हड्डी और माँस के शरीर का नाम गुरु नहीं है, गुरु एक शक्ति होती है जो ऊपर से मिलती है – बाबा उमाकान्त महाराज

हड्डी और माँस के शरीर का नाम गुरु नहीं है, गुरु एक शक्ति होती है जो ऊपर से मिलती है – बाबा उमाकान्त महाराज
वक्त गुरु जब शरीर छोड़ कर जाने लगते हैं तब दूसरे को शक्ति दे कर के जाते हैं
हिमाचल प्रदेश। बाबा उमाकान्त महाराज ने 20 अगस्त 2025 के सतसंग में कहा कि हड्डी और माँस के शरीर का नाम गुरु नहीं होता है। गुरु एक पावर होती है, गुरु एक शक्ति होती है जो ऊपर से मिलती है। जो वक्त के गुरु होते हैं, समय से जब जाने लगते हैं, शरीर छोड़ते हैं तो अपनी शक्ति, आध्यात्मिक दौलत दूसरे को देकर जाते हैं फिर वे गुरु हुआ करते हैं।
गद्दी का मालिक अगर कोई बन जाए, तो वह गुरु नहीं हुआ करता है। वह तो केवल उनका सेवक हुआ करता है। गद्दीनशीं का नामदान लेना परफेक्ट नहीं माना जाता है, पक्का और सही रास्ता नहीं माना जाता है। जानकार-समझदार इससे दूर रहते हैं। वे तो वक्त गुरु को देखते हैं। वे तो वंशावली को देखते हैं कि इनके देखो कितने शिष्य थे लेकिन गद्दी पर कोई और है, अधिकार किसी और को दिया गया था।
सबकी सम्हाल की बात बताता हूं
सन्तों की एक परम्परा रही है कि जब उनको शरीर छोड़ने को हुआ है तब इस धरती पर किसी न किसी को अपना काम दे कर के गए हैं। बताकर गए हैं कि इस काम को अब ये करेंगे। तो हमारे गुरु महाराज जो बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के नाम से प्रसिद्ध हैं, इस दुनिया-संसार से जाने के कई साल पहले सतसंग में मुझ नाचीज़ के लिए कह कर के गए थे कि ये नए लोगों को नामदान देंगे और पुरानों की सम्हाल करेंगे, तो मैं सम्हाल वाली बात भी बताता हूं।
सबके सम्हाल की बात बताता हूं। किसके सम्हाल की? जो गुरु महाराज के नामदानी हैं, उनके भी सम्हाल की बात बताता हूं, और जो पहले के सन्त रहे हैं, वह नाम बता कर गए हैं, उनके चाहे कितने भी उत्तराधिकारी बदले हों लेकिन जो वही नाम बताते हैं उनके लिए भी कह कर के जा रहा हूं, उनकी भी सम्हाल की बात बताता हूं।
सन्तमत को मानने वाले लोगों के लिए संदेश
किसी के भी गुरु जो सन्त मत के गुरु हों और सन्त मत का अभ्यास आप करते हो या आप सन्त मत के लोग हो, सुनो! अगर आप सुमिरन, ध्यान, भजन में लग जाओगे जो उन्होंने (गुरु ने) बताया है; समरथ गुरु वही पाँच नाम बताते हैं, तो अगर वे समरथ होंगे तो वही आपको पहचान करा देंगे। आपको यह बात याद दिला देंगे कि “वक्त गुरु को खोज, तेरे भले की कहूं”।
उनके पास चले जाओ, अब वे तुम्हारा मर्ज दूर करेंगे, तुम्हारी तकलीफ खत्म करेंगे। इन डॉक्टर से अब तुम्हें इलाज कराना पड़ेगा, वह डॉक्टर अब इस धरती पर नहीं रहे, वे मास्टर अब नहीं रहे, इन मास्टर से अब आपको पढ़ना और बच्चों को पढ़ाना रहेगा।