मंगल गृह के कारकतत्व जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से…

मंगल गृह के कारकतत्व जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से
डॉ सुमित्रा अग्रवाल
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री
कोलकाता
यूट्यूब वास्तुसुमित्रा
कोलकाता।
मंगल ग्रह की उत्पत्ति – पौराणिक दृष्टि से :
1. वाराह कल्प (ब्रह्मवैवर्त पुराण) :
भगवान वाराह ने रसातल से पृथ्वी को निकालकर उसकी रक्षा की।पृथ्वी देवी भगवान के सौंदर्य पर मोहित होकर उन्हें पति रूप में चाहने लगीं।
भगवान वाराह ने मानव रूप धारण कर पृथ्वी देवी के साथ दिव्य संग किया। पृथ्वी गर्भवती हुईं और मंगल ग्रह का जन्म हुआ।
2. अहं वैवर्त पुराण की कथा :
“उपेन्द्ररूप मालोक्य कामार्त्ता च वसुन्धरा।
विधाय सुन्दरी वेशमक्षता प्रौढ़ यौवना।।”
भगवान विष्णु का सौंदर्य देखकर पृथ्वी देवी ने सुन्दर स्त्री रूप धारण कर संग की इच्छा की।
संग के फलस्वरूप पृथ्वी मूर्छित हुईं और विष्णु के रक्तवर्ण वीर्य से उत्पन्न तेज को उन्होंने धारण किया।
इससे रक्तवर्णीय पुत्र जन्मा – जो अंगारक कहलाया।
3. मत्स्य पुराण की कथा :
शिव के क्रोध से उनके ललाट से लाल पसीने की बूँद पृथ्वी पर गिरी।
यह तेज 7 पाताल व 7 समुद्रों को भेदते हुए वीरभद्र बना।
यज्ञविनाश कर शिव के सामने लौटा। शिव ने उसे ग्रह रूप प्रदान करते हुए कहा :
“अंङ्गारक इति ख्याति गयिष्यसि धरात्मज ! देवलोर्क द्वितीयश्च तव रूपं भविष्यति । ये च त्वां पूजभिष्यन्ति चतुर्थ्यां त्वद्दिने नराः। रूपमारोग्यं ऐश्वर्य तेष्वनन्तं भविष्यति।”
तब से यह मंगल ग्रह बना।
मंगल ग्रह के मुख्य कारक तत्त्व :
भूमि- भूमि का स्वामी, भूमि विवाद और संपत्ति
पराक्रम- साहस, युद्ध, क्रोध, विजय
शरीर का हिस्सा- रक्त, चर्म, पित्त
मानसिक गुण- क्रोध, संघर्ष, नेतृत्व
पेशा / कार्यक्षेत्र- निर्माण, इंजीनियरिंग, ठेकेदारी, सैन्य
परिवार- छोटे भाई-बहन
रंग / धातु- लाल, ताम्र
वाहन- मेष
देवता- स्कन्द / कार्तिकेय
मंगल ग्रह के प्रभाव से जुड़ी विशेष मान्यता :
मंगल ग्रह युद्ध, पराक्रम, साहस और भूमि का प्रतिनिधि है।
इसका शुभ प्रभाव व्यक्ति को शूरवीर, तेजस्वी, नेतृत्वकर्ता बनाता है।
कुप्रभाव में यह दुर्घटना, रक्तविकार, भूमि विवाद, और वैवाहिक तनाव देता है।