घाट की साधना इस भवसागर (दुनिया, संसार) से पार होने की साधना है – बाबा उमाकान्त महाराज

घाट की साधना इस भवसागर (दुनिया, संसार) से पार होने की साधना है – बाबा उमाकान्त महाराज
पूरे गुरु ही इस भवसागर से पार कराएंगे और उसके लिए आपको घाट पर बैठना पड़ेगा
इंदौर। बाबा उमाकान्त महाराज ने 18 जून, 2025 के सतसंग में कहा कि आज अपने लोगों ने इंदौर आश्रम पर इस किराए के मकान (मनुष्य शरीर) में आत्मा को जगाने का काम किया। आज से रोज 5 घंटे का अखंड साधना शिविर यहां पर चालू करा दिया गया है। इसी तरह से आप बराबर इसमें बैठते रहना। घाट की साधना करनी जरूरी होती है। घाट पर जब तक नहीं बैठोगे, आवाज नहीं लगाओगे तब तक पार होने की उम्मीद नहीं रहेगी। अगर आपको कोई नदी पार करनी हो तो जब नदी के नजदीक में जाओगे और मल्लाह को आवाज लगाओगे कि आप नाव ले आओ और हमें उसमें बैठा कर के पार कर दो, तब तो वह आएगा। और अगर नदी के पास ही नहीं जाओगे तो वह घर पर तो नाव लगाएगा नहीं कि चलो बैठो हम आपको पार करते हैं। तो यह घाट की साधना है। यह भवसागर से पार होने की साधना है। भवसागर किसको कहते हैं? इसी दुनिया, संसार को कहते हैं जिसमें रोना धोना लगा रहता है, लड़ाई झगड़ा लगा रहता है, तमाम तरह की मुकदमेबाजी लगी रहती है, परेशानी झेलनी पड़ती है, जन्मना और मरना पड़ता है। इसी भवसागर से छुटकारा पाने के लिए यह (घाट पर बैठना) ज्यादा जरूरी है।
गुरु पार ले जाएंगे लेकिन उसके लिए घाट पर तो बैठना ही पड़ेगा
इस भवसागर से पार कौन ले जाएगा? पार तो ले जाएंगे “गुरु”। कहा गया “गुरु खेओ मोरी नैया” गुरु खे कर के पार ले जाएंगे लेकिन घाट पर बैठना तो पड़ेगा आपको। तो इसीलिए घाट की साधना का इंतजाम किया गया है कि रोज घाट पर बैठो, आवाज लगाओ और जब आवाज लगाओगे तब सुनवाई होगी। और नहीं तो इस किराए के मकान का मालिक इसको खाली करा लेगा। क्योंकि यह मनुष्य शरीर एक किराए के मकान की तरह से है, जैसे किराए के मकान में कोई बराबर नहीं रह सकता है और जब मकान मालिक कहेगा तब उसको खाली करना पड़ेगा, ऐसे ही काल इस मनुष्य शरीर को खाली करा लेगा।