नियम विरुद्ध काम बताकर डकार ली 15वें वित्त की राशि,पहुँच मार्ग मुरुमीकरण के नाम पर 2.20 लाख का फर्जी अधिकारीयों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में जानें पूरा मामला पढ़े पूरी ख़बर
कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा//गांवों के विकास और ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने शासन से जारी राशि से निजी विकास को प्राथमिकता देने वाले कुटेशर नगोई के सचिव व तत्कालीन सरपंच द्वारा नियम विरुद्ध काम बताकर 15वें वित्त की राशि मे भारी अनियमितता का मामला सामने आया है, जहां बिना प्रावधान वाले काम बताकर लाखों रुपए डकार ली गई। जिस कार्य के भुगतान की अनुमति दिए जाने को लेकर संबंधित अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे है।
पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कुटेशर नगोई की तत्कालीन सरपंच श्रीमती अनिता ओड़े के कार्यकाल में मूलभूत, 14वें, 15वें वित्त की राशि का सचिव जयरतन कंवर के साथ मिलीभगत से जमकर बंदरबांट किया गया है। मजे की बात तो यह है कि 15वें वित्त आयोग की राशि हड़पने को लेकर ऐसा खेला किया गया जो इस योजना के प्रावधान में शामिल ही नही है। वहीं जनपद अधिकारियों ने भी उस नियम विरुद्ध कार्य के भुगतान पर अपनी मुहर लगा दी। जिसे लेकर जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग गया है। तत्कालीन सरपंच और सचिव ने कुटेशर नगोई से अमलडीहा पहुँचमार्ग मुरुमीकरण के नाम पर रिचार्ज बाउचर तिथि 22 नवंबर 2022 को 88,000 रुपए एवं 06 जनवरी 2023 को 1,31,978 की राशि केंद्रीय सहायता मद की राशि 15वें वित्त आयोग से आहरण की है, जबकि सरकार के गाइड लाइन के अनुसार 15वें वित्त की राशि मे मुरुमीकरण कार्य के लिए कोई प्रावधान नही है। इस योजना की राशि का उपयोग सरपंच, सचिव द्वारा ग्रामसभा में अनुमोदन कराकर ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम में चयनित कार्य को 60- 40 के रेसियो में कराना होता है। इसके तहत स्वच्छता में 30, शिक्षा में 30 व अधोसंरचना में 40 प्रतिशत प्लान के अनुसार केंद्रीय सहायता राशि 15वें वित्त से ग्राम का विकास करना होता है। लेकिन जीपीडीपी कुछ और बताते है तथा खर्च निजी स्वार्थ सिद्धि में होता है। कुटेशर नगोई के तत्कालीन सरपंच और सचिव ने भी धनलिप्सा की चाह रख 15वें वित्त के 2 लाख 19 हजार 978 रुपए की राशि का मुरुमीकरण के नाम पर वारा न्यारा किया है। ऑनलाइन सरकारी पोर्टल में दर्शित उक्त काम के सम्बंध में मौके पर जाकर जब ग्रामीणों से जानकारी हासिल की गई तब उन्होंने बताया कि गत 5 वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत अमलडीहा द्वारा मनरेगा योजना से कुटेशर नगोई तक मिट्टी मुरुम पहुँचमार्ग का कार्य कराया गया है, जिसकी लंबाई करीबन डेढ़ से दो किलोमीटर की होगी, कुटेशर नगोई पंचायत की ओर से इस मार्ग के मुरुमीकरण अथवा किसी प्रकार के मरम्मत का कोई कार्य बीते पंचवर्षीय में नही कराया गया है। अब आप समझ ही गए होंगे कि तत्कालीन सरपंच और यहां कार्यरत सचिव ने मिलकर भ्रष्ट्राचार को कैसे अंजाम दिया। इस फर्जीवाड़ा में गंभीर विषय तो यह है कि जब पंचायत ने मार्ग मुरुमीकरण कार्य का 15वें वित्त से राशि भुगतान हेतु बिल प्रस्तुत किया तब जनपद अधिकारियों की ओर से भुगतान की अनुमति आखिर कैसे मिली? कहीं न कही अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है।
बता दें कि 15वें वित्त आयोग की राशि के उपयोग और आहरण के लिए सरकार की गाइड लाइन के अनुसार यदि किसी पंचायत को 50 हजार से ऊपर का भुगतान करना है तो उसके लिए तकनीकी स्वीकृति और कार्य का जियो टैग जरूरी होता है। लेकिन भ्रष्ट्राचार में लिप्त सरपंच, सचिव और सम्बंधित अधिकारियों ने सरकारी धन हजम करने के लिए इसका गजब तोड़ निकाल लिया है। इस तोड़ के अनुसार 45 हजार, 49 हजार रुपए का आहरण किया जाने लगा है। क्योंकि 50 हजार के नीचे की राशि मे न तकनीकी स्वीकृति की आवश्यकता होती है और न ही जियो टैग की। ऐसे में सचिव, सरपंच अधिकारियों के संरक्षण में अपनी मनमर्जी से मनचाहे हिसाब का खर्च दर्शाकर 15वें वित्त की राशि का बेखौफ गबन किये है। यदि जिले भर की पंचायतों में इस योजना से हुए कार्यों की जांच की जाए तो यकीनन करोड़ो का भ्रष्ट्राचार उजागर होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर जांच कौन करेगा?