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राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम (NQAP) के अंतर्गत ‘सर्विस प्रोवाइडर-cum-इंटरनल असेसर’ हेतु राज्य स्तरीय प्रशिक्षण सम्पन्न 

 

 

रायपुर |

छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा NHSRC व यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से 10 से 12 दिसम्बर 2025 तक राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम (National Quality Assurance Program – NQAP) के तहत सर्विस प्रोवाइडर-cum-इंटरनल असेसर का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य स्वास्थ्य संस्थानों में गुणवत्ता सुधार को गति देना, सेवाओं की विश्वसनीयता को सुदृढ़ करना तथा राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के अनुरूप आंतरिक मूल्यांकन क्षमता विकसित करना था। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में कुल 80 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया।

 

प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. सुरेंद्र पामभोई, संचालक SIHFW, डॉ. संजीव मेश्राम उप संचालक – क्वालिटी सेल, डॉ. गजेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य विशेषज्ञ यूनिसेफ छत्तीसगढ़ की उपस्थिति में किया गया।

उद्घाटन सत्र में डॉ. डॉ. पामभोई ने कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों में गुणवत्ता आश्वासन अब वैकल्पिक नहीं, बल्कि एक अनिवार्य और संरचनात्मक आवश्यकता है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्रशिक्षित इंटरनल असेसर ही जिलों व संस्थानों को NQAS प्रमाणन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं।

डॉ. मेश्राम ने राज्य की गुणवत्ता सुधार रणनीतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली को मजबूत किए बिना गुणवत्ता सुधार के लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता।

कार्यक्रम का तकनीकी नेतृत्व डॉ. गजेन्द्र सिंह, यूनिसेफ छत्तीसगढ़ द्वारा प्रदान किया गया, जिन्होंने प्रशिक्षण के सभी सत्रों को गुणवत्ता-केंद्रित, व्यावहारिक और संस्थागत अपेक्षाओं के अनुरूप दिशा प्रदान की। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC), नई दिल्ली से सलाहकार डॉ रतन शेखावत स्वयं प्रशिक्षण के दौरान मौजूद रहीं और उन्होंने राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों, मूल्यांकन तकनीकों तथा स्कोरिंग प्रणाली पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया।

प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों, आठ विचारणीय विषयों (Areas of Concern), चेकलिस्ट आधारित मूल्यांकन, स्कोरिंग प्रणाली, गैप-एनालिसिस, सुधारात्मक कार्ययोजना (CAPA) निर्माण, क्लिनिकल स्टैंडर्ड्स, सपोर्ट सेवाएँ, पेशेंट राइट्स, संक्रमण नियंत्रण, बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन, टीम-प्रबंधन एवं रिकॉर्ड-कीपिंग के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहन तकनीकी जानकारी प्रदान की गई।

डॉ. गजेन्द्र सिंह, NHSRC विशेषज्ञों एवं डॉ विक्रम शर्मा द्वारा संचालित सत्रों ने प्रतिभागियों को संस्थागत गुणवत्ता सुधार की प्रक्रियाओं को गहराई से समझने तथा उन्हें व्यवहार में लागू करने की क्षमता विकसित की।

 

प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों ने फील्ड-सिमुलेशन अभ्यास, मॉक इंटरनल असेसमेंट, स्कोरिंग व गैप-एनालिसिस, केस-स्टडी आधारित चर्चा तथा मॉक-ऑडिट के माध्यम से वास्तविक परिस्थितियों में गुणवत्ता मूल्यांकन का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।

विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि गुणवत्ता सुधार एक सतत प्रक्रिया है, जो डेटा-आधारित निर्णय, नियमित निगरानी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही संभव है।

 

सत्रों में यह संदेश प्रमुखता से उभरकर सामने आया कि “गुणवत्ता केवल दस्तावेज़ों का संकलन नहीं, बल्कि रोगी-केंद्रित सेवा की अटूट प्रतिबद्धता है” तथा “कुशल इंटरनल असेसर ही संस्थागत गुणवत्ता सुधार की वास्तविक रीढ़ हैं।”

 

राज्य के विभिन्न जिलों से आए चिकित्सा अधिकारियों, स्टाफ नर्सों, जिला गुणवत्ता प्रबंधकों, आरएमएनसीएच सलाहकारों तथा सेवा-प्रदाता कर्मियों ने प्रशिक्षण में अत्यंत उत्साहपूर्वक भाग लिया।

समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपने-अपने स्वास्थ्य संस्थानों में नियमित इंटरनल असेसमेंट सुनिश्चित करने, गुणवत्ता सुधार के लिए ठोस कार्ययोजनाएँ तैयार करने तथा NQAS प्रमाणन प्राप्त करने के लिए संगठित प्रयास करने का संकल्प लिया।

 

प्रशिक्षण को सफल बनाने में यूनिसेफ, NHSRC नई दिल्ली की वरिष्ठ सलाहकार, राज्य गुणवत्ता डिवीजन तथा प्रशिक्षण से जुड़े सभी विषय-विशेषज्ञों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

 

यह तीन दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण छत्तीसगढ़ को अधिक सुरक्षित, गुणवत्ता-उन्मुख और मरीज-केंद्रित स्वास्थ्य व्यवस्था की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम प्रदान करता है।

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