राजस्थान

जिन्होंने अपने शरीर और मन को साध कर के सन्तमत की साधना की, वे निज घर पहुंच गए – बाबा उमाकान्त महाराज

जिन्होंने अपने शरीर और मन को साध कर के सन्तमत की साधना की, वे निज घर पहुंच गए – बाबा उमाकान्त महाराज

जो लोग निज घर नहीं पहुंच पाए, वे इस दुख के संसार में दुख झेल रहे हैं

जयपुर। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने 2 जुलाई 2025 को सतसंग में कहा कि आज ठिकरिया, जयपुर आश्रम पर, गुरु महाराज की दया से अपने लोगों को एक साथ बैठ कर के साधना करने का अवसर मिला। अपने लोगों ने अभी सन्तमत की साधना की। सन्तमत की साधना करने वाले जो लोग थे और जिन्होंने अपने को साध लिया; अपने शरीर एवं मन को साध लिया, वे तो अपने घर पहुंच गए। यह मिट्टी और पत्थर का घर नहीं, वे तो निज घर पहुंच गए, जहां पर पहुंचने के बाद फिर कोई लौटता नहीं है। क्योंकि निज घर सुख का सागर है, सुख का संसार है, आनंद का भंडार है और जब वहां पहुंच गए तो वे यहां नीचे नहीं उतर रहे हैं। लेकिन जो लोग वहां नहीं पहुंच पाए वे यहां दुख झेल रहे हैं।

जिसने यह शरीर बनाया है, उसने ही इस शरीर के लिए भोजन भी बनाया है

जिसने यह शरीर बनाया है, उसने ही इस शरीर के लिए भोजन भी बनाया है। अनाज, दूध, दही, मेवा, मिष्ठान, फल-फूल ये सब मनुष्य शरीर का भोजन है। घी, दूध खाने से शरीर तंदुरुस्त होता है, बलवान होता है। अन्य ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनको खाने से शरीर को नुकसान नहीं होता है। यह तो लोगों का भ्रम है कि मांस और अंडा खाने से ताकत बढ़ेगी, खून बढ़ेगा। बल्कि उससे नुकसान होता है, विकार पैदा होते हैं, रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

प्राकृतिक चीजों को अगर जरूरत के हिसाब से खाया जाए तो उसकी ताकत बनी रहती है

कुछ दवाइयां ऐसी होती हैं जो शरीर को फुला देती हैं, ताकत दे देती हैं लेकिन वह ताकत, दवा के असर के कारण रहती है और थोड़ी देर के लिए ही रहती है, फिर खत्म हो जाती है। लेकिन प्राकृतिक चीजें जो होती हैं जिनको भगवान ने मनुष्य शरीर के लिए बनाया है उससे ताकत कम नहीं होती है। उसको अगर जितनी जरूरत है उतना ही लिया जाए, भूख लगने पर ही खाया जाए तो उससे ताकत बराबर रहती है। ज्यादा जब हो जाता है तब नुकसान करती है।

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