छत्तीसगढ़

CG – कलेक्टर का आदेश भी दरकिनार जनपद सीईओ ने सरपंच से कहा-कलेक्टर तो कुछ भी उल- जुलूल आदेश देते रहते है… जरूरी नही उनके हर आदेश का पालन किया जाए…जानें पूरा मामला पढ़े पूरी ख़बर

0 मामला टीएस प्रतिवेदन भेजने का.
0 सरकार में वाणिज्य, उद्योग व श्रममंत्री के गृह जिले का यह हाल.

कोरबा/पाली//प्रदेश में सरकार बदलने के बाद पूर्ववर्ती शासनकाल के दौरान जिले में हुए भ्रष्ट्राचार और अधिकारियों की मनमानी के खुलासे हो रहे है। वहीं अधिकारी और नेताओं के खिलाफ ईडी और एसीबी द्वारा लगातार कार्रवाई करने के बाद भी कुछ विभाग के अधिकारियों की मनमानी आज भी खत्म नही हो रही है। पाली जनपद पंचायत में मुख्यकार्यपालन अधिकारी की कुर्सी पर पूर्ववर्ती सरकार से जमे अधिकारी भूपेंद्र सोनवानी भी नियम- कानून को दरकिनार कर मनमानी करने से बाज नही आ रहे है। जिनके कार्यप्रणाली को लेकर शासन सत्ता पार्टी के ही जिला कार्यसमिति सदस्य कीर्ति कश्यप ने ही उन पर भ्रष्ट्राचार, कमीशनखोरी व अफसरशाही का आरोप लगा भ्रष्ट्र आचरण पर लगाम लगाने की मांग की है तथा अधिकारी के आचरण में सुधार नही होने पर आंदोलन की बात भी कही है। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ सरकार में वाणिज्य और उद्योग, श्रममंत्री लखनलाल देवांगन के गृह जिले में अधिकारियों का ऐसा हाल तो अन्य जगहों पर स्थिति क्या होगी?

पाली जनपद पंचायत में जबसे सीईओ भूपेंद्र सोनवानी की पदस्थापना हुई है,भारी भ्रष्ट्राचार नजर आने लगा है। जिनके भ्रष्ट्र कारगुजारियों को बीते खबरों के माध्यम से प्रसारित किया गया। लेकिन भ्रष्ट्राचार उजागर होने के बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नही की। ऐसे में कमीशनखोरी, भ्रष्ट्राचार, मनमानी की खबरें प्रसारित के बावजूद जिला प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है। कहीं ऐसा तो नही कि मुख्यकार्यपालन अधिकारी सोनवानी की राजनीतिक रसूख ऊंचे ओहदे पर है, शायद इसीलिए जिले के प्रशासनिक मुखिया के आदेश को भी वे मानने से इंकार कर देते है, जबकि कलेक्टर जिले का प्रमुख अधिकारी होता है। वे जिले में प्रशासनिक कार्यों का संचालन, सरकार की नीतियों और योजनाओं को लागू करने, सार्वजनिक सेवाओं का प्रबंधन करने और जिले के विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने व उनकी निगरानी में अहम भूमिका का निर्वहन करते है। लेकिन पाली जनपद सीईओ उनके आदेश को जेब मे रखकर बात करते है। ऐसे में “अंधेर नगरी- चौपट राजा, टका सेर भाजी- टका सेर खाजा” वाली कहावत पाली जनपद में सौ फीसदी सटीक बैठती है। जिसके लिए सीईओ को विशेष सम्मान से नवाजे जाना चाहिए। आपको आगे बताते चलें कि ग्राम पंचायत करतला में जन आवश्यकता वाले बहरीपानी स्टापडेम तालाब में रिटर्निंग वाल एवं रमतला के मरकाम मुंडा में पुलिया निर्माण की मांग को लेकर सरपंच ज्योतिष कुमार कुसरो गत 29 मई को जनदर्शन में पहुँचा और उक्त निर्माण कार्य स्वीकृत करने कलेक्टर को आवेदन दे अनुरोध किया। कलेक्टर अजीत वसंत ने सरपंच के आवेदन पर ही तकनीकी स्वीकृति फाइल प्रेषित करने पाली सीईओ भूपेंद्र सोनवानी को आदेशित किया। उक्त आदेश के पालन में आरईएस एसडीओ ने तो निर्माण स्थल का मौका मुआयना कर टीएस प्रतिवेदन तैयार कर दिया, लेकिन जब सरपंच आवेदन सह आदेश प्रति व टीएस फाइल लेकर सीईओ के पास पहुँचा तब सीईओ ने यह कहते हुए फाइल लौटा दी कि कलेक्टर तो कुछ भी उल- जुलूल आदेश देते रहते है, जरूरी नही की उनके हर आदेश का पालन किया जाए। इस तर्क को लेकर सरपंच ज्योतिष ने सीईओ पर मनमानी और कलेक्टर के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सीईओ मनमानीपूर्ण रवैया अपना रहे है और पंचायत प्रतिनिधियों की बात नही सुन रहे तथा गांवों के विकास को लेकर गंभीर नही है। अधिकारी के तानाशाही और अनियमितताओं के खेल के चलते ग्रामीण विकास अटका हुआ है। सरपंच ने बताया कि जिन निर्माण कार्य की उन्होंने मांग की है, उसमें से करीब 250 जनसंख्या वाले ग्राम बहरीपानी के निवासियों का मुख्य ग्राम पहुँचने के लिए एकमात्र रास्ता स्टापडेम तालाब का मेढ़ है, यदि मेढ़ में रिटर्निंग वाल का निर्माण नही हुआ तो भारी बारिश के दबाव से मेढ़ का मार्ग फूट सकता है। ऐसे में यहां के निवासी राशन, चिकित्सा, शिक्षा सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे। वहीं रमतला के मरकाम मुंडा नाला में पुलिया नही बनने से बारिशकाल में आवागमन बाधित रहता है, जिन जनआवश्यकता वाले निर्माण कार्य के टीएस प्रतिवेदन भेजने मामले में सीईओ कलेक्टर आदेश को दरकिनार कर दिए है। जब सीईओ का रवैया ऐसा रहा तो क्षेत्र का विकास किस तरीके से हो सकेगा, यह विचारणीय बात है। ऐसे में जनता द्वारा चुने गए पंचायत प्रतिनिधि का औचित्य आखिर क्या होता है, किसलिए ग्रामीण जनता ने उन्हें सरपंच चुना है, जब जनपद अधिकारी उनके किसी प्रस्ताव अथवा जिला प्रशासन द्वारा ग्राम विकास के कार्यों को धरातल पर उतारने उनके आदेश को भी मानने तैयार नही है। यह प्रजातंत्र पर प्रशासन तंत्र का जबरदस्ती अधिकार जमाया जाना प्रतीत होता है। सरपंच ज्योतिष ने सीईओ सोनवानी के मनमाने क्रियाकलापो पर रोक लगाने की मांग जिला प्रशासन से की है। आगे देखना है कि पाली सीईओ के आचरण पर लगाम कसने जिला प्रशासन क्या रुख अपनाते है?

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