सुमिरन-ध्यान-भजन से ही दुःख तकलीफ दूर होंगे और इसी से मुक्ति मोक्ष का रास्ता भी खुलेगा – बाबा उमाकान्त महाराज

बाबा उमाकान्त महाराज का अपने भक्तों को विशेष आदेश ; बाबा जयगुरुदेव महाराज के वार्षिक भंडारे से पहले कम से कम पाँच दिन का अखण्ड साधना शिविर लगाओ
सुमिरन-ध्यान-भजन से ही दुःख तकलीफ दूर होंगे और इसी से मुक्ति मोक्ष का रास्ता भी खुलेगा – बाबा उमाकान्त महाराज
उज्जैन। बाबा उमाकान्त महाराज ने 16 अप्रैल 2025 को सांयकाल ऑनलाइन सतसंग के माध्यम से बताया कि काल भगवान के इस देश में आपके कर्मों का कर्जा बहुत ज्यादा हो गया और कर्म काटने का तरीका होता है; सेवा और भजन। सेवा तो आप करते हो लेकिन कर्जा (कर्म) इतना ज्यादा इकट्ठा है कि उससे कर्म (सारे कर्म) कट नहीं पाते हैं इसीलिए उसको इसी मनुष्य शरीर में भोगना पड़ता है। तो यह जो कर्मों की वजह से तकलीफ आ रही है, उसको काटना जरूरी है। इस जीवात्मा के ऊपर जो मैल जन्म-जन्मांतर की लगी हुई है वह जब तक साफ नहीं होगी तब तक यह जीवात्मा प्रभु तक नहीं पहुँच पाएगी और बराबर इसी तरह से दुःख के संसार में आते रहना पड़ेगा। फिर यह मौका जल्दी नहीं मिलेगा, यह मनुष्य शरीर जल्दी नहीं मिलेगा इसीलिए कर्म काटना बहुत जरूरी है। अब कर्म कटेंगे कैसे? दुःख तकलीफ कैसे दूर होगी? शरीर का कष्ट कैसे दूर होगा? आर्थिक परेशानी (गरीबी) कैसे दूर होगी? मानसिक टेंशन कैसे दूर होगा? यह दूर होगा सुरत शब्द योग साधना के द्वारा।
सब लोग कम से कम पांच दिन बैठ करके जरूर साधना करें
साधना शिविर अभी जगह-जगह पर लगाई गयी थी; उसमें आपने सुबह, शाम ढाई घंटा तक साधना किया लेकिन मन पर काबू नहीं लगा। अब बराबर मन साधना में लगे उसके लिए आप सब लोगों को यह कहा जा रहा कि आप लोग अब अखण्ड साधना शिविर लगाओ। अखण्ड का मतलब खंडित नहीं होगा। यह साधना शिविर पाँच दिन की रहेगी। गुरु महाराज के भंडारे तक (25 मई) आपको 40 दिन मिलते हैं, इसी बीच आप को यह साधना शिविर लगानी है। जहाँ पर हो सकता है, वहाँ पांचों दिन चले और जहाँ नहीं हो सकता वहाँ जितने दिन का लगातार हो सके लगा दो। लेकिन सब लोग कम से कम पांच दिन बैठ करके जरूर साधना करें। चाहे पांच दिन लगातार करें, चाहे कुछ दिन छोड़ करके। घर का, दुकान दफ्तर का भी काम देख लें और साधना भी कर लें। इन पांच दिन के शिविरों में, जो लोग साधना कर लेंगे, वे खुद इसका फायदा महसूस करेंगे कि कितना इसमें हमें फायदा हो रहा है और कितना हमारा मन रुका; साधना में लगा। अभी मन नहीं लग रहा क्योंकि आदत नहीं बनी है लेकिन जब 24-24 घंटे किया जाएगा तब आदत बन जाएगी और फिर तो मन लग ही जाएगा, तो जो भी गृहस्थी से समय बचेगा, उसमें आदमी करेगा ही करेगा।
जो साधना करेगा उनको ज्यादा लाभ मिलेगा और जो इसकी व्यवस्था करवा देगा उसको भी कुछ लाभ मिल जाएगा
साधना शिविर में जो साधना करेगा उनको ज्यादा लाभ मिलेगा और जो इसकी व्यवस्था करवा देगा उसको भी कुछ लाभ मिल जाएगा। एक-एक आदमी अगर पांच-पांच साधना शिविर लगवा दिया तो उसको पांचों का जो थोड़ा-थोड़ा लाभ मिलना है, वह मिल जाएगा; देने वाले का बड़ा लंबा हाथ है। अब साधना में खाने-पीने वाली चीजें भी बहुत मदद करती हैं, तो सादा भोजन खाया जाए; गर्मी का महीना है, तो ज्यादा तेज तर्रार, ज्यादा मिर्च मसाले वाली चीज, तेल घी से बनी हुई चीजों से अगर बचा जाए तो अच्छा रहेगा। जहाँ जैसे भोजन हो, जो जल्दी हजम हो जाए और थोड़ा खाया जाए क्योंकि बैठना पड़ेगा, ज्यादा हो जाएगा तो पेट खराब हो जाएगा। अब इस पर (साधना) जोर दो, इसी से सब संकट दूर होगा, इसी से व्यवस्था सही होगी, इसी से मुक्ति और मोक्ष का रास्ता खुलेगा।