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ताजमहल एक अजूबा कैसे जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से, वास्तु के चमत्कार…

ताजमहल एक अजूबा कैसे जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से, वास्तु के चमत्कार

डॉ सुमित्रा अग्रवाल
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री
कोलकाता
यूट्यूब वास्तुसुमित्रा

कोलकाता। ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस और विद्वान कल्लिमचुस को आज से करीब 2200 साल पहले आया था। इन दोनों महान व्यक्तियों ने दुनिया को सात अजूबे से अवगत करवाया। एक अजूबा भारत में भी है , ताजमहल। उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा में स्थित है। ये ऐतिहासिक धरोहर प्यार की निशानी मानी जाती है। इसका निर्माण सन १६३२ ईस्वी से लेकर १६५३ ईस्वी तक हुई। इसे मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था। इसकी सुंदरता, भव्यता और प्रतिष्ठा सिर्फ बाहरी या भीतरी संगरचना के कारण नहीं है। इसमें चमत्कारी वास्तु प्रयोग दीखते है। वास्तु शास्त्र के नियमो से बनी ये रचना आज भी अपने रुतबे को बनाये रखने में शक्षम है।

पूरी तरह सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया यह एक अनोखी कलाकृति एवं खूबसूरती का जबरदस्त नमूना है जिसके वास्तु के चमत्कार को साझा करते है।

१ । यमुना नदी का उत्तर में बहना (उत्ताराभिमुखी जलस्थान) :

वास्तु में उत्तर दिशा को धन, सुख और समृद्धि का दिशा माना गया है। यमुना का ताज महल के उत्तर में बहना वास्तु के अनुकूल है। जल का उत्तर में होना सकारात्मकता, भावनात्मक शुद्धि, और शीतलता का प्रतीक है।

२ । ब्रह्मस्थाना उचित और खुला है :

ताज महल का केंद्रीय गुंबद (मजार) वास्तु के ब्रह्मस्थाना में स्थित है – यह स्थल शुद्ध और अखंड होना चाहिए। ब्रह्मस्थाना का उचित और ऊँचा होना यह बताता है कि ताज के केंद्रीय बिंदु में शक्ति का केंद्रित संचय हुआ है। वहाँ कोई वाहन, भारी वस्तु या शौचालय नहीं है – जो वास्तु के नियम के अनुकूल है।

३। समानता और सम्यता (संतुलन) :

ताज महल का पूरा परिसर बिलकुल साम्यात्मक है – हर तत्व का एक मिरर रिफ्लेक्शन है। यह वास्तु का “सम्य और समृद्धि” सूत्र दिखाता है, जिसमें आकर्षण और आधारशिल्प दोनों हैं।

४। प्रमुख प्रवेश दक्षिण दिशा से (अग्नि का नियंत्रण) :

यात्रा का प्रवेश दक्षिण से होता है, लेकिन मुख्य समाधि उत्तर की ओरमुख होती है। अग्नि (दक्षिण) का नियंत्रण करते हुए उत्तर (शीतल और मोक्ष दिशा) की ओर प्रगति का संकेत मिलता है।

५। बाग़ और जल व्यवस्था (प्राकृतिक संतुलन) :

चार बाग़ व्यवस्था – ४ भागों में विभक्त – प्रकृति के पांच तत्वों का समावेश: जल (यमुना और फव्वारे) वायु (खुली हवा और एयरफ्लो) पृथ्वी (हरियाली) अग्नि (सूर्य की रोशनी का वितरण) आकाश (खुला केंद्रीय गुंबद और समरुपता)

आध्यात्मिक रूप से ताजमहल :

ताजमहल एक समाधि होने के बावजूद भी “शुद्ध, गगन और श्वेत” तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। यह मोक्ष, विरह और निर्मल प्रेम का वास्तुरचित रूप है।

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