छत्तीसगढ़

CG – बैंक आफ बड़ौदा से पीएम विश्वकर्मा योजना का पूर्ण लाभ नही देने लाभार्थी ने लगाया आरोप स्कीम के तहत मिलना था 1 लाख 30 हजार देने अड़ा शाखा प्रबंधक पढ़े पूरी ख़बर

कोरबा//पाली केंद्र सरकार की महत्त्वकांक्षी पीएम विश्वकर्मा योजना में भारत सरकार के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम बैंक आफ बड़ौदा ही पलीता लगाने में लगा हुआ है। जहां इस योजना में प्रशिक्षण प्राप्त लाभार्थी ने उक्त बैंक के शाखा प्रबंधक पर स्कीम के तहत ऋण स्वीकृत न करने का आरोप लगाया है और कहा है कि मैनेजर 1 लाख का लोन अस्वीकृत कर महज 30 हजार देने पर अड़ा है।

बैंक ऑफ बड़ौदा पाली शाखा द्वारा पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत ऋण स्वीकृत नही करने का आरोप एक लाभुक ने लगाया है। स्थानीय नगर के वार्ड क्रमांक- 10 निवासी सुशील श्रीवास पिता राजू श्रीवास का आरोप है कि उसने पीएम विश्वकर्मा योजना में प्रशिक्षण प्राप्त कर सेलून दुकान संचालन करने हेतु नियमानुसार बैंक आफ बड़ौदा शाखा में 1 लाख के लोन के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। किन्तु शाखा प्रबंधक द्वारा लोन की तय राशि को अस्वीकृत कर लाभार्थी को महज 30 हजार रकम देने में अड़ा है। लाभार्थी सुशील का कहना है कि आज के महंगाई में 30 हजार के ऋण से सेलून व्यवसाय का संचालन शुरू करना कठिन काम है। आज के प्रतिस्पर्धा में सेलून कार्य मे भी तरह- तरह के आधुनिक औजारों और उपकरणों का उपयोग हो रहा है। महंगी- महंगी कुर्सियां आ रही है, मिरर भी दुकान की सजावट का एक प्रमुख हिस्सा है। ऐसे में बैंक द्वारा 30 हजार का लोन स्वीकृत करना ऊंट के मुंह मे जीरा के समान है। जबकि अन्य लाभार्थियों को योजनानुसार 1- 1 लाख का ऋण प्रदान किया जा रहा है। यह उसके साथ बैंक मैनेजर द्वारा अन्याय और मानसिक प्रताड़ना है। वह लगातार बैंक का चक्कर काट रहा है।

बता दें कि हस्तशिल्पकारों और कारीगरों के उत्थान के लिए केंद्र सरकार ने साल 2023 में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की है। इस योजना के माध्यम से हस्तशिल्पकारों और कारीगरों को ट्रेनिंग और तकनीकी सहयोग के साथ- साथ आर्थिक मदद कर उन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया जा रहा है। जिसमे बढ़ई, लोहार, सुनार, कुम्हार, धोबी, मोची, नाई, दर्जी, माली, मूर्तिकार, टोकरी/चटाई बुनकर, हथकरघा बुनकर, राजमिस्त्री, मछली पकड़ने वाले जाल निर्माता, औजार बनाने वाले, लोहे तांबे या कांसे का कार्य करने वाले और मछुआरों से जुड़े पारंपरिक कारीगर जैसे 18 कार्यों को इस योजना में चयन किया गया है। केंद्र सरकार के इस स्कीम का उद्देश्य है कि इन कारीगरों तक सरकार की ओर से मिलने वाली हरसंभव मदद मिल सके। इसके अलावा बेहतर और आधुनिक औजारों व उपकरणों से ये अपनी कला में और भी ज्यादा निखार ला सके। साथ ही उन्हें पैसों की जरूरत के लिए कर्ज के जाल में न फंसना पड़े। इस कौशल विकास योजना में 5- 7 दिन का बेसिक ट्रेनिग तो दी ही जाती है, साथ मे 500 रुपये रोज के हिसाब से भत्ता भी मिलता है और 15 हजार की टूलकिट दी जाती है। ट्रेनिग बाद लाभार्थी को उसके बैंक खाते में प्रथम चरण में 1 लाख का गारंटी मुक्त लोन जिसे लौटाने के लिए 18 महीने का समय, वहीं दूसरे चरण में 2 लाख का लोन 30 माह की निर्धारित अवधि के लिए दिया जाता है। जिसमे लाभार्थी को 5 प्रतिशत ब्याज अदा करना पड़ेगा, जबकि 8 प्रतिशत ब्याज राशि सरकार वहन करेगी। जिस महत्त्वकांक्षी योजना से लाभार्थी सुशील श्रीवास के स्व- रोजगार अवसर पर बैंक रोड़ा बन रहा है।

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