CG – चूंकि सिंध ज्योतिर्मठ के दायित्व अंतर्गत है अतः सिंधी समाज ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज से जुड़े : साईं मसन्द

चूंकि सिंध ज्योतिर्मठ के दायित्व अंतर्गत है अतः सिंधी समाज ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज से जुड़े : साईं मसन्द
मुम्बई के सिंधी संतों, सामाजिक नेताओं एवं शहीद हेमू कालाणी के परिवार ने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज से की बैठक
रायपुर / मुम्बई। विश्व, राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर पर ख्यातिनाम सिंधी समाज के मुम्बई निवासी कुछ संतों, सामाजिक नेताओं एवं अमर शहीद हेमू कालाणी परिवार ने ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद महाराज के साथ बोरीवली के कोरा केन्द्र में आयोजित शंकराचार्य महाराज के चातुर्मास व्रत महोत्सव के प्रवचन हाल में बैठक की। बैठक की अध्यक्षता सिंधी समाज के प्रखर संत, भारत के पूज्यपाद शंकराचार्यों के नेतृत्व में गठित १०८ देशों के अंतरराष्ट्रीय हिन्दू संगठन परम धर्म संसद १००८ के संगठन मंत्री, मसन्द सेवाश्रम रायपुर के पीठाधीश साईं जलकुमार मसन्द साहिब ने की।
बैठक में मुम्बई के प्रसिद्ध झूलेलाल मंदिर के महंत पं. हीरानन्द महाराज, अमर शहीद हेमू कालाणी की भाभी प्रसिद्ध समाजसेविका कमला कालाणी, उनके सुपुत्र नरेश कालाणी, विश्व सिंधु सेवा संगम के अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख लायन डा. राजू विजय मनवाणी, अंतर्राष्ट्रीय डायरेक्टर भारती छाबड़िया, वरिष्ठ भाजपा सिंधी नेता डॉ. अजीत मान्याल, पुरुषोत्तम लालसाईं चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव किशिन गोदवाणी, ट्रस्टी महाराष्ट्र सरकार के सेवानिवृत्त परिवहन आयुक्त कनयालाल गोलाणी, वाशी पुरस्वाणी, राज सिंगराणी, राज श्राफ, प्रसिद्ध भागवत कथाकार पंडित गिरीश महाराज, पंडित संदीप महाराज ने भाग लिया।
पूज्यपाद शंकराचार्य महाराज जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि देश विभाजन की भयानक त्रासदी से गुजरने के बावजूद सिंधी समाज ने कभी किसी से भीख नहीं मांगी, बल्कि अपने बुद्धि-कौशल व परिश्रम के बल पर देश का एक अनुकरणीय समाज बन गया है। उन्होंने बताया कि उनके समस्त अभियानों में सिंधी समाज के प्रखर संत साईं जलकुमार मसन्द साहिब अस्सी वर्ष की आयु में भी युवाओं जैसी सक्रियता निभा रहे हैं। वे केवल सिंधी समाज को ही नहीं अन्य समाजों को भी हमारे अभियानों से जोड़ने में बड़ी कारगर भूमिका निभा रहे हैं। हम सब उनके प्रति बड़ा स्नेह व सम्मान रखते हैं।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में साईं मसन्द साहिब ने कहा कि चूंकि चारों मठों के दायित्व निर्धारण में सिंध ज्योतिर्मठ के अंतर्गत है अतः सिंधी समाज ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज जी के गौ प्रतिष्ठा एवं अन्य सभी अभियानों में साथ दे। उन्होंने कहा कि सिंधी समाज का केवल इतिहास ही नहीं अपितु वर्तमान भी बड़ा गौरवशाली है। एक ओर भारत के लगभग सभी नगरों में समाज द्वारा अनुकरणीय लोकहितकारी कार्य किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर केन्द्र व राज्य सरकारों के कर भुगतान के द्वारा देश की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में भी उनकी भूमिका सराहनीय है।