच में 24- 25 लाख का गड़बड़ घोटाला सामने आया है, जिसमे तत्कालीन उपसरपंच सह भाजपा नेता जितेंद्र जोशी व उसके परिवार के नाम पर बिना काम 3- 4 लाख का फर्जी भुगतान होना पाया गया है, साथ ही वनभूमि पट्टा का भी बेजा लाभ लेना पाया गया है। जिस पूरे मामले को अगले खबर में प्रसारित किया जाएगा।

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