CG – सरायपाली:पोषण माह 2025 के तहत महिला बाल विकास विभाग द्वारा लगाया गया सुपोषण चौपाल पढ़े पूरी ख़बर
सरायपाली//पोषण माह का आयोजन 17 सितंबर से 16 अक्टूबर 2025 तक आयोजित किया जा रहा है । जिसके तहत आज महिला एवं बाल विकास विभाग सरायपाली के तत्वाधान में समुदाय आधारित गतिविधि सुपोषण चौपाल के माध्यम से गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं को उचित स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधित सकारात्मक व्यवहारों में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने, मोटापे का समाधान – चीनी और तेल की खपत कम करना थीम पर सुपोषण चौपाल का आयोजन पूरे सरायपाली विकासखंड के आँगनबाड़ी केंद्रो मे किया गया, महिला बाल विकास की पर्यवेक्षक श्रीमती पी. लकड़ा द्वारा महिलाओं को पोषण आहार से जुड़ी जानकारी दिया गया । पर्यवेक्षक नबीना तांडिल्य द्वारा पूरक पोषण आहार के बारे में बताते हुए कहा कि गर्भावस्था और प्रसव के बाद महिलाओं को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि इस समय शरीर को उचित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते और माता व नवजात शिशु कुपोषण का शिकार हो सकते हैं।
पर्यवेक्षक श्रीमती रेखा खमारी द्वारा बताया गया की पोषण माह स्वास्थ्यवर्धक भोजन विकल्पों को बढ़ावा देकर बचपन में होने वाले मोटापा दुबलापन पर भी ध्यान केंद्रित करता है। श्रीमती दीक्षा बारीक द्वारा कहा गया हर बच्चे को स्वस्थ शुरुआत का हक है, हर माँ को उचित पोषण का हक है और हर परिवार को पौष्टिक भोजन मिलना चाहिए। फिर भी, भारत में लाखों लोगों के लिए कुपोषण एक खामोश संकट बना हुआ है – जो न केवल व्यक्तियों को बल्कि पूरे देश के भविष्य को प्रभावित करता है। परिवर्तनकारी कार्यवाही की आवश्यकता को पहचानते हुए, एक प्रमुख कार्यक्रम जिसका उद्देश्य समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के लिए पोषण परिणामों में सुधार करना है। इसकी प्रमुख पहलों में से एक, पोषण माह, कुपोषण को दूर करने में जागरूकता बढ़ाने और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक शक्तिशाली मंच के रूप में उभरा है।
राज्य द्वारा “पोषण माह 2025-26 के दौरान मुख्य रूप से निम्नानुसार थीम पर गतिविधियाँ आयोजित की जा रही है –
1.मोटापे का समाधान – चीनी और तेल की खपत
कम करना ।
2.स्थानीयता को बढ़ावा देना ( Vocal for Local)
3. प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई)/ पोषण भी पढ़ाई भी (PBPB)
4. Convergent Action and Digitization,
5. शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार (YCI) की प्रथाएँ।
6. मेन स्ट्रीमिंग (पुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित करना)