भीलवाड़ा की राजनीति में सुलह का ड्रामा — “एक ही परिवार” का झगड़ा दबाव और “इमेज मैनेजमेंट” से थमा
अब मंच पर मुस्कानो से ढकने की कोशिश?
भीलवाड़ा। राजनीति के गलियारों में चर्चा का केंद्र बना आपसी विवाद अब खत्म होने की कहानी सुना रहा है — लेकिन लोगों के बीच सवाल अब भी वही है: क्या सच में मनमुटाव खत्म हुआ या बस दिखावे का मेल-मिलाप है? बीते दिनों शहर में पर्दे के पीछे हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा था, एक ही परिवार के दो गणमान्य सदस्यो में आपसी आरोप-प्रत्यारोप और छींटाकशी का दौर चला था। मामला बढ़कर शहर के एक थाने तक जा पहुंचा था, जहाँ “एक ही परिवार” के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने पहुंचे थे। पर्दे के पीछे राजनीति की आड में अपनी-अपनी ताकतें आजमाई गई, लेकिन परिणाम 0??
अब वही चेहरे एक साथ मंच साझा करते नज़र आ रहे हैं
सूत्र बताते हैं कि “ऊपर से दबाव” और “इमेज मैनेजमेंट” के चलते ये सुलह का नाटक रचा गया है। मानो कुछ हुआ ही न हो। वहीं टीम के भीतर अभी भी खींचतान और अविश्वास की दीवारें जस की तस??
कैमरे फ्लैश के आगे दिखावा तो नहीं?
जनता में भी अब यह सवाल गूंज रहा है — क्या टीम सच में एकजुट है, या फिर कैमरे की फ्लैश के आगे बस दिखावा कर रही है?
फैमिली ड्रामा” वाली कहानी रची
राजनीति में रिश्तों की यह “फैमिली ड्रामा” वाली कहानी इस बात का ताज़ा उदाहरण है कि भीलवाड़ा की सत्ता के गलियारों में आजकल सियासत से ज्यादा सिनेमा चल रहा है। असल में सियासत अब परिवारों की तरह नहीं, फिल्मों की तरह चल रही है — जहाँ कैमरा ऑन होते ही सबका किरदार बदल जाता है।