CG – शिक्षकों की बड़ी जीत : क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राज्य सरकार की एसएलपी….

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया है। इस फैसले पर प्रदेश के हजारों शिक्षकों की निगाह थी। सोमवार को पहली ही सुनवाई में न्यायाधीश ए.एस. ओका और न्यायाधीश एन. कोटीश्वर सिंह की खंडपीठ ने एसएलपी को खारिज कर दिया। इस केस में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रखा, जबकि शिक्षकों की तरफ से सीनियर वकील एस मुरलीधरण ने बात रखी।
जानें, क्या था मामला…
बता दें कि लंबे समय तक प्रमोशन न मिलने पर शिक्षकों ने 2013 में सरकार पर दबाव डाला, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 10 साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान देने का ऐलान किया। इसके बावजूद आंदोलन शांत नहीं हुआ। शिक्षकों के लगातार विरोध को देखते हुए सरकार ने एक साल बाद समतुल्य वेतनमान देने का निर्णय लिया, और इसके साथ ही क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश रद्द कर दिया। इसके बाद यह मामला ठंडा पड़ गया।
हालांकि, इसी बीच शिक्षिका सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान के लिए याचिका दायर की थी, जबकि सरकार ने नए वेतनमान के तहत इसे रद्द कर दिया था। सोना साहू ने सोचा कि क्रमोन्नति वेतनमान समाप्त होने के बावजूद यदि कोर्ट में याचिका दायर की जाए तो उसे लाभ मिल सकता है, और ऐसा ही हुआ। सोना साहू के पति ने केस दायर किया और जीत भी गए। इसके बाद हाई कोर्ट में याचिकाएं लगनी शुरू हो गईं, क्योंकि इस फैसले से छत्तीसगढ़ के 50 हजार शिक्षकों को फायदा हो सकता था।
राज्य सरकार को यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि जिला और जनपद पंचायत के अधिकारियों के कोर्ट आदेश का पालन करने से इतना बड़ा संकट उत्पन्न होगा। शिक्षकों ने सोना साहू को रोल मॉडल मानते हुए कोर्ट का रुख किया। जब कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, तो सरकार हरकत में आई। पहले ही सरकार क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश रद्द कर चुकी थी, और अब सोना साहू कोर्ट में केस जीत चुकी थीं। साथ ही, राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि 50 हजार शिक्षकों को क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ दे सके। इस संकट से बचने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सरकार ने स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की है, जिसका मतलब है कि इस मामले की जल्दी सुनवाई की जाए। सुनवाई हुई भी, जिसके बाद अब राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार की एसएलपी को डबल बेंच ने खारिज कर दिया है।
इस मामले में प्रतिवादी संख्या 1 सोना साहू का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता और उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डॉ. एस. मुरलीधर तथा रिकॉर्ड के अधिवक्ता देवाशीष तिवारी द्वारा किया गया था। पीड़ित शिक्षकों के मामले का समर्थन करने के लिए शिक्षक संघ की ओर से रामनिवास साहू, मनीष मिश्रा, रवींद्र राठौर और बसंत कौशिक उपस्थित थे।