मध्यप्रदेश

नशे से बर्बादी की तरफ जा रहे देश की महिमा-गरिमा वापस लाने के लिए सुधार की जरूरत…

देशहित में युवाओं और विवेकशील, बुद्धिजीवियों की सहभागिता जरूरी...

नशे से बर्बादी की तरफ जा रहे देश की महिमा-गरिमा वापस लाने के लिए सुधार की जरूरत

देशहित में युवाओं और विवेकशील, बुद्धिजीवियों की सहभागिता जरूरी

उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने उज्जैन आश्रम पर दिए गए सतसंग में कहा कि वर्तमान समय में देश बर्बादी की ओर बढ़ रहा है। नशा करने वाले, मांसाहारी और व्यभिचार में लिप्त जिन लोगों ने समाज को बिगाड़कर आंतरिक रूप से खोखला कर दिया है, जो अध्यात्म और धर्म को ख़त्म कर देने में लगे हुए हैं, इन्हें सुधारना अति आवश्यक है। जिस प्रकार से भारत देश की महिमा-गरिमा विदेशों में थी, उसे पुनः लाने के लिए सुधार की जरूरत है। जैसे संगति का असर गहरा होता है, वैसे ही अच्छी संगति से समाज में सुधार लाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, लोहा जब पारस पत्थर के संपर्क में आता है, तो सोना बन जाता है। इसी प्रकार, अच्छे विचार और संगति से लोगों में सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं।

देशहित में युवाओं और विवेकशील, बुद्धिजीवियों की सहभागिता होनी चाहिए

किसी भी देश का विकास उसके युवा नागरिकों और विवेकशील बुद्धिजीवियों के द्वारा ही होता है। आज के समय में युवाओं में नशेबाजी और चरित्रहीनता एक प्रकार से फैशन बनता जा रहा है, इसको खत्म करना चाहिए। ये युवा जो देश का भविष्य तय करते हैं, उनके बारे में विचार करने की आवश्यकता है। समाज में जातिवाद, कौमवाद, एरियावाद और तरह-तरह की विचारधाराओं के कारण हो रहे आपसी टकराव को समाप्त करने की आवश्यकता है। बाबा उमाकान्त जी महाराज ने देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से अपील की है कि किसी भी जीव की हिंसा-हत्या को रोकने के लिए प्रयास करें। ये धरती माता गंदी न हो, इसको साफ-सुथरा और पवित्र रखें। अपनी जन्म देने वाली माता, गौ माता और धरती माता का सम्मान करें।

मांसाहार और जीव हत्या से हवा और अधिक जहरीली हो जाएगी, सांस लेना होगा मुश्किल

जिस प्रकार से हवा दिन-प्रतिदिन अधिक जहरीली होती जा रही है। उससे आने वाले समय में लोगों का सांस लेना बड़ा मुश्किल हो जाएगा। जब चारों तरफ ये जहरीली हवा फैल जाएगी, तब जान निकलने जैसा महसूस होगा। जैसे दिल्ली में दूषित हवा का वातावरण बना हुआ है, ये दम घुट जाने वाली हवा, किस कारण से विकराल रूप ले लेती है? पूरे विश्व में जीवों की हिंसा-हत्या इतनी ज्यादा हो रही है, जानवरों की खाल, हड्डी और मांस सड़ रहा है, उनके शरीर से जो खून बहता है, उसकी बदबू हवा में फैल रही है, जिसके कारण ये हवा भविष्य में और अधिक जहरीली हो जायेगी। इसलिए इस पर विचार करने की जरूरत है।

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