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जामा मस्जिद का वास्तु परिक्षण जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से, कौन कौन से वास्तु के अनूठे प्रयोग है…

जामा मस्जिद का वास्तु परिक्षण जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से, कौन कौन से वास्तु के अनूठे प्रयोग है

डॉ सुमित्रा अग्रवाल
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री
कोलकाता
यूट्यूब वास्तुसुमित्रा

कोलकाता। जामा मस्जिद एक इस्लामिक धार्मिक संरचना है, परंतु इसका निर्माण वास्तु शास्त्र के कई सिद्धांतों को ध्यान में रख कर किया गया है और ये उस समय के शिल्पकारों के संयुक्त स्थापना ज्ञान को दिखता है, जिसमें वास्तु और इस्लामी वास्तुकला का मेल था।

जामा मस्जिद के वास्तु से जूड तत्त्व :

1. उत्तर-मुखिता (उत्तर मुखी खुली जगह) जामा मस्जिद का सामने का हिसा चांदनी चौक और लाल किले की तरफ खुला हुआ है – जो वास्तु में उत्तर एवं पूर्व दिशाओं को खुला रखना शुभ माना जाता है।

यमुना नदी भी पूर्व दिशा में है, जो वास्तु के अनुसार पानी का स्थिति के लिए अनुकूल है।

2. ब्रह्मस्थान का खुला आंगन मस्जिद के अंदर एक विशाल आंगन है, जो वास्तु में ब्रह्मस्थान के रूप में माना जाता है – यह जगह खुली होनी चाहिए।

वहां कोई भारी स्ट्रक्चर नहीं है। ये वास्तु के एक महत्वपूर्ण सिद्धांत को दिखता है।

3. शुद्ध अक्ष और सममिति (समता) जामा मस्जिद का डिज़ाइन अक्ष और समता पर आधारित आधार है — ये वास्तु और इस्लामिक आर्किटेक्चर दोनों में मान्यता रखता है।

पूर्व -पश्चिम और उत्तर – दक्षिण की रेखाओं पर अलाइनमेंट है, जो ऊर्जा के संचार के लिए महत्वपूर्ण है।

4. पंचतत्व और प्राकृतिक तत्व का समावेश पानी का टैंक मस्जिद के बीच में बना है, जो वास्तु में जल तत्व को दर्शाता है और शुद्धिकरण का संकेत देता है। चारो तरफ से खुली हवा और प्रकाश वास्तु के वायु और अग्नि तत्व का संतुलन बनता है।

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