कहानी देवकुमारी ग़ुलाब साहू की जो एक ब्यापारी से एकाएक बनें सरपंच आखिर किस बात नें इनकों राजनीति में आने के लिए किया मज़बूर जानें पढ़े पूरी ख़बर
बिलासपुर//कहानी एक ऐसे युवक की जो ग्राम पंचायत हिर्री में रहता है नाम है गुलाब साहू गांव की राजनीति में आने का कोई भी इरादा शुरू से नहीं था पढ़ाई लिखाई कर कपड़ा के व्यापार में लग गए थे पर गांव में भ्रष्टाचार के कई आरोप पूर्व सरपंचों पर लगे और गांव की विकास की गति थम सी गई इस बात नें युवा गुलाब साहू को सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि क्या गांव की राजनीति में आकर गांव का विकास किया जा सकता है रुकी हुई विकास की गति को बढ़ाया जा सकता है इसके बाद उन्होंने सभी अपने बड़े बुजुर्गों गांव वालों से सलाह मशवरा लिया गांव वालों ने भी युवा गुलाल साहू की अच्छी सोच का साथ दिया और पंचायत चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया ओबीसी महिला सीट होने के कारण ग़ुलाब साहू नें अपनी पत्नी देवकुमारी ग़ुलाब साहू कों चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया और ताबड़तोड़ जनसम्पर्क कर गाँव वालों के समक्ष अपना विचार रखा और बताया की वो गाँव के लिए क्या करना चाहते हैँ कैसे काम होगा और क्यों उनको सभी गाँव वालों का साथ चाहिए सबने सुना और समझा साथ दिया और ग़ुलाब की पत्नी देवकुमारी साहू लगभग 183 वोटों से विजयी होकर हिर्री की नवनियुक्त सरपंच बनी ग़ुलाब साहू आगे बताते हैँ की वो गाँव की विकास के लिए गाँव की राजनीति में आए हैँ हम प्रत्येक क्षेत्र में संपन्न हैँ हमें और कुछ नहीं चाहिए हमारा अगले 5 सालों में सिर्फ एक ही काम होगा गाँव की तरक्की गाँव की समस्या दूर करना अगले 5 साल हम सिर्फ गाँव वालों के विकास के लिए समर्पित रहेंगे यही सोच कर हम राजनीति में आए हैँ।