छत्तीसगढ़

करतला पंचायत में पेयजल व्यवस्था सुधारने कागजों पर बताया 22.88 लाख खर्च, धरातल पर मनमाने भ्रष्ट्राचार कर शासन को लगाया लाखों का चूना, तत्कालीन सरपंच और सचिव पर उठी कार्रवाई की मांग पढ़े पूरी ख़बर

कोरबा/पाली//पाली जनपद के ग्राम पंचायत करतला में बीते पंचवर्षीय कार्यकाल सरकारी योजनाओं की खुली लूट का मामला सामने आया है, जहां के तत्कालीन सरपंच और सचिव ने मिलकर सरकार को लाखों का चूना लगाया है। चाहे नाली निर्माण हो या भवन मरम्मत कार्य अथवा शौचालय निर्माण का काम, इनके नाम पर सरकारी धन का वारा न्यारा तो किया ही गया है, साथ ही पेयजल व्यवस्था सुदृढ करने के नाम पर भी लाखों रुपए डकार लिए गए। जो राशि कथित रूप से स्कूलों, आंगनबाड़ियों में रनिंग वाटर व्यवस्था व हेण्डपम्पों में सबमर्सिबल पंप, सिन्टेक्स स्थापित करने पर भारी भरकम खर्च राशि कागजों में दिखाया गया है, जबकि जमीन पर इसके विपरीत कुछ और ही नजारे देखने को मिले।

ग्राम पंचायत करतला में बीते पंचवर्षीय विमला बाई कुसरो सरपंच निर्वाचित रही है, जहां इस पंचायत में वर्षों से जमे सचिव छत्तर सिंह जगत व तत्कालीन सरपंच की मिलीभगत से ग्राम विकास के लिए शासन से जारी राशि मे मनमाने लूट मचाई गई और फर्जी बिल के जरिये जनता के पैसे का जमकर दुरुपयोग करते हुए निजी स्वार्थ सिद्धि की पूर्ति की गई। यहां पेयजल व्यवस्था सुधारने के नाम पर 22 लाख 88 हजार 515 रुपए खर्च सरकारी आंकड़ों में बताया गया है, जबकि धरातल पर कुछ और ही बयां कर रही है जिसके अनुसार माध्यमिक एवं प्राथमिक शाला भवन करतला व झोरखीपारा में रनिंग वाटर व्यवस्था के नाम पर 15वें वित्त से 4 लाख 20 हजार 300 रुपए खर्च बताया गया है, जबकि सच्चाई यह है कि माध्यमिक शाला भवन झोरखीपारा में पूर्व सरपंच के कार्यकाल से रनिंग वाटर व्यवस्था संचालित है, जिसके नाम पर भी 01 लाख से ऊपर की राशि निकाली गई, वहीं अन्य स्कूलों में पुराने हेण्डपम्प में सबमर्सिबल पंप व सिन्टेक्स स्थापित कर 49 हजार के कार्ययोजना वाले काम मे 1.05 लाख के मान से 4.20 लाख रुपए आहरण किया गया है। इसी प्रकार रामसिंह घर के पास एवं रमतला में नारायण घर के पास पेयजल व्यवस्था पर क्रमश- 70,000 व 63,860 की राशि 15वें वित्त से निकाली गई है, लेकिन इन जगहों पर भी पूर्व सरपंच के कार्यकाल में सुलभ कराई गई पेयजल व्यवस्था सुचारू रूप से चल रहा है। वहीं परदेशी और संतोष घर के पास पेयजल व्यवस्था के नाम पर राशि क्रमश 68,000 व 70,000 हजार निकाली गई है, किंतु इन दोनों स्थानों पर किसी भी प्रकार का पेयजल व्यवस्था नही है। झोरखीपारा देवालय के पास हेण्डपम्प में महज सबमर्सिबल पंप स्थापित कर 90,000 की राशि का आहरण 15वें वित्त से किया गया है तथा अशोक घर के पास सबमर्सिबल पम्प मरम्मत के नाम पर 45,000 हजार खर्च बताया गया है। इसमें हास्यपद बात तो यह है कि जब नए सबमर्सिबल पम्प की कीमत 10 से 15 हजार है, ऐसे में मरम्मत पर 45 हजार खर्च वाली बात भी ग्रामीणों के गले नही उतर रही है। कुल मिलाकर पेयजल व्यवस्था के नाम पर सचिव और तत्कालीन सरपंच ने मिलकर लाखों की गड़बड़ी की है। ग्रामीणों का आरोप है कि पेयजल व्यवस्था के नाम पर योजनाबद्ध तरीके से घोटाला किया गया है, जिसमे जनपद अधिकारियों की मिलीभगत शामिल है। यह न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है। बता दें कि तत्कालीन सरपंच, सचिव द्वारा और भी अन्य कार्यों के नाम पर भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया है, जिसे अगले अंक में विस्तारपूर्ण प्रसारित किया जाएगा। बहरहाल करतला के ग्रामीणों ने पेयजल व्यवस्था के नाम पर किये गए राशि आहरण मामले में उच्च स्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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