छत्तीसगढ़

कटघोरा जनपद कार्यालय में कबाड़ में तब्दील हो रही ट्राई साइकिलें,भटक रहे दिव्यांग,जिम्मेदारों का कहना-बैटरी चलित ट्राई साइकिल की वजह से कम हो गई मांग पढ़े पूरी ख़बर

कोरबा/कटघोरा//समाज कल्याण विभाग और जनपद पंचायत कार्यालय कटघोरा के अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है। जहां दिव्यांगजनो को निशुल्क वितरण के लिए शासन से आए दर्जनों ट्राई साइकिलें एक कमरे में अव्यवस्थित रूप से पड़े कबाड़ में तब्दील हो रही है। वहीं छत्तीसगढ़ आजीविका मिशन के तहत संचालित स्व. सहायता समूहों को प्रदाय हेतु सदस्यता व्यक्तिगत पासबुक व लेनदेन प्रपत्र भी वितरण के बजाय धूल फांकते पड़ी है। जिसकी सुध लेने वाला कोई नही है और जवाबदार वर्ग अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि समाज कल्याण विभाग और जनपद अधिकारियों की लापरवाही से शासकीय राशि का पूरी तरह से दुरुपयोग होता दिखाई दे रहा है और कटघोरा जनपद कार्यालय में पड़े दर्जनों ट्राई साइकिल कबाड़ हो रहे है। जिसे लेकर विभाग के जिम्मेदारों का जवाब है कि अब बैटरी चलित ट्राई साइकिल आने की वजह से हाथ वाली ट्राई साइकिल कोई नही ले जाता। अब यहां सवाल यह उठता है कि जब हाथ चलित ट्राई साइकिल की जरूरत नही तो मांग भेजकर बड़ी संख्या में ट्राई साइकिल क्यों मंगाया गया और यदि दिव्यांगजन इसे लेना नही चाहते तो वापस न कर कबाड़ में तब्दील क्यों कराया जा रहा है। इस तरह के क्रियाकलाप को आखिर शासकीय राशि का दुरुपयोग ही माना जाएगा। सवाल यह भी उठता है कि कहीं न कही कमीशनखोरी के चक्कर मे समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने जरूरत से ज्यादा ट्राई साइकिल की खरीदी कर ली और जनपद कार्यालय को हस्तांतरित कर दिया, तभी तो भारी संख्या में बचे हुए ट्राई साइकिल को जनपद कार्यालय के जिम्मेदारों ने एक कमरे में कबाड़ की तरह ठूंस दिया है। जिस कमरे में स्व. सहायता समूहों को वितरण के लिए आए सदस्यता व्यक्तिगत पासबुक और लेनदेन प्रपत्र भी बंडलों में बंधे धूल खा रही है। ऐसे में लापरवाह समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के ऊपर सख्त कार्रवाई होना चाहिए, जिन्होंने जब जरूरत नही थी तो बड़ी मात्रा में ट्राई साइकिल की खरीदी करके शासन के पैसे की बर्बादी की। दूसरी ओर जनपद अधिकारियों ने उन ट्राई साइकिल को वितरण के बजाय एक कमरे में ठूंस दिया साथ ही सैकड़ो सदस्यता व्यक्तिगत पासबुक, लेनदेन प्रपत्र को भी एक कोने में रख दिया गया है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि दिव्यांगजन आज भी ट्राई साइकिल के लिए उनके पास अथवा अन्य जनप्रतिनिधियों के पास मांग लेकर पहुँचते रहते है। इसके अलावा जनदर्शन में भी मांग करने की बात सामने आती है, लेकिन जवाबदार वर्ग यदि दलील दे रहे है कि अब जरूरतमंदों को इसकी आवश्यकता नही तो यह गलत बात है। जनप्रतिनिधियों का तर्क है कि जब लोगों को जरूरत नही तो फिर शासन के पैसे की बर्बादी करने का अधिकार उनको किसने दिया है। यह शासन नही, बल्कि आम जनता के पैसे की बर्बादी है। जरूरत से ज्यादा खरीदी करना और कबाड़ की तरह फेंक देना यह बिल्कुल गलत बात है। किस मद से कब और कितने रुपये में खरीदी की गई है, इसकी जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। संवेदनशील माने जाने वाले दिव्यांगजनो से जुड़े इस मसले और स्व. सहायता समूह के लिए आयी योजनाएं को जिला प्रशासन को संज्ञान में लेना चाहिए।

छत्तीसगढ़ आजीविका मिशन अंतर्गत स्व. सहायता समूह को प्रदाय सदस्यता व्यक्तिगत पासबुक एवं लेनदेन प्रपत्र भी वितरित के बजाय धूल फांक रही।

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