लखनपुर उदयपुर क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया पारंपरिक गंगा दशहरा श्रद्धालुओं ने उठाया मेले का लुत्फ।
Traditional Ganga Dussehra was celebrated with great pomp in Lakhanpur Udaipur area, devotees enjoyed the fair.
(नयाभारत)
(लखनपुर सितेश सिरदार*)
सदियों पुरानी परम्परा को कायम रखते हुए 5 जून दिन गुरुवार को नगर सहित आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में गंगा दशहरा पर्व उत्साह के साथ मनाया गया। हिन्दू धर्म में गंगा दशहरा पर्व की विशेष महत्व रही है। लखनपुर उदयपुर क्षेत्र के प्राचीन दशहरा तालाब किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। दूर दराज गांवों से आकर श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से पापनाशनी मा गंगा के पूजा अर्चना किये,साथ ही ग्राम बैगा द्वारा लोक रिति के साथ अनुष्ठान कराने के बाद नौनिहालों के कटे नाल, मुंडन संस्कार के बाल तथा विवाह में प्रयुक्त कलश धोये,दुल्हा दुल्हन के मौर (मुकुट) आदि का विसर्जन किया। धार्मिक मान्यतानुसार गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के दसवीं तिथि को मनाया जाता है। इसे गंगा अवतरण दिवस भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि राजा सगर के पुत्र भागीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मा गंगा को स्वर्ग से धरती पर उतारा था।
मोक्षदायिनी मां गंगा के कृपा से राजा भगीरथ के पूर्वज मोक्ष को प्राप्त किये थे। तब से गंगा दशहरा मनाने की परंपरा आरंभ हुई मानी जाती है।
इस दिन गंगा स्नान करने से दस पापों का नाश होता है। दान का महत्व बताया गया है।फिलहाल नगर लखनपुर के प्राचीन दशहरा तालाब में भक्तों ने गंगा दशहरा पर्व उत्साह के साथ मनाया साथ ही सरगुजा लोक संस्कृति में दशहरा के दिन दादर गाने की प्रथा रही है। ग्रामीण अंचल से आये लोगों ने दादर गायन के साथ इस परम्परा को भी बखूबी निभाया। कालांतर में दादर गाने की प्रथा लुप्त होती जा रही है कहीं कहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी जिंदा है। लखनपुर दशहरा तालाब में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ भाड़ देखी गई। महिलाओं ने विधिवत पूजन कर मां गंगा के आशिर्वाद प्राप्त किये। साथ ही महिला पुरुष बड़े बुजुर्ग बच्चों ने दशहरा तालाब किनारे लगने वाले मेले का लुत्फ उठाया।